सनक से सन्न
दिल्ली का बादशाह मोहम्मद तुगलक विद्वान भी था और उदार भी। प्रजा के लिए कई उपयोगी काम भी उसने किए; किंतु दो दुर्गुण ऐसे थे, जिनके कारण वह बदनाम भी हुआ और दुर्गति का शिकार भी। एक तो वह अहंकारी था, किसी की उपयोगी सलाह भी अपनी बात के आगे स्वीकार नहीं करता था, दूसरा जल्दबाज भी इतना था कि जो मन में आए उसे तुरंत कर गुजरने के लिए आतुर हो उठता था। उसी सनक में उसने नई राजधानी दौलताबाद बनाई और बन चुकने पर कठिनाइयोें को देखते हुए रद्द कर दिया। एक बार बिना चिन्ह के तांबे के सिक्के चलाए, लोगों ने नकली बना लिए और अर्थ-व्यवस्था बिगड़ गई। फिर निर्णय किया कि तांबे के सिक्के खजाने में जमा करके, चांदी के सिक्कों में बदल लें। लोग सारा सरकारी कोष खाली कर गए। फिर एक बार चौगुना टैक्स बढ़ा दिया। लोग उसका राज्य छोड़कर अन्यत्र भाग गए। विद्वता और उदारता जितनी सराहनीय है उतनी ही अहंकारिता और जल्दबाजी हानिकारक है। प्रस्तुति : मुकेश ऋषि