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नायब सरकार अल्पमत में, फिलहाल संकट नहीं!

07:06 AM May 08, 2024 IST
नायब सरकार अल्पमत में  फिलहाल संकट नहीं
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दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 मई
हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार तकनीकी रूप से अल्पमत में आ गई है। जिन छह निर्दलीय विधायकों के समर्थन से 13 मार्च को नायब सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित किया था, उनमें से तीन मंगलवार को सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ आ गये। हालांकि अल्पमत में होने के बावजूद फिलहाल नायब सरकार पर किसी तरह का संकट नजर नहीं आ रहा।
लोकसभा चुनावों के बीच तीन निर्दलीय विधायकों- चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, पुंडरी से रणधीर गोलन व नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर के इस ‘खेल’ से भाजपा के समीकरण बिगड़ गये हैं। अब गेंद कांग्रेस के पाले में है। अगर कांग्रेस चाहेगी तो अगस्त-सितंबर में संभावित हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में नायब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। इससे पहले 22 फरवरी को कांग्रेस ने उस समय मनोहर लाल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन वह बुरी तरह से गिर गया था।
नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में दो विधायकों– मनोहर लाल और चौ. रणजीत सिंह के इस्तीफे के चलते फिलहाल संख्या बल 88 है और सरकार को बहुमत के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। भाजपा के पास खुद के 40 विधायक हैं। सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा, पृथला से निर्दलीय नयनपाल रावत और बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद का सरकार को समर्थन है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कुल 7 निर्दलीय विधायक बने थे। महम के विधायक बलराज कुंडू ने लगभग एक साल बाद ही समर्थन वापस ले लिया था। वहीं चौ. रणजीत सिंह भाजपा में शामिल होने और हिसार से लोकसभा टिकट मिलने के चलते रानियां विधानसभा हलके से इस्तीफा दे चुके हैं।
राजनीतिक दलों में उठापठक और नेताओं का एक पार्टी से दूसरी में जाने का दौर इसलिए चल रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के लगभग तीन महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद जजपा में भी भगदड़ देखने को मिली थी। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष से लेकर कई पदाधिकारी दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं।
कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं : नायब सरकार पर फिलहाल किसी तरह का संकट इसलिए नहीं है, क्योंकि कांग्रेस के पास भी बहुमत का आंकड़ा नहीं है। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 विधायक हैं। इनमें से नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग लोकसभा चुनाव में खुलकर भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं। टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली की भी भाजपा के साथ नजदीकियां छुपी नहीं हैं। नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन रुझान उनका भी भाजपा की ओर ही देखने को मिलता रहा है। वहीं, गुहला के विधायक ईश्वर सिंह कांग्रेस के संपर्क में हैं। शाहबाद के विधायक रामकरण काला के दोनों बेटे कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं।
इसलिए सरकार पर संकट नहीं : कांग्रेस अगर अविश्वास प्रस्ताव ले आए तो भी नायब सरकार पर फिलहाल कोई संकट नजर नहीं आ रहा।  ऐसा इसलिए, क्योंकि जजपा के तीन से चार विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अगर ये विधायक हाउस से गैर-हाजिर हो जाते हैं तो बहुमत का आंकड़ा 88 नहीं, बल्कि 84 सदस्यों के हिसाब से साबित करना होगा। यानी बहुमत के लिए 43 विधायकों की जरूरत होगी।
मार्च में बदली परिस्थितियां : हरियाणा में राजनीतिक परिस्थितियां 12 मार्च को एकाएक बदल गईं थी। इसी दिन मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पूरी कैबिनेट ने भी सामूहिक इस्तीफा दिया था। इसी दिन भाजपा-जजपा गठबंधन भी टूट गया।
"मेरे पास इस तरह की जानकारी आई है। विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं। हर व्यक्ति इच्छा के साथ जुड़ा हुआ है। शायद, कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। लोग समझ रहे हैं। सभी जानते हैं कि किसकी क्या इच्छा है। कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है। उन्हें अपनी इच्छाएं पूरी करनी हैं। कांग्रेस लगी है उनकी (विधायकों) इच्छाएं पूरी करने में। आगे जनता ने उनकी इच्छाएं पूरी करनी हैं।"
- नायब सिंह सैनी, मुख्यमंत्री, हरियाणा

फरवरी में गिर चुका अविश्वास प्रस्ताव

आमतौर पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद छह महीनों तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं आ सकता। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस विधायकों ने बजट सत्र में मनोहर लाल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। उस समय तक जजपा के दस, छह निर्दलीय और एक हलोपा विधायक का सरकार को समर्थन था। 22 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा तो हुई, लेकिन कांग्रेस ने वोटिंग से पहले ही मैदान छोड़ दिया। ऐसे में विपक्ष का प्रस्ताव गिर
गया था।

विपक्ष की अगली चाल चुनाव परिणाम के बाद!

30 विधायकों के साथ कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। मानसून सत्र अगस्त या सितंबर में बुलाया जा सकता है। सत्र होने की सूरत में कांग्रेस अगर चाहेगी तो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकेगी। प्रदेश में लोकसभा की 10 सीटों के लिए 25 मई को मतदान होगा। 4 जून को नतीजे घोषित होंगे। ऐसे में कांग्रेस अपनी अगली चाल चुनावी नतीजों के बाद ही चलेगी।

विधानसभा में दलीय स्थिति पार्टी विधायक

भाजपा     40
कांग्रेस      30
जजपा      10
निर्दलीय    06
इनेलो       01
हलोपा      01
(मनोहर लाल और रणजीत सिंह के इस्तीफे के बाद अब हाउस की संख्या 88 है)
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