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बावल कांग्रेस काे 34 वर्षों से जीत का इंतजार, इस बार फिर मुकाबला कड़ा

10:25 AM Sep 14, 2024 IST
डा. कृष्ण कुमार

तरुण जैन/हप्र
रेवाड़ी, 13 सितंबर
बावल विधानसभा क्षेत्र में पिछले 34 साल से कांग्रेस प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर पाया है। चर्चा है कि क्या इस बार 34 साल का कांग्रेस का वनवास समाप्त हो सकता है। इस रिजर्व सीट से इस बार भाजपा ने स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर पद से 3 दिन पूर्व इस्तीफा देने वाले बिलकुल नये चेहरे डा. कृष्ण कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने राजनीति के पुराने खिलाड़ी व पूर्व मंत्री डा. एमएल रंगा को टिकट दिया है। बता दें कि बावल विधानसभा क्षेत्र से पिछले 34 साल में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत नसीब नहीं हुई है। 1991 के बाद से इस पार्टी का प्रत्याशी कभी इनेलो तो कभी भाजपा व निर्दलीय प्रत्याशियों से हारता रहा है। पिछले 52 वर्षों में कांग्रेस केवल 3 बार जीती है। वर्ष 2000 में इनेलो टिकट पर डा. एमएल रंगा चुनाव जीत कर सरकार में मंत्री बने थे।

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डा. एमएल रंगा

रिजर्व सीट बावल से इस बार पूर्व डायरेक्टर व पूर्व कुलपति के बीच मुख्य मुकाबला होगा। भाजपा के प्रत्याशी डा. कृष्ण कुमार 3 दिन पूर्व स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर पद से इस्तीफा देकर भाजपा में आए हैं। पार्टी ने दो बार के लगातार विधायक व मंत्री डा. बनवारी लाल का टिकट काटकर डा. कृष्ण पर भरोसा जताया है। उन्हें टिकट दिलाने में राव इन्द्रजीत सिंह की विशेष भूमिका रही है। बावल हलका के ही गांव भठेड़ा के डा. कृष्ण रेवाड़ी सहित विभिन्न जिला में सीएमओ रह चुके हैं। डा. बनवारी लाल के प्रति लोगों की नाराजगी को कम करने के लिए पार्टी ने इस बार उन्हें मैदान में उतारा है। इधर डा. एमएल रंगा पिछले 24 सालों से राजनीति में हैं। वे जब कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्यरत थे तो इनेलो ने उन्हें इस्तीफा दिलाकर बावल के रण में उतारा था। पहली बार में ही डा. रंगा ने जीत दर्ज की और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में मंत्री बनें। कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में भी डा. एमएल रंगा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन डा. बनवारी लाल के हाथों उनकी हार हुई थी। इसके बाद वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए और फिर कुछ समय बाद वापस कांग्रेस में आ गए। इस बार कांग्रेस ने एक बार फिर डा. रंगा पर दांव खेला है। कांग्रेस ने महत्वपूर्ण दावेदारों नीलम भगवाड़िया व पूर्व मंत्री जसवंत सिंह का टिकट काटकर डा. रंगा को चुनाव में उतारा है। टिकट से वंचित इन दोनों नेताओं का डा. रंगा को कितना साथ मिलेगा, कुछ दिनों में ही इसका पता चल जाएगा। पूर्व मंत्री शकुंतला भगवाड़िया की बेटी नीलम का टिकट कटने से उनके समर्थकों में भारी निराशा है। 2019 में भी उनका टिकट कटा था तो वे नाराज होकर भाजपा में चली गई थीं। लेकिन जब भाजपा ने भी उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे कांग्रेस में लौट आईं। बावल में जाट व दलित समुदाय जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

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