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यूएफओ देखने के दावे हकीकत या मनगढ़ंत

10:25 AM Apr 21, 2024 IST
यूएफओ देखने के दावे हकीकत या मनगढ़ंत
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अभी कोई सबूत नहीं कि एलियंस पृथ्वी पर आए या उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। एलियंस के अस्तित्व का भी प्रमाण नहीं। बीते साल अमेरिकी प्रशासन ने अनजानी उड़न वस्तुएं यानी यूएफओ देखे जाने के दावों पर जारी रिपोर्ट में 2004-2023 तक सैकड़ों घटनाओं की व्याख्या की, जिन्हें अमेरिकी सेना अनआइडेंटिफाइड एरियल फिनोमिना कहती है। हालांकि एक मामले में बताया कि गर्म हवा के गुब्बारे को भ्रमवश उड़नतश्तरी समझा।

डॉ. संजय वर्मा
लेखक एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

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अब से ठीक 50 साल पहले सन 1974 में फ्रांस के एक ऑटो-रेसिंग पत्रकार राइल और क्लाउडे वॉरिल्हॉन ने जिस राइलियन पंथ की स्थापना की थी, उसके बारे में दावा है कि यह पंथ दूसरे ग्रहों से आए जीवों यानी एलियंस के कारण अस्तित्व में आया था। इस पंथ को यूएफओ रिलीजन यानी अनजानी उड़न चीजों के पंथ के नाम से भी जाना जाता है। परग्रही सभ्यताओं या कहें कि एलियंस में यकीन रखने वाले इस पंथ के लोगों ने अंतरराष्ट्रीय राइलियन आंदोलन खड़ा किया और एलियंस को इलोहिम की संज्ञा देते हुए उन्हें ही पृथ्वी पर जीवन लाने का जिम्मेदार बताया। इस पंथ की स्थापना से एक साल पहले पत्रकार राइल ने 1973 में दावा किया था कि एक दिन उड़न तश्तरी से उतरे इलोहिम नामक जीव ने उनसे भेंट की और दावा किया कि पृथ्वी पर जो जीवन दिखाई देता है, उसे उन्होंने (इलोहिम और उनके सहयोगियों ने) अपनी प्रयोगशालाओं में तैयार किया है। राइल का मत है कि इलोहिम को भी ही पृथ्वी पर पैदा हुए विभिन्न धर्मों के लोगों ने ईश्वर समझ लिया। इलोहिम जीवों के बारे में पत्रकार राइल ने एक दावा और किया था। उन्होंने कहा था कि इलोहिम ने उसे (राइल को) पृथ्वीवासियों को यह बताने का जिम्मा सौंपा है कि इलोहिम ईश्वर नहीं हैं, बल्कि वे मनुष्य की तरह साधारण जीव हैं और इस सच की उद्घोषणा के लिए ही राइलियन पंथ बनाया गया है।


राइलियन पंथ के कितने अनुयायी दुनिया में अब भी हैं- इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। लेकिन जहां तक परग्रही सभ्यताओं या कहें कि एलियंस के वजूद का सवाल है, तो इस बारे में कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं मिलने की बात कही जा रही है। इसी वर्ष फरवरी 2024 में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने साफ किया है कि ऐसा कोई सबूत अब तक नहीं मिला है जिससे साबित हो कि एलियंस पृथ्वी पर आए या उनका यान (ज्यादातर दावों के मुताबिक उड़नतश्तरी) दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो। इसका अर्थ यह निकलता है कि एलियंस के अस्तित्व के जितने दावे किए गए हैं, वे प्रामाणिकता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। हालांकि दिलचस्प यह है कि एलियंस के वजूद को नकारने वाले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बाह्य अंतरिक्ष में जीवन की खोज के लिए ऑल-डोमेन एनोमली रेजोल्यूशन ऑफिस(एएआरओ) नामक नया विभाग बनाया है। आश्चर्यजनक रूप से इस विभाग के निदेशक शॉन कर्कपैट्रिक कह चुके हैं कि इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता है कि ब्रह्मांड में कहीं और जीवन नहीं है, लेकिन मुश्किल यह है कि इस खोज में हमारे वैज्ञानिक नजरिये और उपकरण सही दिशा में काम नहीं कर पा रहे हैं।
यूएफओ आखिर किसके हैं
वर्ष 2023 में अमेरिकी प्रशासन ने अनजानी उड़न वस्तुओं(यूएफओ) को देखे जाने से संबंधित दावों पर एक रिपोर्ट जारी कर 2004 से 2023 के बीच उन ऐसी करीब 140 घटनाओं की व्याख्या की थी, जिन्हें अमेरिकी सेना ‘अनआइडेंटिफाइड एरियल फिनोमिना’ (यूएपी) कहती रही है। इन वस्तुओं को यूएपी या यूएफओ कहने का अर्थ यह है कि इनकी दुनियावी तौर-तरीकों से व्याख्या नहीं की जा सकती है। हालांकि रिपोर्ट में महज एक मामले के बारे में दावे से कहा गया कि गर्म हवा के गुब्बारे को भ्रमवश उड़न तश्तरी समझ लिया गया था। इन मामलों के अलावा 143 अन्य घटनाओं का भी उल्लेख रिपोर्ट इस प्रकार किया गया कि कहना मुश्किल है कि ये घटनाएं बाहरी दुनिया की ताकत की वजह से हुई हैं या फिर इनके पीछे रूस या चीन जैसी किसी महाशक्ति देश का हाथ है। रिपोर्ट में ऐसी तमाम घटनाओं का ब्यौरा दिया गया जिनमें कुछ उड़ती हुई चीजों को उस गति से इधर से उधर जाते हुए देखा गया, जो भौतिकी के मौजूदा नियमों के तहत संभव नहीं है। भले ही इस रिपोर्ट में यूएफओ और एलियंस के वजूद पर स्पष्टता से कुछ नहीं कहा गया है और न ही उन चर्चाओं पर विराम लगाने की कोई कोशिश अमेरिकी प्रशासन की तरफ से की गई कि ऐसी परियोजनाएं अब रोक दी जाएंगी। अतीत में अमेरिकी स्पेस एजेंसी- नासा भी वर्ष 2002 में अपनी यूएफओ इकाई को यह कहकर बंद कर चुकी है कि इन अनजानी चीजों के वजूद या इनके गुम होने या न होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है। लेकिन दूसरी तरफ अमेरिकी संसद के सदन में वर्ष 2023 में जो रक्षा नीति अधिनियम पारित किया गया, उसमें रक्षा मंत्रालय की एलियंस की खोज संबंधी कोशिशों को खास जगह दी गई है। इससे लगता है कि प्राचीन समय से ब्रह्मांड में दूसरी सभ्यताओं की खोज का काम सतत जारी रह सकता है। खासकर तब तक, जब तक कि दूसरी ओर से की गई हैलो को हम सुन नहीं लेते हैं।
कल्पना के केंद्र में उड़न तश्तरियां
असल में इंसान ने जब पहली बार गुफाओं-कंदराओं में रेखांकनों के जरिये अपनी अभिव्यक्ति को आकार देना शुरू किया था, तभी से अंतरिक्ष की सभ्यताएं और उड़न तश्तरियां उसकी कल्पना के केंद्र में रही हैं। पेरू स्थित नाज्को रेखाओं, प्राचीन इंका मंदिरों, पिरामिडों और अनेक गुफाओं में बाहरी दुनिया के अंतरिक्ष यात्रियों और उड़न तश्तरियों का रेखांकन हमें इस साझा सहमति की ओर ले जाता है कि अतीत में मानव जाति का कोई संपर्क अंतरिक्ष की किसी बुद्धिमान सभ्यता से हुआ होगा। हाल तक ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं जिनसे परग्रही सभ्यताओं और उड़न तश्तरियों का आभास मिलता रहता है। भारत के लद्दाख, पाकिस्तान के डेरा गाजी खान से लेकर ब्रिटेन-अमेरिका तक में इन घटनाओं की पुनरावृत्ति के असंख्य दावे किए जाते रहे हैं। वर्ष 2002 में एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल चार्ल्स हाल्ट के इस दावे में कुछ चर्चा पाई थी कि 27 दिसंबर 1980 की रात ब्रिटेन के पूर्वी एंजेलिया इलाके में अमेरिकी एयरबेस पर उन्होंने एक उड़न तश्तरी देखी थी। एंजेलिया इलाके में वुडब्रिज के पास वेंटवाटर्स में उन्होंने आधी रात के वक्त असामान्य उजाला फैलते और एक उड़न तश्तरी को वहां मंडराते देखा था। इस घटना के बाद कम से कम तीन ऐसे प्रमाणों की बात कही थी, जिनमें दावा किया गया था कि उस क्षेत्र में असामान्य रेडियो विकिरण पाया गया था। कहा जाता है कि जिस इलाके में उड़न तश्तरियां आती हैं, वहां ऐसा ही रेडियो विकिरण फैल जाता है। यूं तो हाल्ट ने इस घटना की सूचना अमेरिकी रक्षा मंत्रालय को भी दी थी, लेकिन मंत्रालय ने इस घटना को एक नष्ट रूसी उपग्रह या छोटे नाभिकीय हथियार के विस्फोट से जोड़कर छिपाए रखा था।
फिल्मों का प्रिय विषय
आधुनिक और वैज्ञानिक युग में उड़न तश्तरियों को देखे जाने का पहला दावा अमेरिका में किया गया था। सन 1947 में एक निजी विमान से सफर कर रहे एक अमेरिकी कारोबारी ने आसमान ने डिस्कनुमा उड़न वस्तुओं को देखे जाने का दावा किया, तो इन्हें यूएफओ यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट की संज्ञा दी गई। इसके बाद यूएफओ न सिर्फ फिल्मों और स्टार ट्रेक सरीखे टीवी धारावाहिकों का प्रिय विषय बन गए, बल्कि इनसे जुड़ी कहानियों और दावों का अंबार भी लग गया। कई बार ये दावे भी किए गए कि यूएफओ से आए हरे मानवों यानी एलियंस ने कुछ लोगों का अपहरण कर लिया। इन्हीं में से कुछ लोगों ने दावा किया कि एलियंस ने अपहरण करने के बाद उनके ऐसे रोग ठीक कर दिए, असाध्य कहकर जिनका इलाज नकार दिया गया था।

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दावों की पड़ताल के अभियान
इन दावों की पड़ताल और पुष्टि के लिए खास तौर से अमेरिकी सेना और उसकी स्पेस एजेंसी नासा ने कई बार अभियान भी चलाए। अमेरिकी वायु सेना ने 1969 में ऐसी ही एक शोध परियोजना - प्रोजेक्ट ब्लू बुक नाम से चलाई थी। इस परियोजना में यूएफओ दिखाई देने की 12,618 घटनाएं सूचीबद्ध की गई थीं। आधिकारिक तौर पर इनमें से 716 घटनाओं की कोई व्याख्या या जानकारी उपलब्ध नहीं है। इनमें दर्ज रोजवेल घटना का विवरण काफी दिलचस्प है। असल में, एक दावे के मुताबिक 4 जुलाई 1947 को अमेरिकी के न्यू मेक्सिको स्थित रोजवेल इलाके में एक उड़न तश्तरी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसके मलबे से पांच बौनों के शरीर भी मिलने की बात कही गई थी, जिनके सिर के आकार धड़ की तुलना में काफी बड़े थे। वर्ष 1995 में ब्रिटेन में चैनल-4 पर इस इलाके की गुप्त रूप से की गई एक शूटिंग का प्रसारण भी कथित साक्ष्य के रूप में किया गया था। हालांकि इस प्रसारण को देखने वालों का कहना था कि शूटिंग इतनी घटिया थी कि उससे परग्रही प्राणियों के बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। बहरहाल, 1994 में अमेरिकी एयर फोर्स ने कहा था कि उसने 1947 के चर्चित ‘रोजवेल इंसिडेंट’ से जुड़ा अध्ययन पूरा कर लिया है। न्यू मेक्सिको में हुई इस घटना को अधिकारियों ने गर्म हवा के गुब्बारे का क्रैश होना बताया और कहा कि घटनास्थल से एलियंस के शरीर बरामद नहीं हुए थे।
परग्रही सभ्यताओं(एलियंस) और यूएफओ के बारे में वस्तुस्थिति यह है कि बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी यही राय रखता है कि ब्रह्मांड के असीम विस्तार, इंसानी कोशिशों और हमारे उपकरणों की सीमित पहुंच के आधार पर यह दावा करना गलत है कि पृथ्वी से बाहर कहीं कोई जीवन या सभ्यता नहीं होगी। समस्या सिर्फ यह है कि हम उन (एलियंस) तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। साथ ही, ब्रह्मांडीय दूरियों को देखते हुए अभी हमारे लिए यह संभव नहीं है कि सौरमंडल के दूरस्थ ग्रहों और सौरमंडल के पार जाकर दूसरी सभ्यताओं के अस्तित्व को पहचान सकें।

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