तालिबान से भारत को चुनौती
कारगर नीति बने
अफगानिस्तान में दुनिया की पहली ऐसी सरकार होगी, जिसमें करोड़ों डॉलर के घोषित इनामी अंतर्राष्ट्रीय आतंकी सत्ता के केंद्र में विराजमान होंगे। सबसे बड़ी चुनौती तालिबान सरकार में हक्कानी गुट की बढ़ती ताकत है। उसके आतंकवादी पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते भारतीय कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं। तालिबान सरकार के अतीत, नीति और इरादों से साफ है कि भारत को तालिबान के मामले में अत्यंत सावधानी बरतनी होगी। शांति, सभ्यता और मानवता में विश्वास रखने वाले सभी देशों को इस संभावित खतरे से निपटने के लिए समन्वित रणनीति बनानी चाहिए।
पूनम कश्यप, बहादुरगढ़
आर्थिक झटका
तालिबानी की वापसी ने न केवल अफगानिस्तान की हालत खराब कर दी है बल्कि भारत के लिए भी भारी संकट पैदा कर दिया है। भारत वहां विकास कार्यों में पिछले 20 सालों में 3 अरब डॉलर लगा चुका है। आज तक भारत ने अफगानिस्तान से 1.4 अरब डॉलर का व्यापार किया है। अफगानिस्तान को हमने 6,129 करोड़ रुपये के उत्पाद भेजे हैं और वहां से 3,783 करोड़ रुपये का आयात किया गया है। सामरिक लिहाज से तो भारत का नुकसान हो ही रहा है, उसे बड़ा आर्थिक झटका भी लगा है। अब ऊपर से आतंक की एक नयी शुरुआत हो गयी है।
नितेश मंडवारिया, नीमच, म.प्र.
जुगलबंदी खतरनाक
बीस वर्ष पूर्व जब अफगानिस्तान में अमेरिका अपनी फौज लेकर पहुंचा था तो उसके अपने स्वार्थ थे। अफगानिस्तान में लोकतंत्र की बहाली तथा शांति स्थापित करना सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए था। उसके स्वार्थ कितने पूरे हुए, यह तो कहा नहीं जा सकता, परन्तु जिस तरीके से अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ कर भागा है, उससे पूरी दुनिया में आतंकी संगठनों के हौसले बढ़ गये हैं। पूरी दुनिया के साथ भारत के लिए भी खतरा बढ़ गया है। तालिबान आतंकवादियों की सरकार है। पाकिस्तान व चीन हमारे विरोधी देश हैं, ऐसे में इनकी जुगलबंदी हमारे लिए बड़ी चुनौती है।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, खलीलपुर
बड़ा खतरा
वैसे तो तालिबान की वापसी से पूरे विश्व की शांति को खतरा है लेकिन तालिबान को पाकिस्तान के समर्थन के कारण विशेषकर भारत के लिये यह वास्तव में बहुत गम्भीर खतरा है। कश्मीर में अपनी असफलता के कारण तिलमिलाया पाकिस्तान अपनी खीझ मिटाने के लिये अपनी धरती पर पल रहे आतंकवादियों के साथ-साथ तालिबानी आतंकवादियों का उपयोग भारत के विरुद्ध करने का पूरा प्रयास करेगा। इसके साथ हमें अपनी धरती पर पाकिस्तान की आईएसई के स्लीपर सेल्ज़ से भी सावधान रहना होगा।
अनिल कुमार शर्मा, चंडीगढ़
कूटनीतिक पहल हो
एक महत्वपूर्ण और विश्वासी पड़ोसी के रूप में अफगानिस्तान में हुए उलटफेर का सीधा असर भारत पर पड़ना लाज़िमी है। अफगानी सत्ता पर काबिज तालिबान एक चरमपंथी संगठन है, जिसके खौफनाक इरादों से दुनिया सहमी हुई है। यहां लोकतंत्र की बात करना बेमानी होगा। भारत उन पड़ोसी मुल्कों में है, जिनका अफगानिस्तान से कारोबारी रिश्ता रहा है। दूसरी तरफ संवेदनशील सीमांत क्षेत्र भारत के लिए हमेशा से चुनौती रहे हैं। चीन और पाकिस्तान से बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच तालिबान की वापसी निश्चित रूप से बड़ी चुनौती है। ऐसे में हमारा हर अगला कूटनीतिक कदम महत्वपूर्ण होना चाहिए।
एमके मिश्रा, रांची, झारखंड
सतर्क रहें
तालिबान, पाकिस्तान व चीन की जुगलबंदी भारत के लिये बड़ी चुनौती है। अफगानिस्तान में तेज़ी से आये बदलाव और मौजूदा हालात से ऐसा लगता है कि तालिबान लंबे समय के लिए रहने वाला है। सबसे बड़ी बात तालिबानों की विचारधारा पहले जैसी ही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। वे लोकतंत्र के खिलाफ थे और आज भी हैं। भारत के लिए इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के रास्ते भारत में चरमपंथियों की घुसपैठ की घटनाएं बढ़ सकती हैं। पाकिस्तान तो ऐसा करने की पूरी कोशिश करता रहेगा।
नेहा जमाल, मोहाली, पंजाब
पुरस्कृत पत्र
मुश्किल चुनौती
अफगानिस्तान में तालिबानियों की सरकार में 18 मंत्री घोषित आतंकवादी हैं। अब चीन और पाकिस्तान की सरपरस्ती में भारत के पड़ोस में आतंक की एक बड़ी फैक्टरी चलेगी। हमारे संसाधन विकास की जगह आतंकवाद नियंत्रण में खर्च होंगे। तालिबान चीन और पाकिस्तान की मदद से सभी देशों के लिए कोई न कोई समस्या खड़ी करता रहेगा। कोढ़ पर खाज ये कि अमेरिका के लौटने और रूस के तालिबान के प्रति नरम रुख के कारण भारत को तालिबान, चीन और पाकिस्तान की इस चुनौती से सैन्य शक्ति और कूटनीति के दम पर अकले ही निपटना होगा।
बृजेश माथुर, बृज विहार, गाज़ियाबाद