गहरी संवेदनाओं की पठनीय रचनाएं
डॉ. प्रद्युम्न भल्ला
डॉ. रघुवीर सिंह बोकन द्वारा संपादित ‘फूलचंद्र सुमन, व्यक्तित्व और कृतित्व’ संस्मरण ग्रंथ में सुमन जी के हिंदी के प्रति असीम प्रेम, श्रद्धा और समर्पण की गहराई को उजागर किया गया है। यह ग्रंथ उनकी हिंदी सेवा और साहित्यिक योगदान का समग्र लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। सुमन जी ने हिंदी को हरियाणा की सीमाओं से बाहर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. धनीराम अग्रवाल के अनुसार, सुमन का जीवन पूरी तरह हिंदी को समर्पित था। उनकी मृत्यु के बाद, विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने उनकी हिंदी के प्रति अगाध निष्ठा की सराहना की, यह कहते हुए कि वे मृत्यु शैया से भी हिंदी के नाम पर उठ सकते थे। सुमन जी ने गुरुग्राम में कई कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदी को एक नई पहचान दिलाई।
सुमन जी का साहित्यिक कार्य सूर्यकांत निराला और नागार्जुन की परंपरा में था। उन्होंने अपनी सारी सुख-सुविधाएं हिंदी के नाम समर्पित कर दीं। उनकी मृत्यु 20 फरवरी 2015 को हुई। मोहन कृष्ण भारद्वाज ने उनकी सहृदयता और सरलता की प्रशंसा की। इस ग्रंथ में सुमन जी की कविताओं और गीतों की झलकियां भी शामिल हैं, जैसे ‘आजादी से प्यार करो’ और ‘एक भी तो हंसने को पाया नहीं’। उनकी रचनाओं में सामाजिक चिंतन और गहरी संवेदनाएं प्रकट होती हैं।
ग्रंथ में सुमन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के छायाचित्र और उनके दोहे भी संजोए गए हैं। यह पुस्तक हरियाणा के शोधार्थियों और पुस्तकालयों के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर है।
पुस्तक : फूलचंद्र सुमन : व्यक्तित्व और कृतित्व संपादक : डॉ. रघुवीर सिंह बोकन प्रकाशक : हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन, गुरुग्राम पृष्ठ : 236 मूल्य : रु. 800.