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चरचा हुक्के पै

09:30 AM Aug 07, 2023 IST
चरचा हुक्के पै
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जब घंटों में निकली फाइल

बाबूशाही के बारे में हथेली पर सरसों उगाने की कहावत ऐसे ही नहीं बनी है। अब नूंह के इंद्री में बनने वाली रेपिड एक्शन फोर्स बटालियन के मुख्यालय को ही लें। 2018-19 में इसकी घोषणा के साथ ही प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 50 एकड़ जमीन दे दी, लेकिन फिर सीएलयू के नाम पर पेच फंसा दिया। नूंह में हिंसा हुई तो मामला केंद्र तक पहुंचा। बताते हैं कि वहां से आए एक फोन का असर यह हुआ कि हरियाणा के गृह विभाग ने खुद फीस भी जमा करवा दी और घंटों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने परमिशन लेटर भी जारी कर दिया।

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एसीबी चीफ को सलाम

हरियाणा की आईएएस और आईपीएस लॉबी में इन दिनों अंदरखाने जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। कथित रूप से आईएएस के लिए अधिकृत पदों पर आईपीएस व दूसरी सर्विस के लोगों की पोस्टिंग से विवाद गहराया। रही-सही कसर एंटी करप्शन ब्यूरो चीफ शत्रुजीत कपूर ने पूरी कर दी। तीन दर्जन के करीब सिविल और पुलिस सेवा के अधिकारी रडार पर हैं। आईएएस लॉबी में नाराजगी है, इन सब के बीच सेवानिवृत्त आईएएस फतेह सिंह डागर की सोशल मीडिया पर पोस्ट भी वायरल हो रही है। कपूर की कार्यशैली की खुलकर प्रशंसा करते हुए डागर ने कपूर को सेल्यूट किया है।

बाबा का दर्द

अपने दाढ़ी वाले बाबा जहां अपने बोल्ड फैसलों के लिए जाने जाते हैं वहीं लोग उनकी साफगोई के भी कायल हैं। मौजूदा सरकार के शुरुआती दिनों में सीआईडी को लेकर विवाद हुआ था। कागजी कार्रवाई पूरी करके स्पष्ट कर दिया कि सीआईडी गृह विभाग का हिस्सा नहीं है। खैर, बात आई गई हो गई। अब नूंह हिंसा में खुफिया एजेंसियों के पास पहले से मौजूद इनपुट के बावजूद बाबा को सूचना नहीं होना, बड़ा मामला बन गया है। दाढ़ी वाले बाबा ने साफ कहा है कि उन्हें सीआईडी तो क्या पुलिस ने भी दंगों को लेकर सूचित नहीं किया। किसी बाहरी ने नूंह की घटना के बारे में बताया। मामला सरकार और उसके सिस्टम से जुड़ा है। सो, बाबा को खुद से ही निपटना होगा। वैसे पूरी घटना में ‘सरकारी किरकिरी’ खूब हुई है।

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राव के तेवर

दक्षिण हरियाणा वाले ‘चौधरी’ यानी राव साहब के तेवर भी कम तीखे नहीं हैं। नूंह की घटना के बाद पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और फिर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके पूरी घटना से अवगत करवाया। नेताजी ने जो सबसे बड़ा सवाल उठाया है, वह आज भी सियासी व प्रशासनिक गलियारों के अलावा आम लोगों के बीच तैर रहा है। कहने लगे – हिंसा हुई यह तो ठीक है, लेकिन दोनों ही गुटों के पास हथियार कहां से आए। अब बात जायज भी है। इससे तो यही लगता है कि पहले से ही पूरी तैयारी की हुई थी।

एसआरके दिखाएगी ताकत

कांग्रेस के नये ग्रुप-एसआरके यानी कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी अपनी ताकत दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। हुड्डा खेमे के खिलाफ लामबंद हुई यह ‘तिकड़ी’ अब एक मंच पर आकर लड़ाई लड़ रही है। इसी कड़ी में सुरजेवाला ने 13 को कैथल में सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान किया है। तिकड़ी यहां एकजुट नजर आएगी। इसके बाद 21 को तोशाम वाली ‘मैडम’ यानी किरण चौधरी भिवानी शहर में समर्थकों के साथ सड़क पर नजर आएंगी। अम्बाला वाली ‘बहनजी’ भी सिरसा में रैली करके ताकत दिखाने वाली हैं। बाढ़ के चलते स्थगित की इस रैली की अब नई तारीख घोषित होने वाली है।

बाबरिया से भी शिकायत

कांग्रेस के हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया से भी शिकायतों का दौर शुरू हो गया है। पिछले दिनों करनाल और सोनीपत पार्लियामेंट के नेताओं की नई दिल्ली में बैठक ली थी। कई नेताओं ने शिकायत की कि उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया। इनमें से अधिकांश सुरजेवाला समर्थक बताए जाते हैं। प्रभारी जी मान गए कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश गुप्ता की अगुवाई में दोनों पार्लियामेंट के नेताओं ने उनसे मुलाकात की। अब प्रभारी जी को यह कौन समझाए कि आज एक गुट की सुन रहे और कल को दूसरा शिकायत करेगा। यह तो उन्होंने बैठे-बिठाए ही मुसीबत मोल ले ली है। यूं तो बैठकों का क्रम कभी खत्म होगा ही नहीं।

मैं तो हूं तैयार

बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। बशर्ते भाजपा उन्हें टिकट दे। पूर्व में उन्हें हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ने की पेशकश भाजपा की ओर से की भी जा चुकी है। वर्तमान में वे रानियां से निर्दलीय विधायक हैं। विगत दिवस हिसार में जन सुनवाई के दौरान उनके समर्थकों ने कहा कि इस बार हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ें। इस पर चौधरी ने कहा मैं तैयार हूं। यानी चौधरी साहब की रुचि अब स्टेट की बजाय केंद्र की राजनीति में बढ़ गई है। वे ‘टीम मोदी’ में शामिल होना चाहते हैं। देखते हैं, भाजपा उनकी सेवाएं कहां लेती है और कहां नहीं। बशर्ते उम्र से जुड़ी ‘भाजपाई शर्तें’ आड़े न आएं।

चयन आयोग विवादों में

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग इन दिनों अधिक ही विवाद में है। कॉमन पात्रता परीक्षा (सीईटी) के रिजल्ट को लेकर खूब फजीहत करवाने के बाद अब ग्रुप-सी के 32 हजार पदों को लेकर सीईटी के स्क्रीनिंग टेस्ट को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया। नूंह की हिंसा को देखते हुए स्क्रीनिंट टेस्ट को कुछ दिनों के लिए स्थगित करने की मांग भी उठी, लेकिन आयोग अपनी बात पर अड़ा रहा। मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक भी पहुंचा। सिंगल बेंच ने तो तगड़ा झटका दे दिया लेकिन डबल बेंच ने अर्जेंट सुनवाई में आयोग को बड़ी राहत दी। जिस तरह से विवाद उठ रहे हैं, उसे देखते हुए लगता नहीं कि आयोग अपने ‘काका’ के एक साल में एक लाख से अधिक रोजगार देने के सपने को पूरा कर पाएगा।

नहीं छोड़ूंगा ‘कप्तानी

कांग्रेस वाले कप्तान साहब बड़ी दुविधा में फंस गए हैं। गुरुग्राम सीट से ‘चुनावी कप्तानी’ छोड़ने को राजी नहीं हैं। अपने महेंद्रगढ़ वाले राव साहब ने गुरुग्राम पार्लियामेंट पर दावा क्या ठोका, कप्तान साहब उखड़ गए। गुस्से में बहुत कुछ कह गए। हालांकि बाद में शांत भी हो गए। कहने लगे, मेरी बात हो गई है, अब कोई विवाद नहीं रहा। कहने वाले कह रहे हैं कि कप्तान साहब, राव साहब की दावेदारी के बाद से मंथन के दौर से गुजर रहे हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि राइट जाएं या लेफ्ट। राव की दावेदारी ने उन्हें मंझदार में फंसा दिया है।
-दादाजी

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