सर्कल कबड्डी : विदेशों में ‘रवि’ की रोशनी, चमका हरियाणा
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 10 मार्च
सर्कल कबड्डी में हरियाणा के एक किसान के बेटे ने 7 देशों में तो ख्याति अर्जित की ही, पुरस्कारों का ऐसा अंबार भी लगा दिया कि एक सांस में गिनती संभव नहीं। कबड्डी के क्षेत्र में सूरज की तरह चमकने वाले इस खिलाड़ी का नाम है रवि। रवि का खेल अगर असाधारण है तो उसको मिले पुरस्कार भी साधारण नहीं। पुरस्कार के तौर पर उसने 6 ट्रैक्टर अपने नाम किये। इसमें 4 फोर्ड, एक महेन्द्रा व एक इंडो फार्म ट्रैक्टर शामिल है। एक स्कारपियो गाड़ी, एक जीप, 12 बुलेट मोटरसाइकिल, 81 बाइक भी हासिल किये। यही नहीं, एक घोड़ा, एक भैंस, 15 एलईडी, 10 अंगूठियां, 6 तोले सोने की चेन, 2 फोन सहित काफी ट्राफियां अपनी झोली में डालीं।
गांव दयोरा के छोरे ने मचायी धूम : रवि दयोरा कैथल जिले के गांव दयोरा का है। उसके पिता रामकुमार एक छोटे किसान हैं। स्कूल स्तर से ही रवि को कबड्डी खेलने का चाव था। उसने 12वीं तक की शिक्षा मुख्यमंत्री द्वारा गोद लिए गए गांव क्योड़क में ली और इसके बाद बीए तक की पढ़ाई प्राइवेट की। शिक्षा में जहां रवि ने अच्छा प्रदर्शन किया वहीं खेलों में भी काफी वाहवाही लूटी। वाहवाही ऐसी मिली कि कनाडा, भारत, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बहरीन, दुबई व पाकिस्तान तक रवि दयोरा की सर्कल कबड्डी का डंका बजता है। गांव की ओर से खेलने पर उसने 62 बार खिताब जीता। कनाडा कबड्डी कप-2022 व 2023 टोरांटो सीजन में उसने बेस्ट रेडर का खिताब जीता। रवि ने कनाडा में एक सर्कल कबड्डी में 24 रेड की और 24 प्वाइंट लिये। वहां उसने डालरों के हिसाब से 15 लाख रुपए जीते हैं और सोने की अंगूठी जीती। इसी प्रकार न्यूजीलैंड में दिसंबर 2023 में ऑवर ऑल सीजन में बेस्ट रेडर बना और 3 लाख रुपए भी पुरस्कार के रूप में जीते। कनाडा और भारत के प्रोमोटरों ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए एक स्कारपियो गाड़ी उसे इनाम के रूप में दी। इसी प्रकार कबड्डी के खेल में रवि की चमक की बात करें तो आस्ट्रेलिया में रवि ने बेस्ट रेडर का खिताब जीता है। बहरीन व दुबई में उन्होंने लाखों रूप की कीमत के फोन व पाकिस्तान में बेहतर प्रदर्शन करके भारत का नाम रोशन किया है।
दिग्गज हस्तियां कर चुकी हैं सम्मानित : रवि को मुख्यमंत्री मनोहर लाल, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर, विधायक लीलाराम गुर्जर सहित सैकड़ों हस्ितयां सम्मानित कर चुकी हैं।
शिक्षक जयकरण, बाल किशन शास्त्री ने सिखाये गुर : गांव क्योड़क के राजकीय स्कूल के शिक्षक जयकरण और बालकिशन शास्त्री से सर्कल कबड्डी के गुर सीखकर वह आगे बढ़ा। गांव में खेल की गतिविधियों का अभाव इस कदर था कि स्टेडियम व कोच न होने के कारण वह अभ्यास के लिए भी गांव के बिजलीघर में जाता था। वहीं से अभ्यास शुरू किया और अभाव के रेगिस्तान में रवि ने कामयाबी का सूरज उगा दिया।
सरकार से यह है मांग
रवि सर्कल कबड्डी खेल के दम पर बेशक बहुत प्रसिद्धि पा चुका हो लेकिन उसकी सरकार से कई मांगें भी हैं। उसका कहना है कि सर्कल कबड्डी को ओलंपिक में शामिल किया जाए। इसके खिलाड़ियों को भी खेल कोटे में नौकरियां दी जाएं। पूर्व की सरकार ने खेल कोटे के तहत इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टरों की भर्ती की लेकिन अब ऐसा नहीं है।
जीत का जुनून ज़रूरी
रवि कहते हैं हमें दिक्कतों से घबराना नहीं चाहिए। अगर मन में जीत का जुनून है तो शारीरिक परेशानी भी आपका कुछ नहीं कर सकती है। कबड्डी के दौरान उसका घुटना टूट गया था। इसके बाद उसका ऑपरेशन करवाया गया और वह फिर मैदान में उतर गया। वर्ष 2022 में भी उसका वही घुटना फिर टूट गया। लेकिन उसने हार नहीं मानी और फिर पुरस्कारों की झड़ी लगा दी।