For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

मंडी का रण : किंग और क्वीन में सीधी जंग

07:08 AM Apr 18, 2024 IST
मंडी का रण   किंग और क्वीन में सीधी जंग
Advertisement

दिनेश भारद्वाज
हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट पर ‘किंग’ और ‘क्वीन’ में सीधी जंग है। कांग्रेस के प्रभाव वाले इस संसदीय क्षेत्र पर पहली बार हिमाचल प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लोगों की नज़रें लगी हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत भाजपा के टिकट पर मंडी से चुनावी रण में हैं। उधर, पांच बार हिमाचल के सीएम रहे राजा वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है।
अपने बयानों और सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से सुर्खियों में रह चुकीं कंगना मूल रूप से मंडी की ही हैं। बॉलीवुड में कई सफल फिल्में दे चुकी कंगना की ‘मणिकर्णिका– दि क्वीन ऑफ झांसी’ फिल्म को लोगों ने काफी सराहा था। इंदिरा गांधी के समय लगी ‘इमरजेंसी’ पर भी फिल्म बना चुकी कंगना अब भगवा रंग में हैं। बेशक, कंगना का यह पहला चुनाव है, लेकिन भाजपा नेतृत्व का पूरा ‘आशीर्वाद’ उनके साथ है। मंडी सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। हिमाचल में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा रहे और पांच बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और कांग्रेस की मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य इस बार परिवार की परंपरागत सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह दो बार शिमला (ग्रामीण) से विधायक रह चुके हैं। उनके पिता चूंकि राजघराने से रहे, इसलिए हिमाचल के लोग उन्हें ‘राजा साहब’ कहकर ही बुलाया करते थे।

तीन बार हो चुके हैं उपचुनाव

मंडी संसदीय सीट पर 1952 से लेकर अभी तक तीन बार उपचुनाव हो चुके हैं। संयोग से तीनों ही बार कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत हासिल की है। पहली बार 1952 में ही उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस की राजकुमारी अमृत कौर ने चुनाव जीता। इसके बाद 2012 में वीरभद्र जब फिर से प्रदेश के सीएम बने तो उन्होंने मंडी लोकसभा सीट खाली की। 2013 में यहां हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की। इसके बाद 2021 में उपचुनाव में प्रतिभा को फिर विजय मिली।
इन हलकों पर लगेगा जोर: मंडी सीट से जीत हासिल करने के लिए कंगना और विक्रमादित्य को कड़ी मेहनत करनी होगी। पहाड़ी इलाका होने की वजह से सभी हलकों को पूरी तरह कवर करना मुश्किल है। मंडी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 17 हलकों में भरमौर, लाहौल और स्पीति, मनाली, कुल्लू, बन्जार, आनी, करसोग, सुंदर नगर, नाचन, सिराज, दरंग, जोगेंद्र नगर, मंडी, बल्ह, सरकाघाट, रामपुर और किन्नौर शामिल हैं।

Advertisement

विक्रमादित्य के लिए नया नहीं इलाका

मंडी संसदीय क्षेत्र कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह के लिए बिल्कुल भी नया नहीं है। वह पूर्व में भी इस क्षेत्र में काम कर चुके हैं। 2021 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में भी उन्होंने अपनी माता प्रतिभा सिंह के लिए मंडी में चुनाव प्रचार किया था। चुनाव प्रबंधन की पूरी कमान भी उन्होंने ही संभाली हुई थी। उनके पिता वीरभद्र सिंह भी मंडी से तीन बार सांसद रहे। 2021 के उपचुनाव को मिलाकर देखें तो प्रतिभा सिंह भी तीसरी बार मंडी सीट का संसद में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

कंगना को युवाओं पर भरोसा

कंगना रणौत चूंकि सेलिब्रिटी हैं और यूथ हैं, ऐसे में उन्हें युवा मतदाताओं से खासी उम्मीद है। स्थानीय भाजपा यूनिट का उन्हें पूरा साथ मिल रहा है। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का मंडी में अच्छा प्रभाव माना जाता है। उन्होंने चुनावी कमान अपने हाथों में ली हुई है। ठाकुर की गिनती पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ‘भरोसेमंद’ नेताओं में होती है। कंगना को दूसरा फायदा यह भी है कि इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 17 विधानसभा हलकों में से 2022 के आमचुनावों में भाजपा ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी।

Advertisement

यहां का चुनावी इतिहास

वर्ष सांसद

1952 गोपीराम
(इसी साल उपचुनाव में राजकुमारी अमृत कौर बनीं)
1957 राजा जोगेंद्र सेन बहादुर
1962 ललित सेन
1967 ललित सेन
1971 वीरभद्र सिंह
1977 गंगा सिंह
1980 वीरभद्र सिंह
1984 सुखराम
1989 महेश्वर सिंह
1991 सुखराम
1996 सुखराम
1998 महेश्वर सिंह
1999 महेश्वर सिंह
2004 प्रतिभा सिंह
2009 वीरभद्र सिंह
(2013 के उपचुनाव में प्रतिभा सिंह)
2014 रामस्वरूप शर्मा
2019 राम स्वरूप शर्मा
(2021 के उपचुनाव में प्रतिभा सिंह)

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×