अहोई पर उपवास रख तारों के दर्शन से कुल फलता-फूलता है : आचार्य त्रिलोक
जगाधरी, 22 अक्तूबर (हप्र)
कल अहोई अष्टमी का पर्व है। करवा चौथ की तरह सनातन मेंं अहोई पर्व का अपार महत्व बताया गया है। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर के आचार्य पंडित त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। यह व्रत भी कठिन व्रतों में से एक है। त्रिलोक के अनुसार यह व्रत कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार 24 अक्तूबर को अहोई अष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं दिनभर अन्न-जल ग्रहण किए बिना उपवास रखती हैं। अहोई अष्टमी व्रत में स्याही माता और अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी को शाम को तारों के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन अनगिनत तारों के दर्शन और पूजन से कुल संतान से भरा-पूरा रहता है। माताएं पूजा-अर्चना के दौरान आकाश में जैसे तारे चमकते हैं, वैसे ही संतान के लिए उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं।