सुपर ब्रेन योग के बनते संयोग
दिव्यज्योति ‘नंदन’
ब्रेन योग या सुपर ब्रेन योग वास्तव में दिमाग की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने का एक तरीका है। पिछली पीढ़ियों के लोग जहां योग का इस्तेमाल अपनी मानसिक एकाग्रता के लिए करते रहे हैं, वहीं अब नई पीढ़ी के लोग दो कदम आगे बढ़कर ब्रेन योग या सुपर ब्रेन योग के जरिये न सिर्फ अपनी मानसिक एकाग्रता को बढ़ाते हैं बल्कि इसे और ज्यादा बेहतर बनाकर मानसिक तीव्रता हासिल करने की कोशिश करते हैं। दरअसल सुपर ब्रेन योग एक किस्म का मानसिक व्यायाम है। यह मस्तिष्क की तरंगों को खासतौर पर चैनलाइज करने की प्रक्रिया है और इस पर नियंत्रण करके हम अपने दिमाग को पारंपरिक तरीके से कहीं बेहतर रूप में विकसित कर सकते हैं। इसके जरिये हम अपने दिमाग के विभिन्न हिस्सों में न सिर्फ मजबूत संबंध स्थापित कर सकते हैं बल्कि उन्हें खास तौरपर नियंत्रित कर सकते हैं।
व्यक्तित्व और कार्यप्रणाली पर असर
ब्रेन योग से दिमाग का फोकस बढ़ता है, दिमागी ऊर्जा का जबरदस्त संचार होता है। इसके कुछ अन्य फायदे ऐसे लोगों के समूचे व्यक्तित्व में दिखते हैं। ऐसे लोगों के कार्य कलापों में उनकी कुशलता या स्मार्टनेस दिखती है।
मानसिक क्षमता व रचनात्मकता में वृद्धि
ब्रेन योग वास्तव में मनोवैज्ञानिक संतुलन साधने की तरकीब है। इससे हमारे सोचने की क्षमता बढ़ती ही है, सोचने की दिशा ज्यादा रचनात्मक भी बनती है। याद्दाश्त बढ़ना तो इस योग के शुरुआती और बहुत मामूली फायदों में से है। जब हम नियमित रूप से सुपर ब्रेन योग की प्रैक्टिस करते हैं और इसमें दक्षता हासिल कर लेते हैं तो इसका असर हमारे किये गये कामों और लिए गये निर्णयों में भी दिखता है। तब हमारे काम ज्यादा सफाई से किए गए होते हैं और हमारे लिए गये निर्णय कहीं ज्यादा स्पष्ट और प्रभावशाली होते हैं।
तकनीकी भाषा में कहें तो सुपर ब्रेन योग दिमाग के दो हिस्सों को एक साथ नियंत्रित करने का तरीका है। सामान्य लोगों में दिमाग का जब दायां हिस्सा काम कर रहा होता है तो बायां हिस्सा निष्क्रिय होता है और जब बायां हिस्सा काम कर रहा होता है तो आमतौर पर दायां हिस्सा काम नहीं कर रहा होता है। लेकिन ब्रेन योग के जरिये हम अपने मस्तिष्क पर इस किस्म का नियंत्रण हासिल कर सकते हैं कि हमारे दिमाग के दोनों हिस्से एक ही समय पर एक ही दिशा में सक्रिय हों। इस तरह ऐसे लोगों की दिमागी क्षमता ज्यादा बढ़ जाती है, जो ब्रेन या सुपर ब्रेन योग जानते हैं।
सजा बनाम बौद्धिक क्षमता
सामाजिक व्यवहार में कुछ ऐसी गतिविधियां शामिल होती हैं, जिनका मतलब हम नहीं जानते, लेकिन वे दूरगामी लक्ष्य साध रही होती हैं। जैसे पुराने जमाने में शिक्षक अकसर छात्रों को दोनों कान पकड़ने या मुर्गा बनने की सजा देते थे। हम समझते थे कि इसका मकसद विद्यार्थियों को सजा देना है। लेकिन अब योगाचार्य बता रहे हैं कि वास्तव में यह सजा एक सुपर ब्रेन योग था। एक साथ दोनों कान पकड़ने या मुर्गा बनने से दिमाग का ग्रे-मैटर बढ़ता है और इससे हमें निर्णय लेने में सहूलियत होती है व निर्णय क्षमता बढ़ती है।
याददाश्त में बढ़ोतरी
आजकल योगाचार्य उन पैरेंट्स को जिनके बच्चे पढ़ने-लिखने में काफी कमजोर होते हैं, उन्हें मारने-पीटने की बजाय उनसे सुपर ब्रेन योग कराने के लिए कहते हैं, क्योंकि ऐसा करने से उनकी याद्दाश्त व सोचने की क्षमता बढ़ जाती है। यहां भी वही नियम लागू होता है कि हम कुछ ऐसी गतिविधियों पर फोकस करते हैं कि हमारे दाहिने और बायें मस्तिष्क का तालमेल बनता है।
कैरियर के लिए लाभकारी
ब्रेन योग को सही तरीके से करते हुए हम अपना शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास बहुत अच्छी तरह से कर सकते हैं। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा सफल और लोकप्रिय हो सकते हैं, तो कैरियर के मामले में भी हम संभावित ऊंचाई छू सकते हैं। हाल के दिनों में दुनिया के कई हिस्सों में सुपर ब्रेन योग को लेकर शोध हुए हैं और माना गया है कि इसके नियमित अभ्यास से सामान्य दिमाग को भी विशेष दिमाग बनाया जा सकता है। इसलिए नई पीढ़ी में सामान्य योग की जगह ब्रेन या सुपर ब्रेन योग का क्रेज ज्यादा है। -इ.रि. सें.