प्रेम की गहराई
एक बार रुक्मिणी जी ने भगवान से पूछा, ‘आप में सबसे बढ़कर प्रेम किसका है। भगवान ने कहा राधिकाजी का। रुक्मिणी जी ने कहा, ‘मैं उनसे मिलना चाहती हूं। किसी समय राधिकाजी उनके घर पर आ गयीं, रुक्मिणी जी ने खूब सत्कार किया। उन्हें गर्म दूध पिलाया। राधिकाजी प्रसन्न होकर चली गयीं। रात को भगवान सोने आये। रुक्मिणी जी ने पग-चंपी की तो देखा भगवान के पैरों में फफोले हैं। रुक्मिणी जी ने पूछा, महाराज! ये कैसे हो गये। कई बार आग्रह किया तो बताया कि आज राधिकाजी तुम्हारे यहां आयी थीं, उनकी तुमने सेवा की, दूध गर्म पिला दिया।’ रुक्मिणी जी ने कहा, ‘हां, ख्याल नहीं रहा, गर्म पिला दिया।’ भगवान ने कहा, ‘राधिकाजी के हृदय में मेरे चरण हर समय रहते हैं। तुमने गर्म दूध पिला दिया, वह दूध मेरे चरणों पर जाकर पड़ा जिससे फफोले हो गये।’ भगवान ने कहा, ‘राधिकाजी के चरण मेरे हृदय में वास करते हैं, मेरे चरण राधिकाजी के हृदय में हैं।’
प्रस्तुति : मुग्धा पांडे