जम्मू-कश्मीर में होगी लोकतंत्र की दस्तक
जम्मू, 7 अक्तूबर (एजेंसी)
जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा। हालांकि, सरकार गठन से पहले उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा में मनोनीत किए जाने वाले पांच सदस्यों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों के अनुसार, मनोनीत सदस्य सरकार गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कांग्रेस, नेकां और पीडीपी ने इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और 2023 में इसमें किए गए संशोधन के तहत उपराज्यपाल कुल पांच सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत कर सकते हैं, जिनके पास अन्य विधायकों के समान शक्तियां और मतदान का अधिकार होगा। पांच सदस्यों को मनोनीत किया जाता है तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में संख्या बल 95 हो जाएगा, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीमा 48 सीटों तक बढ़ जाएगी। पुडुचेरी विधानसभा में 3 सदस्य निर्वाचित किये जाते हैं।
जनादेश को खतरा : कांग्रेस
‘जम्मू-कश्मीर में जनादेश को स्पष्ट खतरा है। कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है, लेकिन भाजपा लोकतांत्रिक जनादेश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और उसका मंसूबा किसी भी तरीके से इसे पलटने का है। जनादेश बदलने के लिए संस्थानों और केंद्र की शक्तियों का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
- केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस
के संगठन महासचिव
सरकार बनाएंगे : भाजपा
‘हमें भरोसा है कि जम्मू-कश्मीर में 35 सीटें जीतेंगे और निर्दलीय एवं समान विचारधारा वाले समूहों के सहयोग से हम सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े 50 को पार कर जाएंगे। लोगों ने विकास और शांति के हमारे दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए हमें वोट दिया है। कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ेगा। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी।’
- रवींद्र रैना, भाजपा
प्रदेश अध्यक्ष