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न्यारे जैसी ही न्यारी कारोबार की बोली

11:06 AM Nov 05, 2023 IST

जिनका कूड़ा ही ‘न्यारा’ हो, उनकी बोली कितनी न्यारी होगी। ‘मौदा ठिगा, छेया पल, गलौरी खुन, बाईं कस..’- सुनार और सर्राफ की दुकानों में दाखिल होते ही ऐसे अनसुने-अनजाने शब्द कानों में पड़ने लगते हैं। सम्भावित खरीदार दुकान के भीतर जाता है, तो एक सुनार या जूलर का सेल्समैन दूसरे से कहता है, ‘ठिगा।’ यानी बैठने की लिए कहिए। बैठाने के बाद एक दूसरे से कहते हैं, ‘पल’। मतलब कि ग्राहक है, ख़ातिरदारी करो या ठंडा-गर्म पूछो- मंगवाओ। फिर ग्राहक की फरमाइश मुताबिक जूलरी दिखाने का सिलसिला शुरू होता है।

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‘कमोड़ा’ शब्द कमाई के लिए

अगर ग्राहक को कुछ जंचता है, तो उस आइटम का हिसाब-किताब बनाते हैं। एस्टीमेट को सुनारों की बोली में ‘कमोड़ा’ कहते हैं। कई दफा ‘कमोड़ा’ शब्द कमाई के लिए भी प्रयोग करते हैं। इससे पहले पसंद की जूलरी का वजन करते हैं, जिसे सुनारी बोली में ‘तुंग’ कहते हैं। अगर ग्राहक से ज्यादा लेबर चार्ज वसूल करना है, तो सुनार आपस में कहते हैं, ‘चोटी।’ जबकि कम लेबर चार्ज लगाने या बताने के लिए कोड-वर्ड है-‘खिस’। आपसी बातचीत के लिए सुनारों का गुप्त शब्द है ‘गलौरी’ और ग्राहक को कुछ बताने-कहने के लिए कहते हैं-‘खुनना’। ग्राहक को कुछ जाहिर करना है, तो एक- दूसरे को यूं हिदायत देते हैं, ‘गलौरी खुन’। उधर ग्राहक से कुछ छुपाना है या नहीं बताना, तो गुप्त बोल हैं, ‘बाईं कस।’ ग्राहक जूलरी खरीदता है और केश में पेमेंट करता है, तो रुपयों को सुनारी बोली में कहते हैं-‘छब्बियां’।

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खरा ‘छेया’ और खोटा ‘ली’

सोने को ‘कनाल’ कहते हैं। हालांकि बीते दसेक सालों से नई जेनरेशन के जुलर सोने को ‘मैटल’ कहने लगे हैं। लेकिन खरे-खोटे सोने के लिए उन्हें भी जब-तब पारम्परिक बोली के शब्दों का सहारा लेना पड़ता है। सुनारी जुबान में खरे को ‘छेया’ और खोटे को ‘ली’ कहा जाता है। ऐसे खरा खोना हो गया ‘छेया कनाल’और खोटा सोना बन गया ‘ली कनाल’। समझिए कि कमजोर का सुनारी शब्द ‘ली’ है और बढ़िया का ‘छेया’। आधा खरा और आधा खोटा फिफ्टी-फिफ्टी को कहते हैं -‘खनोंखन’। खरीदार के अलावा सुनार की दुकान में कोई अन्य बैठा हो, तो उसे सुनार आपस में ‘मौदा’ कहकर पुकारते हैं। ‘मौदा’ यानी आदमी। इस का स्त्रीलिंग ‘मौदी’ है। ‘मौदा ठिगदा है’ कहें, तो मतलब हुआ ‘आदमी बैठा है’। और अगर वह बाहरी व्यक्ति है, और उसके सामने ग्राहक से डीलिंग नहीं करनी, तो एक सुनार दूसरे से कहेगा ‘मौदा उलैर’। यानी किसी बहाने से उसे जाने के लिए कहो, या विदा करो। और अगर ‘ली’ को ‘मौदा’ के संग जोड़ कर कहें ‘ली मौदा’, तो समझिए ‘खराब या गलत आदमी’।

सुनारी जुबान की जोरदार गिनती

सुनारों की गुप्त जुबान के बीस-पच्चीस शब्द ही हैं। इन्हें घुमा-फिरा कर, सुनार अपनी बात बखूबी कहते हैं। सुनारी जुबान की अपनी जोरदार गिनती भी है। एकल 1, सुआन 2 , रख 3, फौक 4 , बुध 5, डैक 6 , पैंत 7 , मांझ 8 , बन 9, और सलाह 10 को कहते हैं। आगे एकला 11, जुल्हा 12, रखला 13 , फुकला 14, बुधला 15, डैका सलाह 16, पैंता सलाह 17, मांझा सलाह 18, बना सलाह 19 और सूतरी 20 को कहा जाता है और 100 को लांग या एकल लांग कहते हैं। फिर 200 को सुआन लांग कहते हैं, 500 बुध लांग, 1000 सलाह लांग और 2000 यानी सूतरी लांग। यही गणना नोटों के लिए और सोने की शुद्धता के लिए भी। 24 कैरेट को सुनार की गुप्त भाषा में कहेंगे ‘सूतरी फौक’ (20 और 4 के कोडवर्ड को जोड़ कर)वहीं 22 कैरेट (20 व 2 के कोडवर्ड) को ‘सुतरी सुआन’। हर कारोबार के कुछ ट्रेड सीक्रेट्स होते हैं। इसी के मद्देनज़र खासतौर से ग्राहकों के सामने सुनार और जूलर आपस में गुप्त बोली का इस्तेमाल करते हैं। इससे ग्राहक सुनार की वही बात जान-समझ पाता है, जो सुनार जाहिर करना चाहता है। देखा-देखी इसी बोली का रोज इस्तेमाल कपड़े, जूते आदि बेचते पुराने दुकानदार करते नहीं थकते। नई पीढ़ी के दुकानदार तो खैर इस बोली से अनजान हैं। - अ.स.

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