Punjab में उद्योगों को बड़ी राहत, ओटीएस योजना लागू; 100 प्रतिशत दंड ब्याज माफ
राजीव तनेजा
चंडीगढ़, 14 मार्च
पंजाब के उद्योगपतियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने पंजाब लघु उद्योग एवं निर्यात निगम (पीएसआईईसी) के डिफॉल्टर प्लॉट धारकों से भूमि की बढ़ी हुई कीमत और मूल लागत के बकाया की वसूली के लिए एकमुश्त निपटान नीति (ओटीएस) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
उद्योग एवं व्यापार मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने इस बहुप्रतीक्षित फैसले के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे चार दशकों से लंबित मामलों का निपटारा होगा और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने 3 मार्च, 2025 को हुई बैठक में इस योजना को मंजूरी दी थी और सिर्फ 10 दिनों के भीतर इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
क्या है OTS योजना?
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, ओ.टी.एस. योजना केवल प्लॉट की मूल कीमत और बढ़ी हुई भूमि कीमत पर लागू होगी।
इस योजना के तहत 100% दंड ब्याज माफ किया जाएगा।
केवल 8% वार्षिक साधारण ब्याज वसूला जाएगा।
मूल राशि किसी भी परिस्थिति में माफ नहीं होगी।
भूमि की बढ़ी हुई कीमत, जिसे पी.एस.आई.ई.सी. द्वारा माननीय अदालत के आदेशानुसार चुकाया गया है, किसी भी स्थिति में माफ नहीं की जाएगी।
डिफॉल्टर प्लॉट धारकों को कब तक करना होगा भुगतान?
सभी डिफॉल्टर प्लॉट धारकों/आवंटियों को 31 दिसंबर 2025 तक अपने बकाए का भुगतान करना होगा। जिन प्लॉटों का आवंटन पहले ही रद्द हो चुका है, वे भी अपने बकाए का भुगतान कर सकते हैं और रद्द आवंटन को बहाल करवा सकते हैं। प्लॉट बहाली के लिए बढ़ी हुई भूमि कीमत, एक्सटेंशन फीस, हर्जाना (यदि अदालत द्वारा लगाया गया हो) जैसे अन्य लागू शुल्क भी चुकाने होंगे। यदि कोई आवंटी अपील दायर करता है, तो जांच कमेटी की मंजूरी के बाद ही प्लॉट बहाली संभव होगी।
अगर भुगतान नहीं किया तो क्या होगा?
यदि डिफॉल्टर प्लॉट धारक इस योजना के तहत बकाया राशि जमा नहीं करते हैं, तो सरकार नियमों के अनुसार वसूली करेगी।
यह योजना केवल उन डिफॉल्टर प्लॉट धारकों पर लागू होगी, जिनका मूल आवंटन 1 जनवरी 2020 या इससे पहले हुआ था।
यह पी.एस.आई.ई.सी. द्वारा विकसित सभी औद्योगिक फोकल प्वाइंट्स के औद्योगिक और आवासीय प्लॉटों पर लागू होगी।
उद्योगों को मिलेगा नया जीवन
सरकार का यह फैसला राज्य में औद्योगिक माहौल को मजबूती देने और व्यापार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दर्शाता है। यह योजना उन उद्योगपतियों के लिए राहत लेकर आई है, जो दशकों से लंबित मामलों के कारण परेशान थे।