प्रभावी नेतृत्व के लिए सामंजस्य का कौशल
राजेंद्र कुमार शर्मा
किसी भी संस्थान में लीडर वही व्यक्ति होता है जो अपने अनुभव से लगातार खुद में नेतृत्व के गुणों का विकास करे। जिनमें उसके सामंजस्यपूर्ण व्यवहार और संप्रेषण कला की महत्वपूर्ण भूमिका है। देखा गया है कि कुछ लोग अपने सीनियर या अपने बॉस के ऑफिस में रुतबे को देखकर जल्दी से जल्दी उस मुकाम तक पहुंचना चाहते हैं। ऐसी आकांक्षा रखने में कोई बुराई नहीं, आगे बढ़ने का हरेक को अधिकार है पर अपने अनुभव और योग्यता को ध्यान में रखते हुए। बिना अनुभव के लीडरशिप परिपक्वता के अभाव में कई बार असफल हो जाती है। अनुभव आपकी लीडरशिप को ठोस आधार और स्थायित्व प्रदान कर सकता है।
लीडर कोई भी हो सकता है
ऑफिस में लीडर किसी भी स्तर पर हो सकता है जैसे मान लीजिए किसी ऑफिस या कंपनी में 10 या 15 सपोर्ट स्टाफ कार्यरत हैं। सभी अच्छे से काम करते हैं पर उन्हीं में से कोई एक ऐसा है जिसके काम करने के तरीके में परिपक्वता दिखाई देती है जबकि बाकी अभी उस समझदारी से कार्य नहीं कर पाते हैं तो वही व्यक्ति शेष सभी का मार्गदर्शक बन सकता है यानी वह स्पोर्ट स्टाफ को लीड करने की योग्यता और अनुभव रखता है। इसी तरह एडमिन स्टाफ में कार्यरत लोगों या फिर किसी और विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों में भी लीडरशिप में भिन्नता के गुण देखने को मिल जाते हैं। एक कंपनी का बॉस या हेड भी एक लीडर ही होता है जिसके अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या अधिक हो सकती है। विभाग विशेष का हेड भी एक लीडर ही है यद्यपि उसके अधीनस्थ कर्मचारियों की संख्या कम हो।
बेहतर लीडरशिप के संकेतक
बेहतर लीडर वह होता है, जिसे पता हो कि लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग कौन-सा है। लीडर बनने के लिए सिर्फ मेहनत करना काफी नहीं। आप ऑफिस में बॉस द्वारा दिए गए कार्यों को बाकी साथियों की तुलना में अच्छे से करना जानते हैं, पर यदि आप अन्य लोगों से सामंजस्य नहीं बना पाते हैं तो लीडर की भूमिका नहीं निभा सकते। अक्सर कई लोग ऑफिस में अपनी स्थिति बेहतर करने को अपने सहकर्मियों या वरिष्ठ लोगों से सलाह लेते हैं, जो उन्हें कड़ी मेहनत करने का मशविरा देते हैं। लेकिन अपनी नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने के लिए मेहनत ही एकमात्र साधन नहीं है, आप अपनी प्रतिभा , योग्यता, परिपक्वता व विश्वसनीयता सही ढंग से और सही लोगों तक पहुंचाकर भी अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं।
प्रस्तुतीकरण का हुनर
अपनी योग्यता , अपनी व्यवहार कुशलता और संप्रेषण कौशल को प्रदर्शित करना नेतृत्व गुणों को दिखाने का एक साधन है। अंतर्मुखी लोगों के लिए परिस्थितियां तब अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं, जब वे अपने कार्यों को ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पाते। इसलिए आपको अपने काम के बहाने स्वयं को प्रदर्शित करने की कला आनी चाहिए अर्थात अपनी ब्रांडिंग स्वयं करना आना चाहिए। चुनौतियों से बचने की प्रवृत्ति ठीक नहीं। अगर आप लीडर बनना चाहते हैं, तो समस्याओं के नए समाधान ढूंढ़ने में नवाचार लाने का प्रयास करें। प्रभावशाली संप्रेषण हेतु प्रयासरत रहें, संप्रेषण के माध्यम से अपने बॉस के साथ अच्छा संबंध बनाने की कोशिश करें। एक अच्छे लीडर के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए योग्यता, परिपक्वता , अनुभव व साहस जैसे गुण भी चाहिये।
टीम को श्रेय देने की प्रवृत्ति
एक अच्छा और कुशल लीडर वही होता है जो कार्य में सफलता श्रेय स्वयं से पहले अपनी टीम को, अपने सहकर्मियों को देता है। जो कार्य आपकी लीडरशिप में सफल हुआ है , आपके बॉस की नजर में आपका कद अपने आप ही बढ़ जाता है परंतु जिन सहकर्मियों के कारण यह संभव हो पाया, वे सिर्फ आपसे ही अपनी प्रशंसा की अपेक्षा कर सकते हैं। आपके द्वारा , अपने कार्य की सफलता का श्रेय अपने सहकर्मियों को देना, उनकी नजरों में आपको डाउन टू अर्थ जैसे सम्मानजनक व्यवहार का अधिकारी बनाता है।
आप कंपनी में एक टीम का हिस्सा हैं, पर टीम में रहते हुए अन्य साथियों की तुलना में अलग दिखना चाहते हैं या आप चाहते हैं कि सहकर्मी आपको एक लीडर के रूप में मान्यता दें, तो शुरूआत सामूहिक प्रयास से करें। अपनी क्षमता व कौशल विकसित करने के लिए टीम की उपलब्धियों के बारे में बात करें।
सहकर्मियों से व्यवहार
सामंजस्य वह मानवीय गुण है जो किसी भी व्यक्ति को किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति से बाहर निकाल सकता है। कार्यक्षेत्र पर यही गुण , व्यक्ति को एक कुशल लीडर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आप अपने संस्थान के किसी भी विभाग में कार्यरत हो, आपकी अपनी कार्य कुशलता पर कितनी भी पकड़ हो, पर समस्या यह है कि बेहतर प्रदर्शन ही लीडरशिप क्षमता प्रदर्शित करने का एकमात्र माध्यम नहीं है, बल्कि सहकर्मियों के साथ आपकी सामंजस्य क्षमता , अच्छा व्यवहार भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। लीडर की जिम्मेदारी है कि वह अपने सहकर्मियों को टीम में मौलिकता और नवाचार की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करे ताकि स्वस्थ बॉन्डिंग का
निर्माण हो।