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कभी देवीलाल परिवार और अब कांग्रेस का ‘गढ़’ रहे पिल्लूखेड़ा में ‘दादा’ लगा रहे सेंध

12:22 PM Sep 15, 2024 IST

सफीदों, 14 सितंबर (निस)
सफीदों विधानसभा क्षेत्र में अपने चुनाव अभियान में यहां के भाजपा प्रत्याशी ‘दादा’ रामकुमार गौतम पिछले कई दिन से बेहद ‘सॉफ्ट’ व बुजुर्गवा अंदाज में दिख रहे हैं। वह इस हलके के उस इलाके में सेंध लगाने के प्रयास में है जो कई दशक तक चौधरी देवीलाल व उनके परिवार का गढ़ रहा तथा अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य के साथ कांग्रेस का गढ़ कहा जा रहा है। यह सब जातिगत कारणों से है।
सफीदों के इस पिल्लूखेड़ा खंड क्षेत्र में जाट मतदाता बहुसंख्यक हैं जो यहां से किसी उम्मीदवार को विधानसभा भेजने में यदि निर्णायक नहीं तो महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाते हैं। कल ‘दादा’ रामकुमार गौतम ने इस खण्ड क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक गांवों में सभाएं की और इस दौरान उन्होंने अनेक विरोध करने वालों को मोह भी लिया।
पिल्लूखेड़ा गांव की सभा में एक ग्रामीण ने भाजपा प्रत्याशी से सवाल किया कि सफीदों की सभा में आपने यह कहा था कि जो मेरा साथ देगा वह फले-फूलेगा और जो विरोध करेगा उसका बीज भी नहीं जामेगा। इस पर दादा ने बड़ा सलीके से जवाब देते हुए कहा कि उनकी यह टिप्पणी जनता पर नहीं थी बल्कि अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों पर थी और इस टिप्पणी का मतलब भी केवल राजनीति तक सीमित था कोई इसे अन्यथा न ले।
उन्होंने कहा कि कुछ विरोधी इस बात का भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, जो गलत है। दादा ने कहा कि भाई विचार करो कि कितनी नौकरी किस सरकार में बिना सिफारिश व पैसे के मिली हैं। साफ मन से विचार करोगे तो जरूर भाजपा को वोट दोगे जिससे गरीब घर का बेटा नायब सैनी मुख्यमंत्री बनेगा और इससे नरेंद्र मोदी मजबूत होगा।
बता दें कि सफीदों विधानसभा क्षेत्र का पिल्लूखेड़ा खंड क्षेत्र वर्ष 1977 से चौधरी देवीलाल का भक्त हो गया था उसके बाद से वर्ष 2004 तक उन्हीं के परिवार के प्रति समर्पित रहा और कई बार विधायक के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाई। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनने के लक्ष्य के साथ इस खंड के बहुत जाट मतदाता लामबंद है। कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक सुभाष गांगोली को फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। उधर आजाद प्रत्याशी पूर्व विधायक जसवीर देशवाल भी जाट वोट बैंक में सेंध लग रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में गैर जाट वोट बैंक को और हौसला देने तथा जाट वोट बैंक को मोहने के अभियान में दादा लगे हैं। उनके लिए चुनौती बने इस गढ़ में वह कितनी सेंध लगा पाएंगे यह तो समय ही बताएगा, लेकिन रोज कुछ न कुछ ‘जोड़’ जरूर रहे हैं।

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