पांच जिलों में भाजपा का नहीं खुला खाता
चंडीगढ़, 10 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
भाजपा ने हरियाणा में भले ही तीसरी बार सरकार बनाकर इतिहास रच दिया हो लेकिन बड़ी बात यह है कि राज्य के 22 में से पांच जिले ऐसे हैं जहां भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इसे लेकर चिंतित है। प्रदेश स्तरीय नेताओं को इन जिलों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
हरियाणा में भाजपा ने 48 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की है। जिला स्तर पर अगर आकलन किया जाए तो हरियाणा में नूंह, सिरसा, झज्जर, रोहतक और फतेहाबाद जिले ऐसे हैं, जहां भाजपा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई है। अगर बेल्ट के हिसाब से देखें तो ये जिले देशवाल और मेवात बेल्ट में आते हैं। इन जिलों में कुल 19 विधानसभा सीटें हैं। कांग्रेस ने जाटलैंड और बागड़ बेल्ट को जीता है। बागड़ ऐसी बेल्ट है, जहां कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार से बेहतर रहा है। इस बेल्ट में जाट मतदाता सबसे ज्यादा हैं। पार्टी को बागड़ बेल्ट से अतिरिक्त 6 सीटों का फायदा हुआ है। इस बार बागड़ बेल्ट में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 10, इनेलो ने 2 और निर्दलीय ने 1 सीट जीती। वहीं 2019 में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 4, जेजेपी ने 5, इनेलो ने 1 और निर्दलीय ने 2 सीटें यहां से जीती थीं। सिरसा और फतेहाबाद की सभी 8 सीटों पर कांग्रेस, इनेलो ने जीत दर्ज की।
किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर इन जिलों में देखने को मिला। यहां नशाखोरी का मुद्दा भी चुनाव में छाया रहा। नशाखोरी रोकने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी नजर आए। दोनों जिलों की पंजाबी बेल्ट में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
सिरसा और फतेहाबाद में भाजपा विधायकों और नेताओं की कार्यशैली को लेकर भी लोगों में नाराजगी रही। सिरसा में भाजपा ने गोपाल कांडा पर भरोसा जताया। फतेहाबाद में लोग दूड़ाराम से नाखुश थे। टोहाना में बराला-बबली की टिकट से नाखुश थे और ऐलनाबाद, रानियां व डबवाली में कमजोर उम्मीदवार उतारे गए थे। रोहतक व झज्जर जिलों की 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की।