चर्चा के लिए मौत की मसखरी
09:09 AM Feb 19, 2024 IST
अभिनेत्री पूनम पांडे को सुर्खियों में रहने की लालसा रहती है और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहती है। मगर इस बार तो इस अभिनेत्री ने ऐसा भद्दा मजाक किया कि उन्हें माफ नहीं किया जा सकता। अपनी सर्वाइकल कैंसर से मौत की झूठी खबर फैलाई। इस प्रकरण ने तमाम सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं के साथ मजाक किया। इस अफवाह के साथ उसने कैंसर सरवाइवर, डॉक्टर और विशेषज्ञों द्वारा इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने के वर्षों के प्रयास को क्षति पहुंचाई है। प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
पूनम पांडे ने सोशल मीडिया पर सर्वाइकल कैंसर से मौत की अफवाह फैलाकर मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। उसने अपने स्पष्टीकरण में सर्वाइकल कैंसर के उपचार-निदान के प्रति चेतना जगाने का हथियार बनाया। अपनी मौत की अफवाह फैलाकर केवल सुर्खियों में आने का नायाब तरीका है। अभिनेत्री द्वारा मानवता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ सामाजिक मान-मर्यादाओं का उल्लंघन है। फिल्म उद्योग को पूनम पांडे का बहिष्कार करने की सज़ा देनी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल अभिनेत्री पूनम पांडे ने सोशल मीडिया पर सर्वाइकल कैंसर से अपनी मौत की अफवाह फैलाकर सनसनी पैदा कर दी। इससे पता चलता है कि यह सब न केवल पब्लिसिटी स्टंट था बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ करना भी था। बाद में पूनम पांडे ने कहा कि उसने तो सर्वाइकल कैंसर से बचने तथा इसके इलाज से ठीक होने के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए यह सब किया था! इस संवेदनहीन व्यवहार के लिए पूनम पांडे को माफी मांगनी चाहिए। फिल्म तथा टीवी उद्योग को उसका बहिष्कार करना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
पूनम पांडे ने अपनी मौत की अफवाह फैलाकर अपने को मशहूर करने की कोशिश की तो यह उसकी गलतफहमी थी। अगर पूनम पांडे ने अपनी मौत का ड्रामा सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए भी ऐसा किया था तो भी यह तरीका जागरूकता के लिए गलत है। वो मीडिया के सामने आकर, गांवों में जाकर यह जागरूकता फैला सकती थी। हमारा देश गांवों में बसता है और अगर वो ऐसा करती तो उसे प्रसिद्धि भी मिलती तथा सर्वाइकल के प्रति जागरूकता के लिए लोगों में बेहतर संदेश जाता।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर सिर्फ सुर्खियों में रहने के लिए मौत से मसखरी समाज व सृष्टि के रचयिता के प्रति सरासर अन्याय है। सच कहें तो जीवन का अवमूल्यन तथा विकृत मानसिकता का द्योतक है। ऐसा असभ्य व्यवहार करने वाला समाज में श्रीविहीन होकर अपयश को प्राप्त होता है। लोक जीवन बार-बार ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’, चिल्लाने वाला गड़रिया लोगों का विश्वास खोकर अन्तत: भेड़िए का शिकार हुआ। उसका मसखरापन उस पर ही भारी पड़ा। चिंतनीय ही नहीं, निन्दनीय है यह कार्य। इसकी जितनी भर्त्सना, जितना बहिष्कार किया जाये, उतना कम।
कृष्णलता यादव, गुरुग्राम यह मानव जीवन अति दुर्लभ और साथ-साथ अति सुन्दर भी है। इसका सोच-समझकर उपयोग हर मानव की आंतरिक चेतना में होना चाहिए। सैद्धांतिक रूप से हमारे जो कर्तव्य हैं वही करने चाहिए। इसका यह अर्थ कदापि नहीं हो सकता कि हम किसी के जीवन या अपने जीवन का गलत तरीके से इस्तेमाल कर कुछ पाने की लालसा पाल लें। प्रभु की अनमोल कृति ‘मानव जीवन’ के साथ कैसी मसखरी। मौत की इस तरह की सनसनी फैलाना सुर्खियां तो बटोर सकता है लेकिन लोगों के दिलों में जगह कदापि नहीं बना सकता।
सत्यप्रकाश गुप्ता, गुरुग्राम
प्रशासन कार्रवाई करे
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
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संवेदनाओं से खिलवाड़
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
माफी मांगे
शामलाल कौशल, रोहतक
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तरीका गलत
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
अक्षम्य कृत्य
कृष्णलता यादव, गुरुग्राम
तकलीफदेह कृत्य
यह पहली बार नहीं हुआ जब किसी प्रसिद्ध अभिनेत्री ने लोकप्रियता पाने के लिए अपनी मौत की झूठी खबर फैलाई हो। क्यों भूल जाते हैं मौत जैसा मजाक केवल तकलीफ देता है। हम अपनों का विश्वास खो देते हैं। यह सत्य है कि सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर विषय है। इसकी जागरूकता फैलाने के और भी कई तरीके अपनाए जा सकते हैं। वास्तव में जो इस बीमारी से ग्रस्त हैं उनके साथ भी गहरा भद्दा मजाक किया गया है। मौत जैसे मजाक का सहारा लेना केवल लोगों की भावनाओं को आहत करता है। निश्चय ही भविष्य में किसी सेलिब्रिटी की मौत को आम नागरिक शक की निगाह से देखेगा।
गणेश दत्त शर्मा, होशियारपुर
दिलों से उतरना
सत्यप्रकाश गुप्ता, गुरुग्राम
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