122 एकड़ भूमि को कृषि भूमि बताकर लगाई करोड़ों की चपत
पिंजौर, 17 अक्तूबर (निस)
सन 1997 में पर्यावरण कारणों से बंद हो चुकी स्थानीय सूरजपुर स्थित भूपेन्द्रा सीमेंट वर्क्स की एसीसी सीमेंट फैक्टरी की केवल उद्योगिक प्रयोग के लिए सन 1938 में अधिग्रहण की गई 122 एकड़ जमीन को कथित रूप से कृषि भूमि बताकर न केवल 32 करोड़ रुपये की स्टांप डयूटी की चोरी की गई बल्कि 250 करोड़ से अधिक जमीन की कीमत रजिस्ट्री में केवल 84.55 करोड़ रुपये ही दिखाई गई। इसलिए राजस्व एवं भूमि सुधार निदेशक ने पत्र में रजिस्ट्री पर आपति जताते हुए एसडीएम एवं तहसीलदार कालका की लापरवाही बताई और जमीन की असली कीमत नहीं लगाने का आरोप लगाते हुए रजिस्ट्री के खिलाफ मंडलायुक्त के समक्ष अपील करने को कहा । हालांकि 17 महीने बाद गत मार्च माह में तहसीलदार ने अपील दायर की लेकिन मामला खारिज कर दिया गया। इतना ही नहीं अपील के बाद तहसीलदार का ही तबादला कर दिया गया था।
गौरतलब है कि सीमेंट फैक्टरी लगाने के लिए एसीसी कंपनी ने तत्कालीन पटियाला रियासत के महाराजा से सन 1937 में जमीन मांगी थी । तब महाराजा ने कंपनी को केवल उद्योगिक प्रयोग के लिए ही जमीन देने का करार किया था जिसके बाद गांव सूरजपुर, रजिपुर, रामपुर सियूड़ी की 587 बीघा जमीन अधिग्रहण की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यावरण मामले में सख्त रुख अख्तियार करने के चलते सन 1997 में तत्कलीन प्रदेश सरकार ने मल्लाह स्थित सीमेंट बनाने में प्रयोग होने वाले कंलींकर पत्थर की खदानों की लीज आगे बढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया तब मजबूरन कंपनी को फैक्टरी बंद करनी पड़ी थी। कंपनी ने 1998 में ही मुंबई की बिल्डर कंपनी ओडिसी डिवेल्पर को जमीन 192 करोड़ में बेच दी थी। जिस पर बीसीडब्ल्यू वर्कस यूनियन द्वारा आपत्ति जताने और जमीन की सीएलयू न करने की मांग पर सरकार ने सीएलयू की अनुमति
नहीं दी।
आखिरकार ओडिसी कंपनी ने गत नंवबर 2021 में डिवोक रिएलटर्स को बिना एनओसी के ही बेच दिया। डिवोक ने कथित रूप से कृषि भूमि बताते हुए जमीन की कम कीमत दिखाई। मामले ने जब तूल पकड़ा तो तहसीलदार ने नवंबर 2021 में रजिस्ट्री जब्त कर जांच के लिए एसडीएम को भेज दी। एसडीएम ने जनवरी 2022 में जमीन खरीदार पर मात्र 1.55 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाकर रजिस्ट्री जारी कर दी। इसलिए अब उद्योग विभाग ने उक्त रजिस्ट्री को रद्द करने को कहा है जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।