सड़क दुर्घटनाएं रोकने को व्यापक रणनीति बने
रमेश पठानिया
सोमवार को कुल्लू जिले की सैंज घाटी में हुए बस हादसे में 16 स्कूली बच्चों की जान चली गयी है और काफी लोग घायल हुए हैं। बस में 45 लोग सवार थे। हिमाचल में प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं की दिल दहला देने वाली खबरें देखने और सुनने को मिलती हैं। कुछ सालों से इन दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है
हिमाचल समेत देश के पर्वतीय राज्यों में भूस्खलन, आकस्मिक बाढ़ और सड़क दुर्घटनाएं अधिक संख्या में होती हैं, लेकिन इन सब के लिये प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को ही जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। देश में हर वर्ष डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। भारत में दुर्घटनाओं की संख्या प्रतिवर्ष 5 लाख के करीब है। देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि 2025 तक इन दुर्घटनाओं की संख्या 50 प्रतिशत कम हो जायेगी। बहुत से सड़क सुधार और वाहनों को सुरक्षा की कसौटी पर परखने के कड़े नियम बनाये जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, 2019 -2020 में 1791 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 671 लोगों की जानें गयीं और 2520 लोग बुरी तरह जख्मी हुए। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की आबादी 68.6 लाख थी, तब प्रति हज़ार नागरिकों में 107 के पास वाहन थे। वर्ष 2019 में वाहनों की संख्या बढ़कर 16 लाख हो गयी है। हिमाचल में पर्यटक मौसम में करीब दस हज़ार वाहन प्रतिदिन हिमाचल आते हैं, जैसे ही देश महामारी की स्थिति से उबरेगा, वाहनों की खरीद और भी बढ़ेगी और प्रदेश में वाहनों की संख्या भी।
हिमाचल में सड़क हादसों के कुछ मुख्य कारण हैं, खराब सड़कें, भौगोलिक स्थिति, वाहनों का तेज़ रफ्तार से चलना, चालकों का नशे का सेवन करना, तेज़ गाड़ी चलाना तथा नए बन रहे एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा के नियमों का पालन न करना। या फिर वाहनों का प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ जाना।
वर्ष 2018 तक देश में सड़कों पर 5803 ब्लैक स्पॉट थे, जहां पर सबसे अधिक सड़क हादसे हुए। हिमाचल प्रदेश में 116 ऐसे ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये गए हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार इन ब्लैक स्पॉट्स को दुर्घटना रहित बनाये जाने पर काम किया जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनुसार, वर्ष 2019-2020 में 729 ब्लैक स्पॉट्स का सुधार देश के राजमार्गों पर किया गया, वर्ष 2020-21 में 1103 ब्लैक स्पॉट्स को दुर्घटना रहित बनाया गया। वर्ष 2022 में 790 ब्लैक स्पॉट्स और 2023 में 791 ब्लैक स्पॉट्स को ठीक किया जाएगा। आंकड़ों के अनुसार 3996 ब्लैक स्पॉट्स में 57329 दुर्घटनाएं हुईं और 28765 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। सड़क दुर्घटनाओं के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि ये दुर्घटनाएं रोककर लोगों की जान बचाई जा सकती थी। इन सड़क हादसों से देश के जीडीपी को 3.1 प्रतिशत का नुकसान हुआ।
हिमाचल में कुछ चौड़ी सड़कों को छोड़ कर अधिकतर सड़कें संकरी हैं, पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से सड़कों के रखरखाव में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम, अधिक बरसात, बर्फबारी भी सड़कों के रखरखाव में बाधा डालती है, लेकिन प्राकृतिक कारण तो रहेंगे ही, सरकार को प्रदेश की सड़कों पर और ‘ब्लैक स्पॉट्स’ ढूंढ़ने होंगे जहां पिछले दो सालों में सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। साथ ही उनको ठीक करना होगा।
हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के चालकों व प्रबंधन को इन हादसों के प्रति अधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है। प्रदेश में सरकारी और गैर-सरकारी बसें प्रदेश वासियों के यातायात का अहम साधन हैं, लेकिन अक्सर बसों में ओवरलोडिंग की जाती है, बसें खचाखच भरी रहती हैं, कई बार बसों की छतों पर भी यात्री सफर करते हैं। प्रदेश में 2850 रूट हैं जिन पर हिमाचल पथ परिवहन की 3200 से अधिक बसें चलती हैं यह आंकड़े 2018 के हैं, करीब 3500 बसें निजी संस्थानों की भी चलती हैं। सरकार को सख्ती से बसों की फिटनेस, चालकों के स्वास्थ्य को लेकर जांच और उनकी मानसिक थकान के लिये भी समय-समय पर जानकारी हासिल करनी होगी। शराब तथा दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन भी अधिकतर दुर्घटनाओं का कारण बनता है। बस तथा दूसरे वाहन चालकों को दिए जाने वाले चालक लाइसेंस पूरी चालन निपुणता को देख कर ही प्रदान किये जाने चाहिए। प्रदेश में चलने वाली सभी बसों में जीपीएस की व्यवस्था की जानी चाहिए, जितने भी राजमार्ग हैं उन पर गति सीमा का उल्लंघन कर रहे चालकों को न केवल चेतावनी देनी होगी, बार-बार उल्लंघन करने पर उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द कर देना चाहिए। परिवहन निगम की हाईवे पेट्रोल को चालकों एवं सहचालकों को नशीले पदार्थों के सेवन के लिये अचानक चेक करना होगा। दरअसल, लगातार काम से चालक मानसिक और शारीरिक तौर पर थक जाते हैं, उनकी स्थितियों से निपटने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है और तुरंत कोई निर्णय लेने की भी। निजी चालकों का भी हिमाचल की सड़कों पर कई जगह नशीले पदार्थों के सेवन का टेस्ट होना चाहिए। अधिकतर दुर्घटनाएं नशे में ही होती हैं। साथ ही अन्य जरूरी कदम भी उठाने होंगे।