For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

बिसुआ और गरीब का सत्तू

06:31 AM Sep 11, 2023 IST
बिसुआ और गरीब का सत्तू
Advertisement

अरुण साथी

Advertisement

‘नागपंचमी पसार, बिसुआ उसार’। देहात में यह कहावत प्रचलित है कि नागपंचमी से पर्व त्योहारों की शुरुआत हिंदू धर्मावलंबियों के लिए हो जाती है जबकि बिसुआ पर्व, पर्व त्योहारों की समाप्ति की घोषणा होती है। बिसुआ पर्व पर सत्तू को पूज्य मानते हुए प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की परंपरा आज भी है। मेरी समझ से बिसुआ भी भारत की उस संस्कृति का एक हिस्सा है जिसमें न्यूनतम से न्यूनतम साधन का उपयोग कर उत्सव मनाने की परंपरा है। ऐसे में सत्तू को भी उत्सव पर्व में जोड़ दिया गया। सत्तू आज भले ही ब्रांडिंग के दौर में मध्य वर्गों के लिए भी स्वीकार हो गया हो परंतु तीन-चार दशक पहले यह गरीबों का आहार था। गांव देहात में लोग जब किसी को उलाहना देना चाहते थे तो यह कहते थे कि सत्तू खाते हुए दिन जा रहा है और फुटनी करते हो। यानी खा तो सत्तू रहे हो और बातें बड़ी-बड़ी कर रहे हो। गरीबी पर कटाक्ष।
यह बात सत्य भी थी। सत्तू को किसान मजदूरों (हलवाहा) के उपयोग के लिए भी देते थे। हल जोतने वाले के नसीब में खाने के रूप में सत्तू, नमक और प्याज ही होता था। कभी-कभी खुशी में अचार दे दिया जाता। मुझे याद है कि जब भी धान खेत के रोपने से पहले उसकी जुताई होती थी तो मजदूर व हलवाहा के खाने के रूप में सत्तू लेकर जाता था। बाल्टी में पानी, गमछे में सत्तू, कोई बर्तन नहीं। हलवाहा का सत्तू गमछी में बांधकर बाल्टी में पानी के साथ ले जाया जाता था। गमछी पर सत्तू सान कर हलवाहा भोजन करते थे। हलवाहा को भले ही किसान द्वारा कम सत्तू दिया जाता हो परंतु बैल के लिए एक-एक मुट्ठी जरूर खिलाया जाता था। कम सत्तू होने पर घर में आकर मालकिन से शिकायत की जाती थी कि कम सत्तू दिया गया।
सत्तू भी कई प्रकार के होते थे। गरीबों के लिए अलग सत्तू। दरअसल सत्तू को हम लोग केवल चने का सत्तू के रूप में ही जानते हैं परंतु गरीब लोग अपने स्तर से हर चीज का रास्ता खोज लेते हैं। ऐसे में सत्तू गरीबों का भी अलग हुआ। मिलोना यानी मिक्स का सत्तू उसे कहते हैं। उसमें गेहूं, मकई, जौ, मसूर और बहुत कम चना। बिसुआ पर्व पर सत्तू को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता रहा है। घर की देसी गाय का घी। देसी मिट्ठा, चने का सत्तू मिलाकर आनंदपूर्वक ग्रहण किया जाता है।
साभार : चौथा खंभा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement
Advertisement
Advertisement