कुर्सी की रेस
तीन जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में राजकुमार सिंह का लेख ‘पंजाब : सत्ता केंद्रित अवसरवादी राजनीति’ पंजाब में विधानसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों तथा राजनेताओं द्वारा कुर्सी की रेस में आगे पहुंचने के लिए हलचल का वर्णन करने वाला था। कांग्रेस पार्टी कैप्टन अमरेंद्र सिंह तथा नवजोत सिंह सिद्धू तथा कुछ अन्य असंतुष्ट लोगों में बंटी हुई है। यही हाल आप का है। प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी, कोरोना के कहर के फलस्वरूप बेकारी, मंदी, प्रवासी मजदूरों का पलायन, महंगाई आदि समस्याएं भी हैं। हर कोई दूसरे की नाकामियों को भुनाना चाहता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
धोखाधड़ी से बचाएं
ई-कॉमर्स के नियमन से देश के छोटे-बड़े कारोबारियों और दुकानदारों को कोई नुकसान न हो, इसका सरकार को गंभीरता से ध्यान रखना होगा। देश में सरकारें लोगों को बाजारी धोखाधड़ी से बचाने के लिए कायदे-कानून और इसके प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह के प्रयास करती हैं। लेकिन सरकारों के यह प्रयास तब तक निरर्थक हैं जब तक लोग इसके प्रति गंभीर नहीं होते। कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो सोशल साइट्स पर लोगों को अपने जाल में फंसाकर पुराना या घटिया सामान भी बेचती हैं। सरकार उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
मानसून सत्र से उम्मीद
आगामी 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होकर 13 अगस्त तक चलेगा। विपक्ष के पास, सरकार को महंगाई को लेकर कठघरे में खड़ा करने का मौका है। कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान भी इस सत्र के दौरान प्रदर्शन कर अपना विरोध जाहिर करेंगे। देखना है कि क्या मॉनसून सत्र शांति और सफलतापूर्वक पूर्ण होता है?
अमन जायसवाल, दिल्ली