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कांग्रेस में आबादी के अनुपात में टिकट न मिलने से ब्राह्मण समाज नाराज

07:13 AM Sep 18, 2024 IST
कांग्रेस में आबादी के अनुपात में टिकट न मिलने से ब्राह्मण समाज नाराज
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चंडीगढ़, 17 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के चुनावी जंग में कांग्रेस में आबादी के अनुपात में टिकट न दिए जाने पर प्रदेश के सबसे बड़े ब्राह्मण संगठन विप्र फाउंडेशन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि करीब 12 प्रतिशत आबादी वाले ब्राह्मण समाज को भाजपा ने जहां 11 टिकट दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने ब्राह्मण समाज के सिर्फ 4 उम्मीदवार उतारे हैं। इस पर हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने अस्पताल में भर्ती होने की बात कहकर दावेदारों को शांत करने का प्रयास किया है। भाजपा ने ब्राह्मण समाज से 11 को चुनाव मैदान में उतारा है, जिनमें सफीदों से रामकुमार गौतम, कालका से शक्ति रानी शर्मा, गोहाना से अरविंद शर्मा, गन्नौर से देवेंद्र कौशिक, पिहोवा से जयभगवान शर्मा, बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा, गुरुग्राम से पहलवान मुकेश शर्मा, पृथला से टेकचंद शर्मा, पलवल से गौरव गौतम, बहादुरगढ़ से दिनेश कौशिक और उचाना कलां से देवेंद्र अत्री शामिल हैं।
उधर, कांग्रेस ने सिर्फ 4 ब्राह्मणों को टिकट दिए हैं, जिनमें बादली से कुलदीप वत्स, फरीदाबाद एनआईटी से नीरज शर्मा, गन्नौर से कुलदीप शर्मा और बल्लभगढ़ से पराग शर्मा शामिल हैं। कांग्रेस ने सबसे अधिक जाट उम्मीदवार तथा भाजपा ने पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है।
प्रदेश के सबसे बड़े ब्राह्मण संगठन विप्र फाउंडेशन ने कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया के समक्ष ब्राह्मणों को आबादी के अनुपात में कम टिकट दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है।
हरियाणा कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वह सोहना से टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने यहां पैराशूट उम्मीदवार रोहताश खटाना को चुनावी रण में उतार दिया है।

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टिकट से वंचित रहे नेताओं के प्रति जताया अफसोस

दीपक बाबरिया

फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप वशिष्ठ ने पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया के समक्ष आपत्ति में कहा है कि ब्राह्मणों को उनकी आबादी के हिसाब से टिकटों का आवंटन नहीं कर कांग्रेस ने ब्राह्मणों का भरोसा तोड़ा है। इस पर पार्टी प्रभारी ने बताया कि तबीयत खराब होने की वजह से वह अस्पताल में भर्ती थे। इसलिए अंतिम समय में टिकटों के विचार विमर्श में वह शामिल नहीं हो सके, जिस कारण वंचित लोगों के प्रति वे सिर्फ अपनी ओर से अफसोस व्यक्त कर सकते हैं।

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