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लाल डोरे की जमीन की रजिस्ट्री खोलने की मांग, सामाजिक संगठनों ने डीसी को सौंपा ज्ञापन

10:25 AM Oct 30, 2024 IST

भिवानी, 29 अक्तूबर (हप्र)
ओबीसी ब्रिगेड, जनसंघर्ष समिति, जनलघु उद्योग व्यापार मंडल तीन संगठनों ने मंगलवार को आपदा प्रबंधक अधिकारी के माध्यम से उपायुक्त महाबीर कौशिक के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर ओबीसी ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र तंवर, जनसंघर्ष समिति से कामरेड ओमप्रकाश, जनलघु उद्योग व्यापार मंडल से देवराज मेहता, सुरेश प्रजापति, रणबीर भाटी व सज्जन कुमार ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि लाल डोरे की जमीन जो पुराना शहर है, उसमें 80 प्रतिशत लोगों के पास मकान व दुकानों की रजिस्टि्रयां नहीं हैं और उनकी रजिस्ट्री सरकार ने बंद कर रखी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नायब तहसीलदार और तहसीलदार को जो व्यक्ति बड़े लेवल का घूस देता है, उनकी रजिस्ट्री हो जाती हैं। ऐसे में इस मामले की सीबीआई जांच किए जाने की जरूरत है, ताकि बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सके। उन्होंने कहा कि वे सरकार से पूछना चाहते हैं कि जिस प्रॉपर्टी की पीआईडी है, कमेटी में 50 साल से उसका नाम दर्ज है, वो व्यक्ति टैक्स भर रहा है और कब्जा उसके परिवार का है तो रजिस्ट्री करने में समस्या क्या है।
उन्होंने कहा कि पहले तो पीआईडी के नाम पर आम लोगों की जेब से पैसा निकाला गया, क्योंकि कमेटी में जो भी स्टाफ सदस्य पीआईडी बनाने का काम करते हैं, वो बगैर पैसे लिए पीआईडी बनाते ही नहीं और जब पीआईडी बन गई और वो व्यक्ति टैक्स भर रहा है तो सरकार रजिस्टि्रयां क्यों नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने लाल डोरे की जमीन जो गांवों में है, उसको लेकर एक नियम बनाया था और जो शहर में कमेटी या सरकारी जमीन पर जो भी दुकान बनी हुई थी, उसके लिए एक नियम बनाया था और उसका मालिकाना हक जो व्यक्ति किरायेदार था, उसको दे दिया गया था लेकिन शहर के मामले में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया और यहां तक आजादी के समय हुए दंगों में जो परिवार पाकिस्तान से यहां डायवर्ट हुआ था, उसके लिए सिर्फ एक जमीन का अलॉटमेंट लैटर दे दिया गया।
उस जमीन की कोई रजिस्ट्री नहीं है, जैसे कृष्णा कॉलोनी, रामनगर, रामगंज आदि मोहल्ले और अब वहां के व्यक्ति न तो अपनी जमीन को बेच सकते हैं और न ही कोई सरकारी फायदा उठा सकते हैं तथा न ही कोई लोन ले सकते हैं, जिससे आम आदमी बहुत परेशानी में है। मांगपत्र के माध्यम से उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि या तो इसका हल जल्द निकाला जाए, नहीं तो बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

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