मैदान में खेलने से फले-फूलेगा बचपन
डॉ. मोनिका शर्मा
स्मार्ट गैजेट्स की लत हो या आरामदायक जीवनशैली की आदत। पढ़ाई की व्यस्तता हो या हमउम्र मित्रों से सहज मेलजोल में कमी। बच्चों की आउटडोर खेलों में रूचि कम हुई है। जिसका उनके मानसिक और शारीरिक हेल्थ पर तो नकारात्मक असर पड़ ही रहा है, सामाजिक जीवन को भी विस्तार नहीं मिल पा रहा। निष्क्रियता से कारण नयी पीढ़ी की फिटनेस पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। बहुत से बच्चे तो अब स्कूल में भी खेलों में भाग लेने में रूचि नहीं ले रहे। ना ही शाम को मैदान में धमाचौकड़ी मचाने के लिए घर से बाहर निकलना चाहते हैं। जबकि तनाव और अवसाद से दूरी, टीम स्पिरिट को बढ़ाने, बेहतर स्वास्थ्य, हार को स्वीकारने की सहजता और मेहनत से जीत पाने के आत्मविश्वास जैसे गुण खेल ही दे सकते हैं। ऐसे में पैरेंट्स की बच्चों को आउटडोर खेलों से जोड़ने की कोशिश जरूरी है।
गैजेट्स से दूरी बढ़ाएं
स्क्रीन मैदान में खेल खेलने की आदत ने भी बच्चों को आउटडोर गेम्स से दूर कर दिया है। जबकि ऑनलाइन गेम्स में बढ़ती रुचि न केवल बच्चों की सेहत के लिए बड़ा खतरा है बल्कि सुरक्षा से जुड़ी चिंता भी पैदा करती है। आउटडोर गेम्स बच्चों को परिस्थितियों से लड़ना सिखाते हैं तो ऑनलाइन गेम्स बीच में ही खेल छोड़ने के कंफ़र्ट ज़ोन में सिमटने की सोच को बढ़ावा देते हैं। ऑनलाइन गेम्स में अनजाने लोग और अजब-गजब गेम रूल्स बच्चों में भटकाव लाते हैं तो आउटडोर खेल सामाजिकता का पाठ पढ़ाते हैं। खेल का मैदान तो अपनेआप में एक पाठशाला होता है। बालमन को जिंदगी के हर पहलू पर कोई पाठ पढ़ने को मिलता ही है। इसीलिए सबसे पहले तो स्मार्ट गैजेट्स को दिया जा रहा समय कम करना आवश्यक है। बच्चों को कुछ समय के लिए आउटडोर गेम खेलने के लिए मनाएं। बाहर जाकर खेलने की अच्छी बातें समझाएं। धीरे-धीरे खेल के मैदान तक जाने में बच्चे स्वयं रुचि लेने लगेंगे।
उपहार में खेल का सामान
अभिभावक बच्चों को स्मार्ट गैजेट्स गिफ़्ट में दिए जाने का चलन छोड़ें। उनकी पसंद के आउटडोर या फिर इंडोर गेम से जुड़ी चीज़ें उपहार में दें। जन्मदिन या परीक्षा परिणाम जैसे खास मौकों पर ऐसे सामान देना बालमन को इमोशनली भी खेलों से जोड़ने वाला साबित होगा। क्रिकेट का बैट हो या फुटबॉल। मम्मी-पापा या दादा-दादी से मिले गिफ़्ट को इस्तेमाल करने के लिए ही सही बच्चे खेलों से जुड़ेंगे। दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए घर से बाहर निकलेंगे। पैरेंट्स किसी खास खेल में रूचि बढ़ती देखकर भी बच्चे को उससे जुड़े समान लाकर दे सकते हैं। बच्चे जब इन चीजों से मन से जुड़ते हैं तो इस्तेमाल भी करते हैं। जिसके बदले बेहतर स्वास्थ्य, एकाग्रता और सक्रियता जैसी सौगातें हिस्से आती हैं।
सहज संवाद से समझाएं
मनोरंजन के लिए ऑनलाइन गेम्स खेलने की बात हो या आउटडोर खेल- बालमन, सही गलत का फर्क नहीं समझता। ऐसे में सहजता से बच्चों को आउटडोर स्पोर्ट्स एक्टिविटी करने के फायदे बताएं। घर में चर्चित खिलाड़ियों की उपलब्धियों की चर्चा कीजिए। अपने देश के खिलाड़ियों की हार, जीत, उपलब्धि या सम्मान के बारे में बताते हुए बच्चों को मोटिवेट करना खुद अभिभावकों को भी बहुत कुछ जानने-समझने में मदद करता है। कई बच्चे हारने के डर से भी हमउम्र साथियों के साथ नहीं खेलते। अभिभावक ध्यान दें व बच्चों को हार-जीत के फेर में फंसने के बजाय फ्रेंड्स के साथ हंसी-खुशी खेलने की बात समझाएं।
साथ बने रहें
ज़्यादातर पैरेंट्स सोचते हैं कि बच्चों के खेल में हमारा क्या काम? जबकि दोस्तों के साथ मैदान में खेलते हुए बच्चों को मम्मी-पापा के मोटिवेशन की बहुत दरकार होती है। इसीलिए बच्चों को खुद बाहर लेकर जाएं। रूचि हो तो स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग या क्लास भी बच्चों के साथ ज्वाइन कर सकते हैं। सोसाइटी या कॉलोनी में पैरेंट्स और बच्चों के लिए बने आउटडोर खेल समूह का हिस्सा बनें। अपने बच्चों के साथ खेलने वाले साथी बनें। बालमन में आ रहे सकारात्मक बदलावों पर ध्यान देते हुए बच्चों की फिटनेस और सक्रियता को सराहें। बच्चों में आ रहे अच्छे बदलावों से उन्हें परिचित करवाएं। ऐसी बातें बच्चों को आउटडोर गेम्स से जोड़ने में बहुत मददगार साबित होंगी।