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चिरायु ने घटायी आयुष्मान की शक्ति, हिसार और करनाल में उपचार बंद

09:56 AM Oct 17, 2024 IST

हिसार, 16 अक्तूबर (हप्र)
हर आशीर्वाद की एक शक्ति होती है और केंद्र सरकार ने इसी शक्ति को देखते हुए नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक चर्चित ‘आशीर्वाद आयुष्मान भारत योजना’ शुरू की लेकिन इस योजना की शक्ति को प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘चिरायु योजना’ ने काफी कम कर दिया है।
प्रदेश के हिसार और करनाल जिलों में तो इन दोनों योजनाओं के लाभार्थियों को किसी भी निजी अस्पताल में उपचार नहीं मिल रहा है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के निजी अस्पतालों का सरकार की तरफ करीब 150 से 200 करोड़ रुपये बकाया है। इससे पूर्व जब चिकित्सकों ने हड़ताल की थी तो सरकार ने 700 करोड़ रुपये के करीब राशि जारी की थी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) हरियाणा के प्रधान डॉ. अजय महाजन ने इस समस्या के कारणों के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि यह समस्या वर्ष 2023 से चल रही है, जब प्रदेश सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए चिरायु योजना शुरू की। आयुष्मान भारत योजना के तहत एक लाख 20 हजार रुपये वार्षिक आय वाले प्रदेश में करीब 70 लाख लोगों को शामिल किया गया। ये वे लोग थे जो हर बीमारी के लिए सरकारी अस्पताल में जाते थे और क्रिटिकल स्थिति जिनमें हार्ट अटैक आदि के मामले में आयुष्मान भारत कार्ड के बदौलत निजी अस्पतालों का रुख किया। इसके कारण इस योजना के तहत निजी अस्पतालों पर लोड सामान्य था और भुगतान समय पर हो जाता था।
उन्होंने बताया कि जब प्रदेश सरकार ने चिरायु योजना शुरू की तो इस योजना में करीब एक करोड़ व्यक्तियों के कार्ड बने और ये वे व्यक्ति थे जो अपने उपचार के लिए निजी अस्पताल में ही आते थे। इस योजना में एक लाख 80 हजार वार्षिक आय वाले परिवारों को शामिल किय गया। अब इन लोगों का उन्हीं निजी अस्पतालों में निशुल्क उपचार होने लगा और अस्पतालों को नकद फीस मिलनी कम हो गई।
इसके बाद आयुष्मान भारत योजना की एक्सटेंशन में तीन लाख रुपये तक की वार्षिक आय वालों के 1500 रुपये वार्षिक मूल्य पर चिरायु कार्ड दिया गया। इस योजना में अधिकतर उन लोगों ने अपने कार्ड बनवाए जो डायलिसिस पर थे और निजी अस्पतालों में अपने खर्च पर उपचार करवाते थे। यही कारण है कि निजी अस्पतालों का जो 150 करोड़ रुपये बकाया है, उसमें डायलिसिस की राशि काफी ज्यादा है। पिछली बार हड़ताल की तो करीब 40 से 50 हजार क्लेम डायलिसिस के थे जो बाद में दे दिए। यह भुगतान होने के बाद सरकार द्वारा तय बजट की राशि पूरी खर्च हो गई और अब अस्पतालों का करोड़ों रुपये बकाया है।
डॉ. अजय महाजन ने कहा कि नई सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से शीघ्र ही एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मिलेगा। यदि समस्या का समाधान नहीं किया गया तो एसोसिएशन कोई कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर होगी।

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अस्पताल संचालकों ने इस कारण बंद किया उपचार

दरअसल आयुष्मान भारत व चिरायु योजना के तहत हिसार में करीब 20 प्रतिशत और करनाल में करीब 12 से 15 प्रतिशत काम हो रहा है। फरीदाबाद व गुरुग्राम में काफी कम अस्पतालों ने इन योजनाओं के तहत इम्पैनलमेंट लिया हुआ है। ज्यादा राशि बकाया होने के कारण दोनों जिलों में निजी अस्पताल संचालकों ने इन योजनाओं के तहत मरीजों का उपचार करना बंद कर दिया है।

घटिया क्वालिटी के इंप्लांट हो रहे हैं प्रयोग : डॉ. पूनिया

कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले सेवानिवृत्त बायोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पूनिया ने बताया कि आयुष्मान भारत और चिरायु योजना के तहत निजी अस्पतालों को जो पैकेज दिए जाते हैं वे काफी कम कीमत के हैं और उनमें घटिया गुणवत्ता के इंप्लांट प्रयोग होते हैं जिससे इन्फेक्शन का भी खतरा बना रहता है। सरकार की योजना काफी अच्छी है लेकिन इसमें सुधार करने की काफी जरूरत है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार हो। उन्होंने इन दोनों योजना की एक विडंबना बताई कि इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति नसबंदी तो करवा सकता है लेकिन सिजेरियन ऑप्रेशन नहीं करवा सकता जिस पर करीब 40 से 50 हजार रुपये का खर्च आता है। इसको भी इस योजना में शामिल करना चाहिए।

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निजी अस्पतालों के पास 90 प्रतिशत तक काम आयुष्मान योजना का

निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने बताया कि पहले उनके पास 10 से 15 प्रतिशत काम आयुष्मान भारत का था लेकिन अब यह करीब 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है। सरकारी भुगतान काफी देरी से मिलता है और जब 90 प्रतिशत भुगतान न मिले तो अस्पताल का संचालन करना मुश्किल होता है। सरकारी कर्मचारियों और ईएसआई आदि के पैनल का काम भी काफी कम होता है, जिसके कारण भुगतान देरी से आने पर भी ज्यादा समस्या नहीं होती थी लेकिन अब अस्पतालों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

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