मसाला फसलों की खेती से हो सकता है अधिक लाभ : एसके सिंह
हिसार, 15 अक्तूबर (हप्र)
हकृवि में 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की बैठक का शुभारंभ चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ हुआ, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उप-महानिदेशक (बागवानी) डॉ. एसके सिंह मुख्यातिथि रहे जबकि बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व उप-महानिदेशक (बागवानी), डॉ. एन कृष्णा कुमार, डॉ. वीए पार्थासारथी व एडीजी डॉ. सुधाकर पांडे उपस्थित रहे। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्- केंद्रीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड, कालीकट, केरल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के 40 अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आए वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।
मुख्यातिथि डॉ. एसके सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मसालों की खेती में नर्सरी से लेकर खेत में उत्पादन के बाद प्रसंस्करण पर और अधिक काम करने की जरूरत है ताकि मसालों कि खेती को और अधिक लाभकारी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि मसाले वाली फसलों की खेती करके किसान अन्य फसलों के मुकाबले अधिक लाभ कमा सकते है। किसानों को एफपीओ के सहयोग से समूह बनाकर खेती करने के लिए प्रेरित करने कि जरूरत है। जलवायु में हो रहे परिवर्तनों के कारण एग्रो-क्लाइमेट क्षेत्रों के हिसाब से योजना बनाकर उन्नत किस्मों की खेती करने से अधिक लाभ मिलेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि मसाले न केवल हमारे भोजन में स्वाद और जायका जोड़ते हैं बल्कि हमारे भोजन की गुणवत्ता और औषधीय मूल्यों को भी बढ़ाते हैं। भारत को मसालों और मसाला उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक होने के कारण 'मसालों की भूमि’ के रूप में भी जाना जाता है।