For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

अग्निपथ के सुलगते प्रश्न

12:52 PM Jul 04, 2022 IST
अग्निपथ के सुलगते प्रश्न
Advertisement

युवाओं के साथ अन्याय

Advertisement

अग्निपथ को लेकर देश के युवाओं का क्षुब्ध और राजनीति का गर्म होना स्वाभाविक है क्योंकि अग्निपथ के तहत जब युवा नौकरी के लायक रहेंगे तभी उन युवाओं को सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। सवाल यह उठता है कि राजनेता कभी भी अपनी सेवानिवृत्ति की बात नहीं करते बल्कि जितनी बार विधायक आदि बनते हैं उतनी ही बार उन्हें पेंशन दी जाती है। क्या देश में सिर्फ युवाओं के लिए ही आयु सीमा तय है। अगर अग्निपथ के तहत युवाओं को सेवानिवृत्ति देकर पेंशन बंद करने की योजना है तो राजनेताओं को भी सेवानिवृत्ति देकर पेंशन बंद कर दी जाए। राजनीति में भी केवल युवाओं को ही मौका दिया जाना चाहिए।

सतपाल सिंह, करनाल

Advertisement

अपेक्षाओं पर खरी नहीं

रोजी-रोजगार की तलाश में नौजवानों के सुनहरे सपनों पर हुए हमले से तिलमिलाना जायज है। अग्निवीरों को लुभाने में सरकार और सेना खूब पसीना बहा रही है, मगर जवानी की दहलीज़ पर खड़े युवा भारत को बुढ़ापे की मुहर लगाते अग्निपथ से उपजे सुलगते सवालों का जवाब मिलना बाकी है। बेरोज़गारी से निपटने की सरकारी योजना चाहे जितनी भी अच्छी हो, मगर अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती। संभवतः अग्निपथ योजना आधुनिक सैन्य शक्ति के रूप में देशहित में है, मगर वर्तमान व्यवस्था को कुछ दिनों तक जारी रखना अच्छा विकल्प हो सकता था। बेहतर होता नयी योजना से पहले सेना में नयी नियुक्तियों की बहाली के लंबित मामले सुलझा लिये जाते।

एमके मिश्रा, झारखंड

चार साल बहुत कम

भारतीय सेना में युवा सैनिकों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना कार्यान्वित हो रही है। इसके साथ यदि अनुभव को भी महत्व दिया जाए तो अत्यधिक कारगर होगा। दरअसल, चार साल में तो युवा अपने आपको एक सैनिक के रूप में ढालता है। अब चाहे अनुशासन, तकनीकी, ट्रेनिंग, युद्धाभ्यास, मरुस्थल एवं पर्वतीय क्षेत्रों के युद्धाभ्यास का अनुभव इन सब क्रियाकलापों के लिए चार साल बहुत कम हैं, इसलिए तीन वर्ष और जुड़ने चाहिए। इसमें अनुभव और युवाओं का सामंजस्य है, पारिवारिक सुरक्षा है और देशभक्ति की भावना है।

जय भगवान भारद्वाज, नाहड़

अतार्किक बात

सेना में अल्पकालिक भर्ती प्रक्रिया को लेकर युवा क्षुब्ध हैं। राजनीति भी गर्म है। सत्ता-पक्ष के नेता, मंत्री और जनप्रतिनिधि इस योजना के लाभ बताने में दिन-रात एक किए हुए हैं। विपक्ष इस को युवा-वर्ग और देश के लिए एक छलावा सिद्ध करने में लगा हुआ है। बेरोज़गारी के संकट से जूझ रहे देश में नौकरी का मतलब ही एक जीवन होता है। इसी के सहारे वैवाहिक जीवन व परिवार की जिम्मेदारी निभाई जाती है। नौकरी पूरी होने पर पेंशन बुढ़ापे का सहारा बनती है। इस योजना में नौकरी तलाशने की 20-25 वर्ष की उम्र में युवाओं का एक बड़ा वर्ग रिटायर होकर नये रोज़गार की तलाश करेगा। बिना पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवा लाभों के रिटायर हो जाने की बात अतार्किक प्रतीत होती है।

शेर सिंह, हिसार

मजबूत सेना

अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना की औसत आयु में गिरावट आयेगी और युवा सेना का आधुनिकीकरण तेजी से किया जा सकेगा। इस प्रकार सेना और मजबूत हो सकेगी। सेना में सैनिकों की संख्या में भी विस्तार होगा और देश की युवा पीढ़ी में देश के प्रति समर्पण भाव भी बढ़ेगा। वहीं अग्निपथ योजना केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की दशा और दिशा दोनों को बदल देगी और भारत को विश्व में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का काम करेगी। इस योजना के अंतर्गत युवाओं को सेना से जोड़ने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी। इस प्रकार की योजनाएं यदि सफल रहती हैं तो देश सशक्त होकर विश्वगुरु के रूप में पुनः स्थापित कर सकेगा।

नितेश मंडवारिया, वाराणसी, उ.प्र.

राजनीति न हो

सेना में एक सीमित समय के लिए भर्ती के विरुद्ध तोड़फोड़, प्रदर्शन और सरकारी संपत्ति की हानि दिखाई दी, जिसके पीछे केवल देश के युवा नहीं है बल्कि निम्न स्तरीय राजनीति भी है। किसी भी दल की सरकार हो, सरकार की नीतियों का राजनीतीकरण नहीं होना चाहिए। दूसरी ओर, यह भी जरूरी है कि सरकार जब भी कोई नया प्रोग्राम लेकर आए पहले उसका प्रचार-प्रसार होना चाहिए ताकि जनमत का थर्मामीटर मापा जा सके। लोक सेवा में अस्थाई भर्ती कोई नई बात नहीं है। पहले भी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों में कच्चे कर्मचारी लगाए जाते थे। अगर यही प्रयोग सरकार सेना में करना चाहती है तो इसे स्वीकारना चाहिए।

श्रीमती केरा सिंह, नरवाना

पुरस्कृत पत्र

सुरक्षित भविष्य की दरकार

सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं में रोष है। यह स्थिति युवाओं के सपने दरकने और इससे उपजे आक्रोश को दर्शाती है। लंबे समय से सेना में भर्ती की आस लिए नौजवानों को इस योजना ने मायूस किया। सेना किसी भी राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग है, यह राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा करती है। ऐसे में अपने कर्तव्यों के प्रति स्थाई भावना होना आवश्यक है जो कि 4 साल की नियुक्ति में संभव नहीं दिखता। सेना में भर्ती नौजवान अपने कर्तव्य का पालन और मातृभूमि की सेवा तभी कर पाएगा जब उसका और उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित होगा।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

Advertisement
Tags :
Advertisement