अच्छे-बुरे स्पर्श के प्रति सचेत भी करें बच्चों को
बाल शोषण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जरूरी है कि उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में बताया जाये। उन्हें निजी अंगों की भी जानकारी दी जाये। यह भी कि यदि कोई असहज बर्ताव महसूस हो तो वे तुरंत माता-पिता को बताएं। चाहे ऐसा दुर्व्यवहार करने वाला करीबी रिश्तेदार हो, आस-पड़ोस से हो या फिर टीचर।
डॉ. मोनिका शर्मा
पैंरेंट्स का बच्चों के शारीरिक शोषण के मामले में सतर्क रहना बेहद आवश्यक है। साथ ही यह सजगता भी समय रहते बरती जाये तो बेहतर है। भारतीय समाज में आज भी अभिभावक बच्चों को लेकर हर किसी पर भरोसा नहीं करते पर कई बार क़रीबी अपनों और परिचितों पर विश्वास करना भी कटु अनुभव साबित होता है। आये दिन सामने आतीं घटनाएं बताती हैं कि स्कूल-ट्यूशन टीचर, घरेलू सहायक, सगे-संबंधी और आस-पड़ोसियों तक बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। विकृत मानसिकता के लोग लड़कियों का ही नहीं, लड़कों का शारीरिक शोषण करने में भी नहीं चूक रहे। ऐसे समाचार भी सामने आते रहते हैं कि पुरुष नहीं बल्कि महिला ने भी किसी मासूम के साथ फिजिकल अब्यूज़ किया है। तकलीफदेह यह है कि कई बच्चे तो लम्बे समय तक यह भी समझ पाते कि उनके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। ऐसे में बच्चों को गुड टच बैड टच के बारे में बताना-समझाना आवश्यक है। ताकि उनका मासूम मन किसी के ऐसे कुत्सित इरादों की जानकारी माता-पिता को पहले ही कदम पर दे सके।
अच्छे-बुरे स्पर्श की समझ
बच्चों से सभी प्रेम करते हैं। गोद में उठाते हैं। चूमते या गले लगा लेते हैं। अगर सोच सही हो तो स्नेह का भाव गलत भी नहीं है। दुखद यह है कि बहुत से लोग यूं प्यार जताते हुए ही बच्चों को फिजिकल अब्यूज़ के पीड़ादायी घेरे में ले लेते हैं। इसीलिए बच्चों को प्यार की भाषा के सही मायने समझाएं। कैसे किसी का स्पर्श अच्छा या बुरा हो सकता है? यह बताते हुए गुड टच बैड टच के बारे में बताएं। बच्चों को समझाएं कि जब किसी के छूने से सहजता और स्नेह की अनुभूति हो, वह गुड टच होता है। उदाहरण के तौर पर अपने घर के सदस्यों दादा-दादी , नाना-नानी, मां-पापा, दीदी-भैया के प्यार जताने का ढंग बता सकते हैं। इनके स्नेह जताने से आपको अच्छा लगता है न? यह सवाल पूछते हुए समझाइए कि यह गुड टच ऐसा होता है। साथ ही अगर किसी के छूने से आपको अच्छा नहीं लगता तो यह बैड टच होता है। ऐसे लोगों के छूने और प्यार जताने से आपको असहज महसूस होगा। बालमन को समझा दें कि ऐसे लोग अकेले में आपको छूने का प्रयास करेंगे।
अंगों की जानकारी
गुड टच बैड टच की जानकारी के साथ ही बच्चों को शारीरिक संरचना के बारे में भी समझाएं। निजी अंगों की जानकारी देते हुए बताएं कि विषेशरूप से शरीर के इन अंगों को कोई छूए तो यह बैड टच होता है। बच्चों को बताएं कि इन प्राइवेट पार्ट्स को छूने वाले लोग गलत काम कर रहे होते हैं। उनका टच ही नहीं, इरादा भी गलत होता है। करीबी से करीबी इंसान को भी ऐसा न करने दें। तीन और चार साल की उम्र के बच्चों को माता-पिता शरीर के अंगों से जुड़ी जानकारी दे सकते हैं। बच्चों को निजी अंगों की जानकारी देने के लिए चार्ट, ड्राइंग या कार्टून वीडियो आदि की मदद भी ली जा सकती है। साथ ही बच्चों को बताएं कि जब कोई इंसान आपके इन अंगों को छूने के बाद किसी को भी बताने से मना करता है तो यह भी बैड टच होता है। बच्चों को स्पष्ट समझा दें कि मम्मी-पापा या डाक्टर के अलावा कोई भी आपके प्राइवेट पार्ट्स को नहीं छू सकता है। इसके साथ ही पैरेंट्स बच्चों के हावभाव पर भी नजर रखें। बच्चा खुद भी अगर बार-बार अपने निजी अंगों को छूने लगे तो उससे सवाल करें। पूछें कि उसने ऐसा कैसे सीखा? वह ऐसा क्यों कर रहा है?
जरूरी है संवाद और भरोसा
गुड टच बैड टच के बारे में समझाने के साथ ही बच्चों को खुलकर शिकायत करने का परिवेश भी दें। करीबी परिजन, आस-पड़ोस के लोग या टीचर किसी के भी असहज बर्ताव के लिए मम्मी-पापा को बताएं। बच्चे को भरोसा देते हुए यह कहना न भूलें कि ‘किसी के भी बैड टच की शिकायत हमसे जरूर करना’। बच्चे अक्सर किसी जान-पहचान वाले इंसान के बुरे बर्ताव को छुपाते रहते हैं। बालमन इस भय के घेरे में रहता है कि उसकी बात कोई नहीं मानेगा। शिकायत करने पर उसे डांट पड़ेगी या उलटे सवाल किए जाएंगे। इसीलिए घर के मासूम सदस्यों के मन में उनकी बात या हालात के बारे में भी सुने जाने का भरोसा जगाएं। साल 2012 से 2021 तक एक दशक भर के आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि बच्चों के इस तरह के शोषण के मामलों में 94 फीसदी आरोपी पीड़ित के परिवार के परिचित, परिजन या परिवार का ही कोई सदस्य ही होता है। यही कारण है कि ऐसे अधिकतर मामलों में बच्चे चुप्पी ओढ़ लेते हैं। गुड टच बैड टच को लेकर समझाते हुए बच्चों को विश्वास दिलाएं कि खुलकर किसी के भी बर्ताव की शिकायत अपने अभिभावकों से कर सकते हैं।