चंडीगढ़ : पेपर लीक व किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस का पैदल मार्च, हाईकोर्ट चौक पर पुलिस से कहासुनी, हुड्डा ने जताया रोष
दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 20 अगस्त
पेपर लीक मामले, किसान आंदोलन, कोरोना से हुई मौत, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने शुक्रवार को पैदल मार्च किया। पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक पैदल मार्च करते हुए विधानसभा तक पहुंचे। हाईकोर्ट चौक पर पुलिस के साथ विधायकों की कहासुनी भी हुई। एक विधायक के साथ हुई धक्का-मुक्की को लेकर हुड्डा ने एक पुलिस अधिकारी को फटकार भी लगाई।
कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विधायक अपने साथ ‘घोटालों की भरमार है, बीजेपी-जेजेपी सरकार है’, ‘पेपर लीक की गोल्ड मेडलिस्ट सरकार’, किसानों पर दर्ज केस वापिस लो’ जैसे नारे लिखी तख्तियां और गुब्बारे लेकर आए थे। इस मौके पर मीडिया से बातचीत में हुड्डा ने कहा, मौजूदा सरकार शराब, रजिस्ट्री, खनन, बिजली मीटर और धान ख़रीद समेत तमाम घोटालों को दबाने की कोशिश कर रही है।
सरकार भर्ती पेपर लीक घोटाले को भी रफादफा करना चाहती है। कांग्रेस की मांग है कि इस मामले की हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई जांच होनी चाहिए। हुड्डा ने कहा, सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष जनता के मुद्दों को सदन में उठाए। इसलिए पैदल मार्च कर रहे कांग्रेस विधायकों को विधानसभा से दूर पहले ही बैरिकेड लगाकर रोकने की कोशिश की गई। जनहित के मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक जनता की आवाज उठाना विपक्ष की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार जिस तरह की तानाशाही दिखा रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
विपक्ष के नेता ने कहा, गठबंधन सरकार के घोटालों, आंदोलनरत किसानों, बेरोजगारी का दंश झेल रहे नौजवानों और बढ़ती महंगाई की मार झेल रही जनता के मुद्दों पर चर्चा के लिए विपक्ष के विधायकों ने कई स्थगन और काम रोको प्रस्ताव दिए हैं। सरकार की मंशा विधानसभा चलाने की नहीं लगती। चूंकि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में 7 दिन की मांग के बावजूद मानसून सत्र की अवधि सिर्फ 3 दिन तय की गई है। इससे साफ है कि सरकार तमाम मुद्दों पर जवाब देने से भाग रही है।
सदन में चर्चा के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार जनता से कोरोना और ऑक्सीजन की कमी से मौतों का सच छिपा रही है। मौतों का सही आंकड़ा पता लगाने के लिए सरकार को उच्च स्तरीय कमेटी बनानी चाहिए। साथ ही सरकार को बताना चाहिए कि उसने पहली और दूसरी लहर के दौरान हुए नुकसान से क्या सबक लिया। अगर तीसरी लहर आती है तो उससे निपटने के लिए अबतक कितने डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की गई है।