देश के मनमोहक ट्रेन रूट्स
राजेंद्र कुमार शर्मा
हर कोई गर्म उमस भरे मौसम में ठंडक लेने का लुत्फ उठाने के लिए ट्रिप पर जाना चाहेगा। अगर आप भी अपने परिवार के साथ कुछ ऐसा समय बिताना चाहते हैं जो आपकी और उनकी चिर-स्मृतियों में बस जाएं तो इस बार अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए रेल से यात्रा करके देखिए। देश में कई ऐसी ट्रेन यात्राएं हैं जिनमें आपकी यात्रा यादगार बन जाएगी।
दार्जिलिंग हिमालयन
यह भारत का सबसे पुराना नैरो गेज रेलवे ट्रैक है और न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलता है। यह भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है और इस ट्रैक का नाम 1999 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था। यह ट्रेन अब डीजल से भी चलती है, लेकिन पहले ट्रेनें भाप से चलती थीं। इस मार्ग पर आपको हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव होगा। यह ट्रेन धीमी गति से चलते हुए हरे-भरे जंगलों और चाय बागानों से पहाड़ी चोटियों के बीच से निकलती है।
कांगड़ा घाटी रेल मार्ग
सुंदर कांगड़ा घाटी रेलवे मार्ग पंजाब के पठानकोट से हिमाचल प्रदेश के जोगिंदर नगर तक फैला है, जिसमें क्रमशः 250 फीट और 1,000 फीट की दो शानदार सुरंगें हैं। इन सुरंगों से गुजरने वाली ट्रेन और आसपास की हरी भरी पहाड़ियों को देखकर आंखों को ताज़गी और काफी मानसिक शांति मिलती है।
कालका से शिमला
हिमालयन क्वीन या शिवालिक एक्सप्रेस ट्रेन नैरो गेज पहाड़ी मार्ग पर चलती है जो कालका से शुरू होती है और शिमला तक जाती है। यह टॉय ट्रेन चीड़ के ऊंचे वृक्षों वाली हरी-भरी घाटियों से गुजरती हुई शिमला में समाप्त होती है। इस ट्रैक पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए केवल टॉय ट्रेनें ही चलती हैं। इस मार्ग पर 102 सुरंगों, 87 पुल और 900 मोड़ हैं। इस ट्रेक को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल किया है।
जम्मू से बारामूला
जम्मू में भी आप ट्रेन का लुत्फ उठा सकते हैं। यह उत्तरी भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण मार्गों में से एक है और इसे रेलवे पटरियों की मदद से कश्मीर घाटी को भारतीय मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए बनाया गया है। इस मार्ग पर लगभग 700 से अधिक पुल और कई सुरंगें हैं। यह पहाड़ों से घिरा हुआ है और चिनाब नदी को पार करता हुआ जाता है।
मेट्टपालयम से ऊटी
दक्षिण की टॉय ट्रेन पर सवार होकर समय और धुंध के बीच से यात्रा करने के साथ-साथ और पहाड़ियों और हरी-भरी घाटियों का आनंद आप इस रेल यात्रा में ले सकते हैं। घुमावदार पहाड़ियां, पारदर्शी पानी वाली झीलें और इस सफर का मजा दोगुना कर देती हैं।
मुंबई-गोवा
मंजिल तक पहुंचने का रास्ता इतना शानदार है कि आपको सालों तक रहेगा याद। इस सफर में पूरे 14 घंटे लगते हैं।
कन्याकुमारी से त्रिवेन्द्रम
अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर का संगम इस रेल यात्रा में देखा जा सकता है। इस ट्रैक के दौरान बैकवाटर, हरी-भरी हरियाली और स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ आप इस यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
रत्नागिरि-मैंगलोर
कोंकण रेलवे का सफर भी बेहद शानदार है। जो लंबे टनल, घने जंगल, नदी, पुल से होकर गुजरता है। इस ट्रेन की भी यात्रा पूरे 10 घंटे का समय लेती है। मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारों के साथ यह एक अविस्मरणीय संस्मरण बन जायेगा।