प्रदेश में स्थापित होगा समर्पित ब्यूरो ऑफ इनवेस्टमेंट प्रोमोशन : सुक्खू
शिमला, 7 जून (निस)
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में निवेश प्रस्तावों को ज़मीन पर उतारने के मकसद से आज शिमला में उद्योग और पर्यटन क्षेत्रों के हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कागजी कार्यवाही में होने वाले अनावश्यक विलम्ब को दूर कर निवेश के वास्तविक क्रियान्वयन को प्राथमिकता देने पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निवेश आकर्षित करने और निवेशकों को सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने एक समर्पित ब्यूरो ऑफ इनवेस्टमेंट प्रोमोशन स्थापित करने की योजना बनाई है। ब्यूरो निवेशकों को एक तय समय सीमा के भीतर एक ही मंच पर ही सभी आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने पर विशेष बल दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश अनुकूल वातावरण प्रदान कर सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि निवेशकों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। बिजली और पानी की निर्बाध आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध होने के कारण हिमाचल निवेशक हितैषी गंतव्य है। उन्होंने कहा कि सरकार मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूत करने पर भी ध्यान क्रेंदित कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य को हर मौसम में पसंदीदा पर्यटन गंतव्य और कांगड़ा जिला को राज्य की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने के प्रयास कर रही है। उन्होंने निवेशकों को पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया।
प्रदेश सरकार को मिला 800 करोड़ का कर्ज़
शिमला (निस) : ओवरड्राफ्ट की समस्या से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार को आज थोड़ी राहत मिली है। सरकार के खजाने में कर्ज़ की 800 करोड़ की रकम आने से राजकोष पर पड़ा दबाव थोड़ा कम होने से सरकार को ये राहत मिली। ऋण की राशि खजाने में आने से अब सरकार पर सिर्फ 200 करोड़ का ओवरड्राफ्ट बाकी रह गया है। केंद्र सरकार ने राज्य के कर्ज लेने की सीमा में कटौती कर दी है। कर्ज लेने की सीमा में कटौती के बाद अब सुखविंदर सरकार आगामी इस साल के अंत तक करीब 4500 करोड़ ही कर्ज़ ले सकेगी। सुक्खू सरकार की दिक्कत ये है कि उसे हर महीने वेतन, पेंशन व ब्याज के साथ कर्ज के मूलधन को चुकाने के लिए ही कर्ज़ लेने की सीमा से दोगुनी रकम चाहिए। ऐसे में केंद्र द्वारा सुक्खू सरकार की कर्ज लेने की सीमा में 5 हजार करोड़ की कटौती के बाद प्रदेश सरकार के सामने विकट परिस्थितियां खड़ी हो चुकी हैं।