Cyber Fraud साइबर ठगी में जब बैंक की लापरवाही हो उजागर
ऑनलाइन अपराधी नये-नये हथकंडों से मोबाइल यूजर्स व बैंक खाताधारकों को ठग रहे हैं। फ्रॉड कई तरीकों से हो रहे हैं मसलन, एप इंस्टाल, वीडियो रिकॉर्डिंग, सिम क्लोनिंग व साइबर अरेस्ट के जरिये। जरूरी है जानकारी शेयर न करें। यदि ठगी हो गई है तो पुलिस को सूचना दें। यदि बैंक की लापरवाही से ठगी हुई है तो उपभोक्ता अदालत की शरण में जा सकते हैं।
श्रीगोपाल नारसन
आजकल के हाई प्रोफाइल ठग एपीके फाइल के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इस प्रक्रिया में ओटीपी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ती। इधर आपने एपीके फाइल को इंस्टॉल किया और उधर आपका अकाउंट खाली हो जाएगा। मध्यप्रदेश के रीवा में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां एक होमगार्ड की पत्नी के बैंक अकाउंट से 80 हजार रुपए ठगों ने निकाल लिए हैं। ठग सरकारी योजनाओं से जुड़ी हुई एपीके फाइल भेजकर उपभोक्ता को लाभ पाने का प्रलोभन देते हैं।
आपके व्हाट्सएप पर भेज डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही डाउनलोड करते हैं आपके मोबाइल का एक्सेस साइबर ठग के पास चला जाता है। जब आपके खाते से पैसे कटते हैं तो पता लगता है कि फ्रॉड हो गया। ऐसी हालत में यदि एपीके फाइल इंस्टॉल कर ली है तो मोबाइल डाटा को तुरंत बंद करें। अच्छा तो यही है कि एपीके फाइल डाउनलोड ही न करें। डाटा ऑफ करने के बाद तुरंत मोबाइल रिसेट कर दें। ताकि आपकी कोई जानकारी या बैंक डिटेल साइबर ठग को न मिल पाए। वहीं इन दिनों डिजिटल अरेस्ट का भी एक तरीका सामने आया है। जिसमें पुलिस अधिकारी या सीबीआई अफसर बनकर लोगों को डराया-धमकाया जाता है। फिर उनसे पैसों की डिमांड की जाती है।
वीडियो कॉल कर चंगुल में फंसाना
साइबर फ्रॉड करने का अन्य बड़ा तरीका है जिसमें कोई ठग लड़की वीडियो कॉल करती है, फिर अश्लील कृत्य का ताना-बाना बुनती है। जब तक संबंधित व्यक्ति कुछ समझ पाता है उसकी स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर ली जाती है। फिर वीडियो वायरल करने के बदले उनसे पैसों की डिमांड की जाती है। सामने वाला व्यक्ति प्रतिष्ठा की वजह से ठगों के चंगुल में फंस जाता है और उन्हें पैसे देना शुरू कर देता है।
खाते की क्लोनिंग
बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद कस्बे के एक बड़े व्यापारी के बैंक खाते से साइबर ठग ने बिना ओटीपी लिए ही 17 लाख 70 हजार रुपए को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। व्यापारी के स्टेटमेंट देखने पर ठगी की जानकारी हुई। व्यापारी ने बैंक प्रबंधक और थाना पुलिस से शिकायत की है। साइबर ठगों ने खाते को क्लोन कर इस अकाउंट नंबर पर ऑनलाइन बैंकिंग सेवा चालू करा ली। व्यापारी का आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन बैंकिंग सेवा लेने के लिए बैंक में अप्लाई नहीं किया था। फिर भी फर्म के अकाउंट पर ऑनलाइन सेवा चालू होते ही साइबर ठग ने कई लगातार ट्रांजेशन करके खाते से रुपए निकाल लिए हैं। व्यापारी का कहना है कि उनके पास न तो कोई ओटीपी ही आया और न ही रकम कटने का कोई मेसेज। बैंक स्टेटमेंट देखने पर पता चला।
मोबाइल हैक कर निकाली रकम
इसी तरह के अन्य मामले में बिना ओटीपी आए और बिना एसएमएस के मोबाइल हैक कर अकाउंट से कई लाख रुपये निकाल लिए। साइबर फ्रॉड का यह मामला एक बिजनेसमैन से जुड़ा है। उनकी नरेला में एक बड़ी कंपनी है। ठगी का शिकार हुए बिजनेसमैन ने बताया कि 31 अगस्त की रात उनके फोन पर एक मैसेज आया जो उनके एचडीएफसी बैंक खाते के बारे में था। मैसेज में बताया गया कि आपने नए सिम कार्ड के लिए अप्लाई किया है, सिम जल्द ही भेज दिया जाएगा। लेकिन उन्होंने कोई ऐसा सिम कार्ड मंगवाया ही नहीं था। लेकिन मैसेज मिलने के तुरंत बाद ही फोन ने काम करना बंद कर दिया। उन्हें लगा कि नेटवर्क प्रॉब्लम हो सकती है। फिर एक सितंबर को जब कंपनी में संपर्क किया तो पता चला कि उनको अपनी कंपनी के लेटरहेड पर नया सिम कार्ड लेने की बात लिखकर देनी होगी। उन्होंने ऐसा ही किया व स्टोर द्वारा एक नया सिम कार्ड जारी किया गया।
अगले ही दिन वह जब पीतमपुरा, दिल्ली स्थित एचडीएफसी बैंक गए तो बैंक कर्मचारियों ने बताया कि एक सितंबर को खाते से आठ ट्रांजेक्शन हुई हैं। इसमें 41 लाख रुपये निकाले गए हैं। इस बात से वे हैरान रह गए क्योकि उनके फोन पर न तो पैसे निकलने का कोई ओटीपी आया और न ही कोई मैसेज। उनको पता चला कि उनके फोन को हैक करने के बाद किसी ने उनके नंबर पर नया सिम कार्ड ऑनलाइन ले लिया था जिससे वारदात को अंजाम दिया गया है। इसलिए जरूरी है कि सावधानी बरतें और अपने आधार कार्ड,पैन कार्ड,खाता संख्या आदि किसी को शेयर न करें। साथ ही यदि ठगी हो गई है तो तत्काल पुलिस व साइबर सेल को सूचित कर दें। यदि बैंक की लापरवाही से ठगी हुई है तो सेवा में कमी के लिए हुए नुकसान की बाबत उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दायर कर राहत प्राप्त की जा सकती है। -लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।