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मगर बहुत कुछ बदला रिवाज के सिवाय

06:27 AM Dec 29, 2023 IST
मगर बहुत कुछ बदला रिवाज के सिवाय
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डॉ. यश गोयल

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वर्ष 2023 में, राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच एक ‘फेसलेस’ विधानसभा चुनाव-प्रतिस्पर्धा देखी गई। और पहली बार विधायक के रूप में सीमावर्ती राज्य की कमान संभालने के साथ उसे एक बड़ा आश्चर्य सौंपा गया।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद सरकार बदलने की परंपरा तो जारी है, लेकिन जयपुर जिले के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए भजनलाल शर्मा ने राज्य की बागडोर पाकर सभी को चौंका दिया। शर्मा पहले राज्य भाजपा में महासचिव और सरपंच के पद पर रहे थे। राजस्थान को 33 वर्षों के अंतराल के बाद ब्राह्मण जाति से अपना मुख्यमंत्री मिला। इससे पहले स्वर्गीय हरिदेव जोशी (कांग्रेस) ने 1973-77, 1985-1988 और 1989-90 के दौरान राज्य पर शासन किया।
चुनावी वर्ष में जनता का जनादेश हर पांच साल में सरकार बदलने की प्रवृत्ति से अच्छी तरह परिभाषित है, लेकिन किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि भाजपा नेताओं की मुख्यमंत्री पद की दौड़ में झालरापाटन से दो बार के मुख्यमंत्री और पांच बार के विधायक वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, विधानसभा में उपनेता सतीश पूनिया और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी पीछे रह जाएंगे, हालांकि राजे को छोड़कर बाकी सभी चुनाव हार गए।
पार्टी के साल की शुरुआत बदलाव के साथ हुई जब चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी की जगह सतीश पूनिया को राज्य पार्टी अध्यक्ष बनाया गया, जबकि पूरे संगठन में आमूलचूल परिवर्तन किया गया।
यह साल कांग्रेस के लिए अनिश्चितता और अधीरता से भरा था क्योंकि सीएम की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच विवाद अक्तूबर में चुनाव का मौसम आने तक सुर्खियों में बना रहा। भ्रष्टाचार, पेपर लीक के मुद्दों के खिलाफ पायलट की जन संघर्ष पदयात्रा और उनके पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की बरसी पर विशेष ‘प्रार्थना सभा’ ने गहलोत व एआईसीसी की नींद उड़ा दी थी।
कांग्रेस सरकार के लिए 2023 की शुरुआत तब विवादों से हुई जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण में आगामी बजट के शुरुआती पैराग्राफ में पिछले साल के बजट बिंदुओं (2022-23) के कुछ पैराग्राफ पढ़े। हालांकि उन्होंने ग़लती के लिए ‘खेद’ जताया, लेकिन इस मुद्दे को प्रधानमंत्री ने अपनी सार्वजनिक बैठकों में उठाया।
चुनावी वर्ष में सरकार ने 10 प्रमुख योजनाओं के साथ कर-मुक्त बजट की घोषणा की है, जिसमें 76 लाख बीपीएल परिवारों को 500 रुपये में एलपीजी रसोई सिलेंडर, विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली, एक करोड़ को मुफ्त राशन शामिल है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत परिवारों को लाने और 25 लाख रुपये तक की चिरंजीवी चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं संग स्वास्थ्य का अधिकार का वादा किया।
खुद गहलोत ने सभी 33 जिलों के दूर-दराज के इलाकों में कई महीनों तक ‘बचत, राहत और बढ़त’ पर एक शिविर चलाया था। गहलोत के प्रयासों में एक महत्वाकांक्षी ‘राजस्थान मिशन-2030’ के कदम और ‘मिशन-156’ का अनावरण भी चुनाव में काम न आया।
राजस्थान विधानसभा में ‘लाल डायरी’ ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी। बसपा से कांग्रेस में आए दलबदलू विधायक राजेंद्र गुढ़ा को उनकी कांग्रेस विरोधी टिप्पणियों के लिए गहलोत सरकार ने मंत्रिमंडल से निष्कासित कर दिया था। गुढ़ा ने लाल डायरी के कागजात दिखाए तो उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया। मुद्दा प्रधानमंत्री सहित भाजपा नेताओं की चुनावी रैलियों में चर्चा में रहा।
साल की शुरुआत, पाली जिले में ट्रेन के पटरी से उतरने की एक गंभीर दुर्घटना से हुई, जिसमें 26 यात्री घायल हो गए। 13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 80 लोगों की मौत और 176 लोगों के घायल होने के मामले में चार आरोपियों की दोषसिद्धि और मौत की सजा को रद्द करने के राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के फैसले ने विपक्षी भाजपा को एक राजनीतिक मुद्दा दे दिया। उन्होंने इसे कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति का परिणाम बताया।
राज्य सचिवालय के योजना भवन से बरामद 2.31 करोड़ रुपये की भारी मात्रा में नकदी और एक किलो सोने की छड़ों ने भी भाजपा नेतृत्व को इसे गहलोत शासन में कथित व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक राजनीतिक एजेंडा बनाने का मौका दिया।
चुनावी प्रक्रिया के दौरान प्रवर्तन निदेशालय, आयकर और सीबीआई द्वारा कथित घोटालों, पेपर लीक, भ्रष्टाचार और लॉकरों में भारी नकदी भंडार को लेकर लगातार छापेमारी ने भी सत्तारूढ़ दल के नेताओं, मंत्रियों और पीसीसी अध्यक्ष की रातों की नींद उड़ा दी।
राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी की दिन-दहाड़े हत्या के खिलाफ राजस्थान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। नवनिर्वाचित भाजपा सरकार को बड़ी जिम्मेदारी मिली होगी, लेकिन राज्य पुलिस की एटीएस की बदौलत सभी आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया।

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