अकाली दल का उपचुनाव से किनारा, भाजपा को हो सकता है फायदा !
कुलदीप सिंह/निस
चंडीगढ़, 25 अक्तूबर
शिरोमणि अकाली दल द्वारा पंजाब की चार विधानसभा सीटों के उप-चुनाव से किनारा करने के बाद अब मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दल—आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस और भाजपा—ही मैदान में रह गए हैं। कांग्रेस के नेता इस निर्णय को राजनीतिक नाकामी से बचने का हथकंडा मान रहे हैं, यह कहते हुए कि पिछले चुनावों के परिणाम इस बात की पुष्टि करते हैं।अकाली दल के नेता वर्तमान में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो 28 अक्टूबर को होने वाला है। इसके अलावा, सुखबीर सिंह बादल के बारे में श्री अकाल तख़्त द्वारा कोई फैसला न आने के कारण भी पार्टी ने उप-चुनावों से दूरी बना ली है। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को हो सकता है, जिससे चुनावों में तिकोनी टक्कर की संभावना बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गिद्दड़बाहा में अकाली दल का पहला उद्देश्य कांग्रेस के नेता राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग को हराना है। यदि अकाली वोट मनप्रीत बादल को ट्रांसफर होते हैं, तो चुनाव परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं, क्योंकि 2022 में डिम्पी ढिल्लों ने केवल 1349 वोटों से हार का सामना किया था और इस बार वे आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।चब्बेवाल में, जहां पहले आम आदमी पार्टी के इशांक चब्बेवाल और कांग्रेस के रंजीत कुमार के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी, सोहन सिंह ठंडल के भाजपा में शामिल होने से स्थिति और जटिल हो गई है। 2022 में सोहन सिंह ठंडल और भाजपा के उम्मीदवार को मिलाकर कुल 23 हजार से कुछ अधिक वोट मिले थे, जबकि जीतने वाले आप उम्मीदवार हरमिंदर सिंह को 39 हजार 729 वोट मिले थे। डेरा बाबा नानक में आम आदमी पार्टी की स्थिति पहले से ही कमजोर मानी जा रही थी। यहां पहले मुकाबला कांग्रेस और अकाली दल में था, लेकिन अब भाजपा की मौजूदगी ने यहां भी तिकोनी टक्कर की संभावना बढ़ा दी है। 2022 में सुखजिंदर रंधावा ने अकाली दल के रवि काहलों को मात्र 466 वोटों से हराया था, लेकिन अब रवि सिंह काहलों की ताकत बढ़ गई है।बरनाला में, जबकि आम आदमी पार्टी को मजबूत माना जा रहा है, कांग्रेस के कुलदीप ढिल्लों और भाजपा के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतर आए हैं। हालांकि, 2022 के नतीजे बताते हैं कि आप ने इन तीनों से 11,647 वोट अधिक हासिल किए थे।