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धारा का बहाव

12:45 PM Aug 31, 2021 IST

एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा, ‘भगवन जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं और आप ऊंचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों?’ भगवान बुद्ध बोले, ‘ये बताओ कि पानी झरने के ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?’ आनंद ने उत्तर दिया, ‘झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है। अतः उसके नीचे जाकर ही पानी पिया जा सकता है। भगवान बुद्ध ने कहा, ‘तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा न?’ आनंद ने ‘हां’ में उत्तर दिया। यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले, ‘आनंद! ठीक इसी तरह यदि तुम्हें किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हें देने के लिए भी ऊपर खड़ा होना होगा। यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओगे, जो ज्ञान की सभी धाराओं को अपने में समेट लेता है।’

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प्रस्तुति : सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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