Career in Environment Science संभावनाओं का हरा-भरा कार्यक्षेत्र
पर्यावरण का क्षेत्र न केवल समाज व मानवता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें रोजगार के अच्छे अवसर भी हैं। सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ ही उद्योगों व रिसर्च संस्थानों में एनवायरनमेंट पेशेवरों की मांग हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्षेत्र हैं जिन में जॉब पैदा हो रहे हैं।
राजेंद्र कुमार शर्मा
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की महत्ता को देखते हुए, पर्यावरण के क्षेत्र में कैरियर बनाने के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। पर्यावरण विज्ञान पाठ्यक्रम जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी और मानव शरीर क्रिया विज्ञान ,पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन का मिश्रण है और विशेष रूप से वनस्पति, जीव और जैव विविधता पर केंद्रित है। पर्यावरण विज्ञान पाठ्यक्रम छात्रों को पर्यावरण, उस पर मानव गतिविधियों के प्रभाव और पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने और प्रबंधित करने के तरीकों को समझने में मदद करते हैं। वर्तमान में एनवायरनमेंट का क्षेत्र सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के केंद्र में है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्षेत्र हैं जिनका विस्तार हो रहा है, जॉब पैदा हो रहे हैं व युवा अपना कैरियर बना सकते हैं।
पर्यावरण वैज्ञानिक
पर्यावरण वैज्ञानिक पर्यावरण समस्याओं का अध्ययन और समाधान करने के लिए अनुसंधान करते हैं, मसलन :
पर्यावरण इंजीनियर
पर्यावरण इंजीनियर प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और जल शोधन जैसी परियोजनाओं पर काम करते हैं। ये तकनीकी समाधान प्रदान करने को वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करते हैं।
पर्यावरण सलाहकार
पर्यावरण सलाहकार कंपनियों और सरकारी संगठनों को पर्यावरण संबंधी नीतियों और परियोजनाओं में सलाह देते हैं। इनका काम पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, अपशिष्ट प्रबंधन और सतत विकास योजनाओं पर केंद्रित होता है।
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट वन्यजीवों और उनके आवासों का अध्ययन करते हैं। ये जैव विविधता को संरक्षित करने और प्रजातियों के संरक्षण के उपायों पर काम करते हैं।
जलवायु वैज्ञानिक
जलवायु वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों का अध्ययन करते हैं। ये जलवायु मॉडलों का विकास और विश्लेषण करके जलवायु परिस्थितियों की भविष्यवाणी करते हैं।
वन प्रबंधक
वन प्रबंधक वन संसाधनों का प्रबंधन और संरक्षण करते हैं। उनका काम वनों की सुरक्षा, वन्यजीवों का संरक्षण और वन उत्पादों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना होता है।
पर्यावरण नीति विशेषज्ञ
पर्यावरण नीति विशेषज्ञ पर्यावरणीय नीतियों का विकास और विश्लेषण करते हैं।
सतत विकास प्रबंधक
सतत विकास प्रबंधक संगठनों को पर्यावरणीय लक्ष्य पाने में मदद करते हैं। उनका काम ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन व कार्बन फुटप्रिंट कम करने पर केंद्रित है।
नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञ
नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञ सौर, पवन, जल और जैव ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास और कार्यान्वयन पर काम करते हैं। वे ऊर्जा उत्पादन की पर्यावरण अनुकूल विधियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
शैक्षिक योग्यता और पात्रता
भारत में 12वीं कक्षा के बाद पर्यावरण विज्ञान में कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद हैं : सर्टिफिकेट कोर्स (6 महीने से 1 वर्ष) : किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50 फीसदी अंकों से विज्ञान स्ट्रीम (पीसीबी) के साथ कक्षा 12वीं पास की हो। डिप्लोमा/ पीजी डिप्लोमा(6 महीने से 1 वर्ष) : किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50 फीसदी अंकों से विज्ञान स्ट्रीम (पीसीबी) के साथ कक्षा 12वीं / स्नातक पास होना चाहिए। स्नातक पाठ्यक्रम (3 वर्ष) : किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50 फीसदी अंकों से विज्ञान स्ट्रीम (पीसीबी) के साथ कक्षा 12वीं पास की हो। स्नातकोत्तर (2 वर्ष) : किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीएससी पर्यावरण विज्ञान या विज्ञान के किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री जो पर्यावरण के अध्ययन से संबंधित हो जैसे कि भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, प्राणीशास्त्र, भूगोल, पारिस्थितिकी, भूविज्ञान, आदि। प्रवेश प्रक्रिया : कई कॉलेज मेरिट आधार पर पर्यावरण विज्ञान पाठ्यक्रमों में प्रवेश देते हैं, तो कई सीयूईटी यूजी एवं सीयूईटी पीजी, यूजीसी नेट, सीएसआईआर नेट और गेट के माध्यम से या फिर अपनी प्रवेश परीक्षा लेते हैं। कुछ लोकप्रिय पर्यावरण विज्ञान संस्थानों में भी फॉरेस्ट्री संबंधित पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
जॉब के अवसर
पर्यावरण विज्ञान स्नातक गैर सरकारी संस्थाओं में, सरकारी एजेंसियां, वन्यजीव संरक्षण और अनुसंधान संगठन, ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियां, पर्यावरण अनुपालन और परीक्षण प्रयोगशाला आदि उद्योगों में जॉब की तलाश कर सकते हैं। भारत में कुछ शीर्ष भर्ती कर्ता पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग, नगर निगम, अदानी व रिलायंस इंडस्ट्रीज, गेल लिमिटेड आदि हैं। कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों में पर्यावरणविद की नियुक्ति की जाती है।