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केंद्र का प्रस्ताव खारिज, कल दिल्ली कूच का ऐलान

07:38 AM Feb 20, 2024 IST
शंभू बैरियर पर सोमवार को दिल्ली चलो विरोध प्रदर्शन स्थल पर मीडिया को संबोधित करते किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल। -प्रेट्र

 

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चंडीगढ़/ संगरूर,19 फरवरी (ट्रिन्यू/निस)
केंद्र सरकार द्वारा चौथे दौर की वार्ता में दिये गये प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। किसान नेताओं के साथ रविवार देर रात तक चली वार्ता में केंद्रीय मंत्रियों ने पांच फसलों- मक्का, कपास, अरहर, तुअर और उड़द की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा था। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने सोमवार रात हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से पूरी जांच व चर्चा करने के बाद किसान संगठनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही उन्हाेंने ऐलान किया कि बुधवार सुबह 11 बजे दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने जोर दिया कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 23 फसलों की खरीद की गांरटी का कानून बनाये।
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार उनकी मांगें मान कर मामला हल कर दे या दिल्ली जाने के लिए रास्ता खोल दे। उन्होंने कहा कि किसानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की जगह मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे, लेकिन केंद्र हिंसा करना चाहता है। बैरिकेड तोड़ना कोई जिद की बात नहीं, मांगें मनवाने के लिए संघर्ष करना मजबूरी है।
किसान नेताओं ने कहा कि चौथे दौर के वार्ता में यह प्रस्ताव था कि पांच फसलों को पूरे देश में गांरटी के साथ खरीदा जाएगा, लेकिन बैठक से बाहर आकर केंद्रीय मंत्रियों ने कुछ और ही खुलासा कर दिया। ऐसा करने से केंद्र की नीयत साफ हो गयी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये केंद्रीय मंत्रियों का प्रस्ताव था, किसान नेताओं ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा था। उन्होंने कहा कि अब बैठकों में विचार-विमर्श किये जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि अब समय आ गया है कि केंद्र कोई फैसला ले। उन्होंने साथ ही कहा कि वे बातचीत से पीछे नहीं हट रहे, लेकिन किसान का ठगा जाना उन्हें मंजूर नहीं।
किसान संगठनों द्वारा प्रस्ताव रद्द किये जाने पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसान हरकत में आ गये। दिल्ली की तरफ जाने के लिए किसानों द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को किसान नेताओं द्वारा बैठक कर दिल्ली कूच की रणनीति बनाई जाएगी।
इससे पहले, पटियाला में भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां, महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव गुमराह करने वाला है। उधर, लगभग 40 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भी इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और सभी 23 फसलों की खरीद पर जोर दिया।

यह था प्रस्ताव : किसान नेताओं के साथ रविवार देर रात तक चली वार्ता में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ समझौता करेंगी जो अरहर, उड़द, मसूर दाल या मक्का की खेती करते हैं, ताकि उनकी फसल अगले पांच वर्षों के लिए एमएसपी पर खरीदी जा सके। फसल खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जाएगा। गोयल ने कहा कि इससे पंजाब की खेती बचेगी, भूजल स्तर में सुधार होगा और जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकेगा। गोयल के अनुसार, यह भी प्रस्ताव दिया गया कि भारतीय कपास निगम किसानों के साथ समझौता करने के बाद पांच साल तक एमएसपी पर उनसे कपास खरीदेगा। गोयल ने रेखांकित किया कि किसानों की अन्य मांगें नीति-आधारित हैं और गहन चर्चा के बिना समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा, चुनाव आ रहे हैं और नयी सरकार बनेगी... इस तरह के मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि वे सोमवार और मंगलवार को अपने मंच पर सरकार के प्रस्ताव को लेकर चर्चा के बाद आगे का फैसला लेंगे। बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाये जाने की वकालत की। मान ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान मोजाम्बिक और कोलंबिया से दालों के आयात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह आयात दो अरब डॉलर से भी अधिक का है। यदि इस फसल के लिए एमएसपी दिया जाए तो पंजाब दालों के उत्पादन में देश का नेतृत्व कर सकता है और यह दूसरी हरित क्रांति होगी।

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एक और किसान की मौत

संगरूर (निस) : पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आवास के पास भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के स्थायी धरने में शामिल किसान नरेंद्रपाल (43) की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, बीती रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने साथियों को वापस गांव ले चलने को कहा। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इससे पहले, रविवार शाम मंजीत सिंह नाम के किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थे। कांगथला गांव के रहने वाले मंजीत खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल थे।

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