गाय भारत की आस्था, अर्थव्यवस्था की धुरी
रेवाड़ी, 5 जनवरी (हप्र)
गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। गाय भारत की आस्था और अर्थव्यवस्था की धुरी और आध्यात्मिक-सांस्कृतिक उन्नति की आधार है। प्रदेश के गौसेवा आयोग की ओर से गांव बगथला स्थित नंदेश्वर गौशाला, गांव सांझरपुर स्थित बाबा हंसनाथ गौशाला, गांव मामड़िया आसमपुर स्थित गौपाल कृष्ण गौशाल व रालियावास स्थित गौशाला में आयोजित चारा अनुदान वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शुक्रवार को पहुंचे सहकारिता एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ. बनवारी लाल ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि गाय को भारत में मां के रूप में जाना जाता है और देवताओं की तरह उसकी पूजा होती है। गाय भारत के लिए केवल एक पशु नहीं है, बल्कि जन-जन की आस्था का केन्द्र है। गौवंश संवर्धन देश की जरूरत है। गाय के संरक्षण, संवर्धन का कार्य मात्र किसी एक मत, धर्म, संप्रदाय या सरकार का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश में रहने वाले हर एक नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म की उपासना करने वाला हो। प्राचीन काल से ही गाय भारतीय संस्कृति व परंपरा का मूल आधार रही है। गंगा, गोमती, गीता, गोविंद की भांति शास्त्रों में गाय भी अत्यंत पवित्र मानी गई है। गोपालन व गौ-सेवा तथा गोदान की हमारी संस्कृति में महान परंपरा रही है। उन्होंने आह्वान किया कि आमजन यह सुनिश्चित करें कि गोवंश सड़कों पर न आवारा न भटकें और वाहनों से टकरा कर घायल न हों।
उन्होंने बगथला गौशाला के लिए 7.54 लाख, रालियावास स्थित गौशाला के लिए 2.83 लाख व सांझरपुर गौशाला के लिए 2.83 लाख की राशि गाय की सेवा के लिए गौशाला कमेटी को देने की घोषणा की।