डीसीएम का 226 करोड़ का विकास शुल्क बकाया, मगर छिपा रहे अधिकारी
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 7 जनवरी
बिना अनुमति के जमीन की ट्रांसफर डीड बनाने और फिर हरियाणा रियल स्टेट रेगुलेटरी अथोरिटी (हरेरा) से दीन दयाल जन आवास योजना के तहत गुलमोहर कॉलोनी पंजीकृत करवाने वाली दिल्ली क्लॉथ मिल पर हर तरफ किस तरह की मेहरबानी दिखाई जा रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मिल पर इस समय 226 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का विकास शुल्क बकाया है। नगर निगम के अधिकारी इस राशि को रिकवर करने का प्रयास तो दूर इस बारे में सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगने पर भी जानकारी मुहैया नहीं करवा रहा है। हालांकि प्रदेश सरकार के एनडीसी (नो ड्यूज सर्टिफिकेट) पोर्टल से कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रॉपर्टी आईडी का बकाया पता कर सकता है। मामले के अनुसार न्यू ऋषि नगर निवासी कृष्ण सिंधु ने गत 6 नवंबर को सूचना का अधिकार कानून के तहत दिल्ली क्लॉथ मिल लिमिटेड और डीसीएम नोवेली लिमिटेड पर बकाया गृह कर आदि शुल्क की जानकारी मांगी गयी थी। नगर निगम के जन सूचना अधिकारी ने यह जानकारी आज तक नहीं दी है। अधिकारियों ने बाकायदा इस बारे में दिल्ली क्लॉथ मिल लिमिटेड और डीसीएम नोवेली लिमिटेड को पत्र लिखकर मांगी गई सूचना की जानकारी दी है। साथ ही कहा है कि यह सूचना थर्ड पार्टी इन्फोर्मेशन है, इसलिए यह सूचना उपलब्ध करवाने में आपत्ति है तो सात दिन के अंदर बताएं। हालांकि सूचना अभी तक नहीं दी गई है। कृष्ण सिंधु ने बताया कि नगर निगम ने दिल्ली क्लॉथ मिल लिमिटेड और डीसीएम नोवेली लिमिटेड को लिखे इस पत्र की एक प्रति उनको उपलब्ध करवाई है जिसमें दोनों संपत्ति की प्रॉपर्टी आईडी भी लिखी हुई है। जब उसने एनडीसी पोर्टल पर प्रॉपर्टी आईडी से बकाया देय के बारे में जानकारी हासिल की तो वह मिल गई। हालांकि इसके बाद दैनिक ट्रिब्यून ने भी ऑनलाइन जानकारी हासिल की और यही मिली। एनडीसी पोर्टल के अनुसार डीसीएम नोवेली लिमिटेड का 12 लाख, 95 हजार, 275 वर्ग गज का क्षेत्रफल है और इस पर 226 करोड़, 33 लाख, सात हजार, 160 रुपये का विकास शुल्क बकाया है। हालांकि दिल्ली क्लॉथ मिल लिमिटेड पर कुछ भी बकाया नहीं है।
दैनिक ट्रिब्यून की खबर पर निलंबित हुआ था लाइसेंस
नियमों को ताक पर रखकर मिल की जमीन पर कॉलोनी का लाइसेंस लेने के बारे में जब दैनिक ट्रिब्यून ने 15 अप्रैल, 2023 के अंक में खबर प्रकाशित की तो हिसार के तत्कालीन उपायुक्त उत्तम सिंह ने इसकी जांच की और रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी। इसके बाद संबंधित विभाग ने कॉलोनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। हालांकि अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और न ही संबंधित अधिकारी कुछ बोल रहे हैं।
मामले के बारे में निगम मुख्यालय को लिखा पत्र : नीरज
नगर निगम आयुक्त नीरज ने बताया कि मिल के अधिकारियों से जब विकास शुल्क जमा करवाने के लिए नोटिस भेजा तो उन्होंने जवाब दिया कि उनकी मिल वर्ष 1956 की बनी है और नगर पालिका के समय बने संस्थानों पर विकास शुल्क माफ है। इस बारे में मुख्यालय को पत्र लिखा हुआ है, जवाब आने के बाद उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए नहीं बन सकती मिल की जमीन पर कॉलोनी
टैक्सटाइल मिल के लिए 3 सितंबर, 1956 को जो कनवेंस डीड हुई थी उसमें पंजाब सरकार ने क्लॉज 7 में स्पष्ट लिखा है कि क्रेता इस भूमि या इसके किसी हिस्से का उपयोग सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी अन्य उद्देश्य से नहीं करेगा न ही करने की अनुमति देगा जिस उद्देश्य के लिए यह जमीन दी गई है। क्लॉज 10 में लिखा है कि किसी भी शर्त के उल्लंघन पर विक्रेता इस जमीन को रिज्यूम कर सकता है।