For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

सम्मान के अरमान

07:38 AM Jul 28, 2024 IST
सम्मान के अरमान

जब भी होता सम्मान
स्नेह के बोझ तले दब जाता हूं
कोशिश करता हूं चुका सकूं
यह कर्ज जल्द से जल्द
मुझे हकदार मान जो दिया गया सम्मान
उसे करके समाज की सेवा ज्यादा से ज्यादा
मय ब्याज अदा कर शीघ्र उऋण हो सकूं
इसी चिंता में दिन भर रहता हूं।
सम्मान बढ़ा देते हैं जिम्मेदारी
डर भी लगता है आ जाये नहीं अभिमान
कि जो असली कद है उसके बजाय
अपनी विशाल प्रतिमाओं को ही
समझ न बैठूं असली
खिसक न जाये जमीन कहीं पैरों के नीचे की
उड़ने न लगूं मैं कहीं हवा में
इसीलिये सम्मानों से
बचने की कोशिश करता हूं
फिर भी जब जबरन मिलता है
जी-जान लगाकर खुद को ज्यादा से ज्यादा
निर्मल करने लग जाता हूं
सूरज की किरणों को जैसे
दर्पण करता प्रत्यावर्तित
कर सकूं उसी के जैसा ही मैं भी अर्पित
सम्मान उसी जन-मानस को
जो मुझको देता है समाज
रह जाये नहीं कुछ शेष
सिवा कर्मों के मेरे, पास मेरे।
हेमधर शर्मा

Advertisement

Advertisement
Advertisement
×