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18 को चुना जाएगा सीएलपी लीडर, केंद्रीय पर्यवेक्षक भी आएंगे

09:05 AM Oct 16, 2024 IST

चंडीगढ़, 15 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद 18 अक्तूबर को हरियाणा के कांग्रेस विधायकों की पहली बैठक चंडीगढ़ में होगी। सेक्टर-9 स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में विधायक दल की बैठक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में होगी। विधानसभा चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा से बाहर के तीन नेताओं की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई है।
कमेटी के चेयरमैन राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। उनके साथ पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और वरिष्ठ नेता अजय माकन बतौर सदस्य शामिल किए हैं। विधायक दल की बैठक में भी ये तीनों नेता मौजूद रहेंगे। इनकी मौजूदगी में ही कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता का फैसला होगा। पिछले पांच वर्षों यानी 2019 से अभी तक पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे।
कांग्रेस को इस बार भी विपक्ष में ही बैठना होगा। एंटी हुड्डा खेमा विधानसभा चुनावों में हार के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान को जिम्मेदार ठहरा रहा है। टिकट आवंटन से लेकर चुनाव प्रचार में एकतरफा चलाने की वजह से ही कांग्रेस की हार हुई, ऐसा अब कांग्रेस के कई नेता आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फिर से विधायक दल का नेता चुने जाने के आसार कम हैं। सीएलपी लीडर के लिए तीन नेताओं के नाम चर्चाओं में हैं। इनमें पूर्व स्पीकर अशोक अरोड़ा, पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल व पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई शामिल हैं।
अशोक अरोड़ा और गीता भुक्कल की गिनती हुड्डा के नजदीकियों में होती है। वहीं चंद्रमोहन बिश्नोई को पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का नजदीकी माना जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि सीएलपी लीडर के लिए सैलजा की ओर से ही चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे बढ़ाया गया है। चंद्रमोहन बिश्नोई भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ़ भजनलाल के बड़े बेटे हैं।
थानेसर से नायब सरकार में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा को चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे अशोक अरोड़ा राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के अलावा विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस गैर-जाट कार्ड खेलते हुए इस बार अरोड़ा पर दाव लगा सकती है। पंजाबी समुदाय के अशोक अरोड़ा लम्बे समय तक इनेलो में सक्रिय रहे हैं। वे इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। कई साल पहले उन्होंने इनेलो छोड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
वहीं लगातार पांचवीं बार विधायक बनी गीता भुक्कल हुड्डा सरकार में शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी हैं। पहली बार उन्होंने 2005 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कलायत हलके से जीत हासिल की थी। 2008 के परिसीमन में कलायत ओपन होने के बाद उन्होंने 2009 का चुनाव झज्जर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस बार गीता भुक्कल ने झज्जर सीट पर जीत का चौका लगाया है। 2014 और 2019 में भी वे यहां से चुनाव जीती थीं। हुड्डा से नजदीकियों के चलते उनका नाम भी सीएलपी लीडर के लिए लिया जा रहा है।

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प्रदेशाध्यक्ष बदलने की अटकलें

कुमारी सैलजा को बदलकर कांग्रेस ने चौ़ उदयभान को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। कुर्सी संभालते ही उदयभान ने ऐलान किया था कि अगले कुछ ही दिनों में संगठन का गठन हो जाएगा, लेकिन वे अपना संगठन तक नहीं बना सके। उदयभान खुद होडल हलके से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन वे खुद ही चुनाव हार गए। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व अब प्रदेशाध्यक्ष बदलने को लेकर भी गंभीरता से मंथन कर रहा है। नये प्रधान के लिए एक बार फिर कुमारी सैलजा का नाम चर्चाओं में आ गया है।

प्रदेश प्रभारी भी बदले जाएंगे : दिल्ली से जुड़े कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की हार की गाज हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया पर भी गिरेगी। हालांकि विगत दिवस वे खुद के अस्वस्थ होने का हवाला देकर खुद ही पार्टी नेतृत्व को इस जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह कर चुके हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, दीपक बाबरिया के वर्किंग स्टाइल से काफी नाराज हैं। टिकट आवंटन में बाबरिया ने भी उन अधिकारियों नेताओं के दिल्ली बुलाकर इंटरव्यू लिए, जिन्होंने टिकट के लिए आवेदन किया था। टिकट आवंटन के बाद अधिकांश टिकटार्थी बाबरिया की भूमिका पर सवाल उठाते रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव तो पहले ही खुलकर बाबरिया की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके थे।

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