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कांग्रेस : जजपा राज्यपाल को लिखे समर्थन वापसी का पत्र जजपा : कांग्रेस पेश करे दावा, हम बाहर से करेंगे सपोर्ट

08:04 AM May 09, 2024 IST
कांग्रेस   जजपा राज्यपाल को लिखे समर्थन वापसी का पत्र जजपा   कांग्रेस पेश करे दावा  हम बाहर से करेंगे सपोर्ट
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 मई
हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के अल्पमत में आने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। हालांकि, प्रमुख विपक्षी दल होने के बावजूद कांग्रेस अभी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के मूड में नहीं है। कांग्रेस ने गेंद 10 विधायकों वाली जजपा के पाले में डाल दी है। वहीं, जजपा ने दो-टूक कह दिया है- सबसे बड़ा दल होने के नाते अगर कांग्रेस सरकार गिराने के लिए कदम उठाएगी तो जजपा उसे बाहर से समर्थन देने को तैयार है। इस पूरे घटनाक्रम में इनेलो विधायक अभय चौटाला और महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पर सभी की नज़रें हैं। दूसरी ओर, सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल ने कहा कि सरकार को किसी तरह का संकट नहीं है।
मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने के बाद सियासी माहौल गरम है। 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में वर्तमान में कुल 88 विधायक हैं। करनाल से मनोहर लाल और रानियां से रणजीत सिंह के इस्तीफे के बाद दो सीटें खाली हैं। ऐसे में 88 विधायकों के संख्या बल के हिसाब से नायब सरकार को बहुमत के लिए 45 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के 40 विधायकों के अलावा सिरसा से हलोपा के गोपाल कांडा और दो निर्दलीय विधायकों- बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद और पृथला से नयनपाल रावत का लिखित समर्थन सरकार के पास है।
कांग्रेस को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा के मानसून सत्र का इंतजार करना होगा। इससे पहले कांग्रेस राज्यपाल को पत्र लिखकर कह सकती है कि मौजूदा सरकार अल्पमत में है। ऐसे में सरकार को भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और प्रदेश में विधानसभा के चुनाव करवाए जाएं। यह भी कांग्रेस नेताओं द्वारा मौखिक रूप से कहा जा रहा है, कोई पत्र नहीं लिखा है। कांग्रेस सरकार बनाने का दावा इसलिए पेश नहीं कर सकती, क्योंकि उसके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है। कांग्रेस के 30 विधायक हैं। जजपा के 10 विधायकों के समर्थन के बिना कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाएगी। जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा- जजपा को समर्थन वापसी का पत्र लिखने की जरूरत इसलिए नहीं है, क्योंकि जजपा ने नायब सरकार को समर्थन दिया ही नहीं है। जजपा ने मनोहर सरकार को समर्थन दिया था। गठबंधन टूटने के साथ ही समर्थन खत्म हो गया। आफताब अहमद ने कहा कि अभय और बलराज कुंडू भी विपक्ष के विधायक हैं। ऐसे में उन्हें राज्यपाल को अल्पमत की सरकार के खिलाफ पत्र लिखना चाहिए।

राष्ट्रपति शासन लगाया जाए : कुंडू

महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू का कहना है कि प्रदेश सरकार अल्पमत में आ चुकी है। सरकार को भंग करके राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और फिर से विधानसभा के चुनाव हों। उन्होंने कहा कि अगर जजपा ने समर्थन नहीं दिया होता तो सरकार कभी की गिर गई होती।

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जजपा पर इसलिए भरोसा नहीं

कांग्रेस सरकार बनाने का दावा इसलिए पेश नहीं करना चाहती, क्योंकि उसे जजपा पर भरोसा नहीं है। जजपा नेतृत्व भले ही कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने को राजी है, लेकिन जजपा के 10 विधायकों में से 6 ‘बागी’ हो चुके हैं। नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा व बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग खुलकर लोकसभा में भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे हैं। टोहाना विधायक देवेंद्र बबली और नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम का रुझान भी भाजपा की ओर है। गुहला के विधायक ईश्वर सिंह कांग्रेस में जाने की लगभग तैयारी कर चुके हैं। शाहबाद विधायक रामकरण काला ने भी कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दे दिए हैं।

यह है कांग्रेस व जजपा का स्टैंड
समर्थन वापस ले जजपा : आफताब अहमद

2019 के चुनावी नतीजों के बाद से ही भाजपा अल्पमत में है। जजपा के 10 विधायकों के समर्थन से सवा चार वर्षों तक सरकार चली। जजपा राज्यपाल को पत्र लिखकर भाजपा से समर्थन वापस ले। राज्यपाल को यह बताना होगा कि सरकार अल्पमत में है और बहुमत खो चुकी है। इसके बाद कांग्रेस अपना अगला कदम उठाएगी।
-आफताब अहमद, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता

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हम मनोहर सरकार के साथ थे : दुष्यंत

हमने मनोहर सरकार को समर्थन दिया था। मौजूदा सरकार को हमारा समर्थन नहीं है। कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल है। ऐसे में कोई भी नयी पहल कांग्रेस को करनी है। अगर कांग्रेस भाजपा की सरकार गिराने के लिए कदम बढ़ाएगी तो जन नायक जनता पार्टी उसे बाहर से समर्थन करेगी। कांग्रेस ने हमारे साथ अभी तक किसी तरह का संपर्क नहीं किया है।
-दुष्यंत चौटाला, पूर्व उपमुख्यमंत्री

दिनभर ऐसे चला सियासी घटनाक्रम
चिंता की कोई बात नहीं : मनोहर लाल

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तीन निर्दलीय विधायकों की समर्थन वापसी पर टिप्पणी करते हुए कहा- चुनावी माहौल है। कौन किधर जाता है या किधर से आता है, इसका कोई खास अंतर पड़ने वाला नहीं है। बहुत से विधायक हमारे भी संपर्क में हैं। इसलिए किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।

सरकार के साथ था, हूं और रहूंगा : नयनपाल रावत

पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने कहा कि वे पहले दिन से सरकार के साथ थे, हैं और आगे भी रहेंगे। निर्दलीय विधायकों को कुछ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन जब कुछ नहीं मिला तो वे निराश हो गए। अब शायद, उन्हें लगा कि उनका भविष्य कांग्रेस में सुरक्षित है। मेरे से किसी ने संपर्क नहीं किया। शायद, इसलिए क्योंकि उन्हें पता है कि मैं भाजपा में ही रहने वाला हूं।

हुड्डा की ख्वाहिशें पूरी नहीं होंगी : विज

पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हुड्डा को अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है। उनकी ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होंगी। अभी हमारे तरकश में कई तीर हैं। हमारी सरकार ट्रिपल इंजन की सरकार है। उन्होंने कहा कि मुझे दुख है कि तीन विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया।

जजपा, भाजपा की ही बी टीम : भूपेंद्र हुड्डा

bhupinder hoodaपूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा और जजपा ने गठबंधन समझौते के तहत ही तोड़ा। जजपा, भाजपा की ही बी टीम है। जजपा के नेता जो बात मीडिया में कह रहे हैं वे लिखकर राज्यपाल को दें। इसके बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करेगा। राज्य में अल्पमत की सरकार है और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। 88 विधायकों में से 45 सरकार के खिलाफ हैं।

समर्थन वापसी की सूचना नहीं : ज्ञानचंद गुप्ता

विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि विधानसभा में जो स्थिति पहले थी, वही अब है। मुझे मीडिया से जानकारी मिली है, लेकिन लिखित में तीन विधायकों के समर्थन वापसी की सूचना नहीं है। फिलहाल भाजपा के 40, कांग्रेस के 30, जजपा के 10 के अलावा छह निर्दलीय और हलोपा व इनेलो के एक-एक विधायक हैं। समर्थन का फैसला राज्यपाल करेंगे कि पहले दिया हुआ समर्थन सही था या अब ठीक है। जब अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उसके छह महीने बाद ही दूसरा प्रस्ताव लाया जा सकता है। स्पीकर ने कहा कि सरकार अल्पमत में नहीं है। सरकार पूरी तरह से इंटेक्ट है। विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला राज्यपाल करेंगे।

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