56 वर्षों बाद ढहा भजनलाल का दुर्ग, भव्य नहीं बचा सके परिवार की सीट
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अक्तूबर
हरियाणा में सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौ़ भजनलाल का अभेद्य किला इस बार ढह गया। आईएएस सेवाओं से सेवानिवृत्त होकर कांग्रेस की राजनीति में एक्टिव हुए चंद्र प्रकाश ने भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को उनके घर में ही पटकनी दे दी। चुनाव के इन नतीजों ने साफ कर दिया है कि कुलदीप बिश्नोई का परिवार सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का फैसला घाटे का सौदा साबित हुआ। भजनलाल की राजनीतिक विरासत कुलदीप के ही हाथों में थी लेकिन यह पहला मौका है जब भजनलाल परिवार आदमपुर से चुनाव हारा है। विभाजन के समय पाकिस्तान से हरियाणा आए भजनलाल के परिवार ने फतेहाबाद के मोहम्मदपुर रोही में अपना घर बनाया। इसके बाद आढ़त के व्यवसाय के चलते भजनलाल आदमपुर मंडी में शिफ्ट हो गए। पहली बार भजनलाल ने ब्लाक समिति का चुनाव लड़ा। वे चेयरमैन की दौड़ में थे और एक पार्षद की कमी पड़ रही थी। उस समय रामजी लाल ने उनकी मदद की। इसके चलते वे ब्लाक समिति चेयरमैन बनने में कामयाब रहे। इसके बाद भजनलाल और रामजी लाल गहरे दोस्त बन गए। रामजी लाल सांसद भी रहे। अब उन्हीं रामजी लाल के भतीजे चंद्र प्रकाश ने भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को चुनाव में शिकस्त दी है। भजनलाल ने पहली बार 1968 में आदमपुर से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 1977 और 1982 में भी वे यहां से विधायक बने। 1987 में चौ. देवीलाल की आंधी प्रदेश में चली और कांग्रेस के पांच ही विधायक बने। उनमें आदमपुर से भजनलाल की पत्नी जसमा देवी भी शामिल रहीं। जसमा देवी का यह पहला चुनाव था और उन्होंने इसमें जीत हासिल की।
इसके बाद 1991 में भजनलाल फिर से आदमपुर से विधायक और उन्होंने कांग्रेस सरकार में वे मुख्यमंत्री भी रहे। 1996 में कांग्रेस सरकार तो रिपीट नहीं कर पाई लेकिन भजनलाल अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रहे। 1998 में भजनलाल करनाल लोकसभा सीट से सांसद बन गए और उन्होंने आदमपुर सीट से इस्तीफा दे दिया। यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई ने उपचुनाव लड़ा और कुलदीप पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2000 और 2005 में भी भजनलाल ने इसी सीट से चुनाव जीता। 2005 में जब उनकी जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तो 2008 में भजनलाल ने कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) का गठन कर दिया। यहां हुए उपचुनाव में भजनलाल ने हजकां टिकट पर जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनावों में भजनलाल हिसार पार्लियामेंट से हजकां टिकट पर चुनाव जीते। वहीं अक्तूबर-2009 में हुए विधानसभा चुनावों में कुलदीप बिश्नोई ने हजकां टिकट पर आदमपुर से जीत हासिल की। इसके जब चौ़ भजनलाल का निधन हुआ तो हिसार सीट पर उपचुनाव हुआ और कुलदीप बिश्नोई ने हजकां टिकट पर उपचुनाव में जीत हासिल की। वहीं आदमपुर सीट खाली होने के बाद हुए उपचुनाव में कुलदीप की पत्नी रेणुका बिश्नोई ने जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा में दस्तक दी। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का कांग्रेस में विलय कर दिया और उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनावों में आदमपुर सीट से कांग्रेस टिकट पर जीत हासिल की। 2019 में भी कुलदीप बिश्नोई ने यहां से जीत दर्ज की।
भजन परिवार के सभी सदस्य बन चुके विधायक
आदमपुर प्रदेश का ऐसा अकेला निर्वाचन क्षेत्र है, जहां से भजनलाल परिवार के अधिकांश सदस्य विधायक बने हैं। भजनलाल के अलावा उनकी पत्नी जसमा देवी, बेटा कुलदीप बिश्नोई व पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई भी विधायक बनीं। वहीं उनके पोते भव्य बिश्नोई भी आदमपुर से विधायक बनने में कामयाब रहे। अब भव्य बिश्नोई की हार के बाद कुलदीप समर्थकों में यह चर्चा आम है कि उनका कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का फैसला सही नहीं था।
यह रहा आदमपुर का परिणाम भाजपा ने आदमपुर सीट पर अपने मौजूदा विधायक भव्य बिश्नोई को टिकट दिया। कांग्रेस ने यहां बैकवर्ड कार्ड खेलते हुए सेवानिवृत्त आईएएस चंद्र प्रकाश को टिकट दिया। दिलचस्प पहलू यह है कि चंद्र प्रकाश नलवा से कांग्रेस की टिकट मांग रहे थे। आदमपुर में उन्होंने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा और भव्य बिश्नोई को 1268 मतों के अंतर से शिकस्त दी। चंद्र प्रकाश को 65 हजार 371 वोट मिले। वहीं भव्य बिश्नोई के हिस्से में 64 हजार 103 वोट आए। इस इलाके में दोनों पार्टियों के बीच आमने-सामने की टक्कर हुई। इनेलो के रणदीप चौधरीवास को मात्र 1869 और आम आदमी पार्टी के भूपेंद्र बेनीवाल को 1814 वोट ही मिले।