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भाजपा नेतृत्व ने फिर जताया ‘गब्बर’ पर भरोसा

10:51 AM Oct 18, 2024 IST
पंचकूला में बृहस्पतिवार को शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ। -एजेंसी

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 17 अक्तूबर
हरियाणा भाजपा के सबसे वरिष्ठतम नेताओं में शुमार और ‘गब्बर’ नाम से भी विख्यात अनिल विज के कद और उनकी वरिष्ठता का पार्टी ने पूरा ख्याल रखा है। बेशक, नायब सरकार के पहले कार्यकाल में वे कैबिनेट से बाहर रहे लेकिन इस बार नायब सैनी के बाद पार्टी ने उन्हें शपथ दिलाकर उनका राजनीतिक कद और बढ़ा दिया है। प्रदेश में भाजपा के बड़े पंजाबी चेहरे के रूप में पहचान बना चुके अनिल विज अब नायब कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ मंत्री बन गए हैं।
बेशक, मनोहर लाल सरकार में गृह व स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए कई मुद्दों पर उनका सीधा मुख्यमंत्री और सीएमओ से टकराव भी हुआ। अनिल विज, भाजपा के अकेले उन नेताओं में शामिल हैं, जो सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। प्रदेश की मौजूदा यानी 15वीं विधानसभा में विज के अलावा बेरी से कांग्रेस विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादियान अकेले ऐसे विधायक हैं, जो सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। हालांकि कादियान ने लगातार छह बार चुनाव जीतकर नया रिकार्ड कायम किया है।
शुरू से ही संघ विचारधारा के रहते विज युवावस्था के दिनों में संघ की गतिविधियों में तो एक्टिव रहे लेकिन राजनीति में आने का उनका इरादा नहीं था। वे अंबाला कैंट में एसबीआई बैंक में नौकरी कर रहे थे। उस समय भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अंबाला कैंट से विधायक हुआ करती थीं। सुषमा स्वराज के राज्यसभा जाने के बाद 1990 में अंबाला कैंट में उपचुनाव के हालात बने। ऐसे में संघ की ओर से अनिल विज को चुनाव लड़ने की पेशकश की गई।
बैंक की नौकरी छोड़कर विज ने 1990 में पहली बार विधानसभा का उपचुनाव लड़ा। वे अपना पहला ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि बाद में उन्होंने किसी वजह से भाजपा को अलविदा भी कह दिया। लेकिन वे किसी पार्टी में नहीं गए। उन्होंने 1996 और 2000 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अंबाला कैंट से जीता। 2005 का चुनाव भी उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा लेकिन कांग्रेस के देवेंद्र कुमार बंसल से महज 615 मतों से चुनाव हार गए।
इसके बाद विज फिर से भाजपा में शामिल हो गए। विज ने 2009 में भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की। इस चुनाव में भाजपा के केवल चार ही विधायक बने थे। लेकिन विज अकेले ही उस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर भारी पड़ते थे। उन्हें कई बार विधानसभा से नेम करके बाहर भी निकाला गया। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ मिलकर लड़ा। हजकां अपने हिस्से की दोनों सीटों पर चुनाव हार गईं। वहीं भाजपा ने 8 में से सात संसदीय सीटों पर जीत हासिल की।
2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान विज ने भाजपा पर ‘अकेले चलो’ का दबाव बनाया। उन्होंने दलील दी कि भाजपा को किसी के साथ गठबंधन करने की जरूरत नहीं है। आखिर भाजपा ने सभी नब्बे सीटों पर अपने बूते पर चुनाव लड़ा और 47 विधायकों के साथ पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी। मनोहर लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने गए और अनिल विज उनकी कैबिनेट में स्वास्थ्य व तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे। 2019 में विज ने अंबाला कैंट से जीत की हैट्रिक लगाई।
इस बार उन्हें मनोहर सरकार में गृह व स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। इस बार उन्होंने अंबाला कैंट से लगातार चौथी बार और कुल सातवीं बार विधानसभा का चुनाव जीता है। हालांकि चुनावों के दौरान विज ने यह बयान भी दिया था कि वे वरिष्ठता के हिसाब से इस बार भाजपा से मुख्यमंत्री पद की मांग भी करेंगे। हालांकि जब विधायक दल का नेता चुनने की बात आई तो विज ने खुद ही नायब सिंह सैनी के नाम का अनुमोदन किया। अपने मुखर बोल के लिए अलग पहचान रखने वाले विज को अपनी जिद की वजह से बड़ा राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा है।

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