धान खरीद में देरी, डीएपी की कमी पर उठायी आवाज
बरनाला, बठिंडा और संगरूर, 27 अक्तूबर (निस)
पंजाब के किसानों ने अपनी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए बरनाला, बठिंडा और संगरूर के विभिन्न क्षेत्रों में धरने और विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। इस आंदोलन का मुख्य कारण मंडियों में धान की धीमी खरीद और डीएपी खाद की कमी है, जिसके चलते किसान आर्थिक रूप से परेशान हैं।
बरनाला जिले के 2 टोल प्लाजा पर भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) का धरना 10वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने सांसद मीत हेयर के आवास के सामने भी पक्का मोर्चा लगाया है। यूनियन के जिला अध्यक्ष चमकौर सिंह नैनेवाल ने कहा कि मंडियों में धान की लिफ्टिंग की प्रक्रिया सुस्त है, जिससे किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले साल के सरकारी गोदामों से चावल उठाने में भी देरी हो रही है।
किसानों ने मांग की है कि धान की नमी की शर्त को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाए, ताकि अधिकतर किसान अपनी फसल बेच सकें। इसके साथ ही, डीएपी खाद की कमी और उसकी खरीद पर लगाई गई अनावश्यक शर्तों के खिलाफ भी किसानों ने आवाज उठाई है। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो उन्होंने संघर्ष को और तेज करने की चेतावनी दी है।
बठिंडा में भी किसानों ने सड़कों पर जाम लगाया है, जिससे आवागमन में काफी दिक्कतें आ रही हैं। यहां चार प्रमुख टोल प्लाजा पर धरना जारी है। किसान नेता सिंगारा सिंह मान और हरजिंदर सिंह बग्गी ने कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान न होने की स्थिति में वे स्थायी मोर्चा बनाने का निर्णय ले सकते हैं।
संगरूर में चंडीगढ़-बठिंडा हाईवे पर किसानों का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। किसानों ने मंडियों में धान की खरीद में देरी और डीएपी की कमी पर चक्का जाम किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की और समस्या का समाधान करने की मांग की है। उन्होंने किसानों से अपील की कि सड़क पर बैठना समस्या का समाधान नहीं है।
किसानों ने स्वीकार किया कि उनकी हड़ताल से आम जनता को परेशानी हो रही है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें अनसुनी रहीं, तो वे धरनों की संख्या बढ़ा सकते हैं। किसान नेताओं ने कहा कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों और संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया है, जो किसानों की समस्याओं को उजागर करने के लिए एकजुट हैं। वे एक मजबूत संदेश देना चाहते हैं कि उनकी आवाज को सुना जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए।