चौटाला की ‘बहुओं’, ‘भाई’ और ‘शागिर्द’ के बीच मुकाबला
कुमार मुकेश/ हप्र
हिसार, 27 अप्रैल
हिसार लोकसभा सीट से कांग्रेस के तीन बार सांसद रहे जयप्रकाश ‘जेपी’ के नाम की घोषणा के बाद अब इस सीट पर मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भाई व दो पुत्रवधुओं और एक शागिर्द के बीच हो गया है। भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला मैदान में हैं। वहीं जजपा से उनके बड़े पुत्र अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना सिंह चौटाला और इनेलो से छोटे भाई प्रताप सिंह चौटाला की पुत्रवधू सुनौना चौटाला मैदान में हैं। अब हिसार में चाचा ससुर-बहू, देवरानी-जेठानी के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के शागिर्द के बीच हो गया है। लोकतंत्र रक्षा मंच के अध्यक्ष एवं राजनीतिक विश्लेषक जोगेंद्र हुड्डा तपासेवाला के अनुसार, जेपी ताऊ देवीलाल का नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री चौ़ ओमप्रकाश चौटाला का शागिर्द रहा है। 1984 के हिसार लोकसभा चुनाव में जेपी, चौधरी बीरेंद्र सिंह का कार्यकर्ता था और बीरेंद्र सिंह ने ओमप्रकाश चौटाला को शिकस्त दी थी। इसके बाद जेपी ने चौटाला के कार्यालय के बाहर नारेबाजी करनी शुरू कर दी और व्यक्तिगत टिप्पणियां भी की लेकिन सुरेंद्र बरवाला (हिसार से पूर्व सांसद) ने जेपी की ओमप्रकाश चौटाला से मुलाकात करवा दी। इसी दौरान वर्ष 1987 के विधानसभा चुनाव में जेपी ने सुरेंद्र बरवाला के लिए बरवाला विधानसभा सीट से पैरवी की और उनको टिकट मिल गई और वे विधायक बन गए।
जेपी का उदय
इसी दौरान ताऊ के शागिर्द किलोई हलके के राज सिंह हुड्डा को पार्टी के युवा प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर ओमप्रकाश चौटाला ने जेपी को युवा का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया और एक जीप नंबर 4977 दिलवा दी और फिर जेपी ग्रीन ब्रिगेड का अध्यक्ष बन गया। इसी दौरान ओमप्रकाश चौटाला ने वर्ष 1989 के चुनाव में हिसार लोकसभा सीट से जनता पार्टी की टिकट दिलवा दी और उन्होंने कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह को हरा दिया। सांसद बनने पर जेपी को केंद्र में उप मंत्री भी बनवा दिया। बाद में गैस एजेंसियों के एक मामले में जेपी और ओमप्रकाश चौटाला के बीच अनबन हो गई और जेपी ने असम गण परिषद की तर्ज पर हरियाणा गण परिषद बनाई जिसका बाद में हविपा में विलय कर दिया। वर्ष 1996 में जेपी ने हविपा की टिकट से हिसार लोकसभा चुनाव और नरवाना विधानसभा चुनाव लड़ा। जेपी हिसार लोकसभा चुनाव जीत गए लेकिन नरवाना विधानसभा चुनाव कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला से हार गए और ओमप्रकाश चौटाला तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद वर्ष 2004 में जेपी ने कांग्रेस से हिसार लोकसभा सीट से चुनाव जीता।
रणजीत और जेपी दूसरी बार आमने-सामने
हिसार लोसकभा चुनाव में रणजीत सिंह चौटाला और जय प्रकाश ‘जेपी’ दूसरी बार आमने-सामने हैं। पहली बार दोनों का मुकाबला 1989 के लोकसभा चुनाव में हुआ था और दोनों ही हार गए थे। इस चुनाव में जेपी के चाचा सुरेंद्र सिंह बरवाला हरियाणा लोकदल (आर) से सांसद बने। हविपा से ओमप्रकाश जिंदल दूसरे नंबर पर, समाजवादी जनता पार्टी (आर) से जयप्रकाश जेपी तीसरे और कांग्रेस से रणजीत सिंह चौथे नंबर पर रहे थे।
रणजीत सिंह चौटाला भाजपा प्रत्याशी
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ़धरी देवीलाल के तीसरे नंबर के पुत्र हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और पूर्व विधायक स्वर्गीय प्रताप सिंह चौटाला इनके बड़े भाई हैं जबकि स्वर्गीय जगदीश चौटाला इनके छोटे भाई थे। वर्ष 2019 के चुनाव में रानिया विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने । भाजपा ने इनको हिसार से प्रत्याशी घोषित किया है।
नैना सिंह चौटाला जजपा विधायक
नैना सिंह चौटाला देवीलाल के ज्येष्ठ पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बड़े पुत्र व पूर्व सांसद डॉ़ अजय सिंह चौटाला की पत्नी और जजपा विधायक है। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां नैना सिंह चौटाला हैं। नैना चौटाला के छोटे पुत्र दिग्विजय चौटाला भी विधायक और सासंद का चुनाव लड़ चुके हैं । 2019 में बाढ़डा से जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
सुनैना चौटाला इनेलो नेता
सुनैना चौटाला भी चौ़. देवीलाल के बेटे प्रताप सिंह चौटाला की पुत्रवधू हैं। प्रताप चौटाला भी विधायक रहे हैं। उनके बेटे रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला अब इनेलो में सक्रिय हैं और महिला विंग की प्रधान महासचिव हैं। प्रताप सिंह चौटाला वर्ष 1967 से ऐलनाबाद से विधायक बने थे। 2007 में उन्होंने हजकां और फिर 2010 में कांग्रेस ज्वाइन की थी। 2014 में उनकी मृत्यु हो गई।