बावल में बवाल, मंत्री बनवारी लाल की कटी टिकट
तरुण जैन/हप्र
रेवाड़ी, 10 सितंबर
भाजपा की पहली सूची में रिजर्व सीट बावल हलका के प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई थी। तभी से यहां दो बार के विधायक व मंत्री डा. बनवारी लाल की टिकट को लेकर सस्पेंस बना हुआ था। आखिर उनकी टिकट काटकर नये चेहरे डा. कृष्ण कुमार पर भाजपा ने भरोसा जताया है। डा. कृष्ण अभी तक स्वास्थ्य विभाग में डायरेक्टर हैल्थ के पद पर पंचकूला में कार्यरत थे। जैसे ही भाजपा हाई कमान का चुनाव मैदान में उतरने का इशारा मिला, वैसे ही मंगलवार को डा. कृष्ण ने पद से त्याग पत्र देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।
डा. कृष्ण कुमार बावल हलका के गांव भटेड़ा के रहने वाले हैं। वे स्वास्थ्य विभाग में रेवाड़ी सहित कई जिलों में सीएमओ रहे और लोगों से संपर्क भी साधते रहे।
राजनीति में इस खेल को समझना जरुरी है कि वर्तमान विधायक व मंत्री डा. बनवारी लाल का टिकट क्यों कटा। केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह की मेहरबानी से 2014 व 2019 में विधायक व मंत्री बने लेकिन इस बार शुरू से ही माना जा रहा था कि डा. लाल की टिकट कट सकती है। उन्हें राव का सहयोग भी मिलता दिखाई नहीं दे रहा था। फिर चर्चा गर्म हुई कि डा. लाल राव का खेमा छोड़कर मनोहर लाल खेमे में चले गए हैं। बावल की टिकट घोषणा में विलंब होने का मुख्य कारण यही है कि राव, डा. बनवारी लाल के स्थान पर अपने मनपसंद सीएमओ डा. कृष्ण कुमार को टिकट दिलाना चाहते थे। आखिर में राव की चली और डा. लाल का पत्ता काट दिया गया। वैसे बावल से भाजपा टिकट के लिए कई अन्य दावेदार भी कतार में थे। लेकिन राव व भाजपा ने सभी को दरकिनार कर नये चेहरे डा. कृष्ण पर मोहर लगा दी। राव की डा. लाल के प्रति नाराजगी का एक कारण यह बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में राव इन्द्रजीत सिंह को बावल से मतदाताओं का वह सहयोग व समर्थन नहीं मिला, जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे।
दो बार से विधायक चले आ रहे डा. लाल की इस बार जीत संदिग्ध मानी जा रही थी। उनकी क्षेत्र में खिलाफत देखी जा रही थी। अब डा. कृष्ण के मैदान में आने से लोगों की नाराजगी दूर होने की बात कही जा रही है। राव इन्द्रजीत सिंह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी होने के कारण वे टिकट से वंचित दावेदारों को भी डा. कृष्ण के पक्ष में लाने की पूरी कोशिश करेंगे। बावल से कांग्रेस में भी टिकट का सस्पेंस बना हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा आज होने की उम्मीद है। मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच माना जा रहा है।