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हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सेवारत और पूर्व कर्मियों पर मेहरबान हुई सुक्खू सरकार

07:52 AM Aug 05, 2024 IST
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सेवारत और पूर्व कर्मियों पर मेहरबान हुई सुक्खू सरकार
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शिमला, 4 अगस्त (हप्र)
छठे पंजाब वेतन आयोग के एरियर के एकमुश्त भुगतान की मांग को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट गए प्रदेश के सेवारत और पूर्व कर्मचारियों पर राज्य की सुक्खू सरकार मेहरबान हो गई है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार में इन कर्मचारियों और पेंशनरों को एरियर का एकमुश्त भुगतान करने को हरी झंडी दे दी है। वित्त विभाग ने एरियर के भुगतान को लेकर विगत में जारी आदेशों को वापस ले लिया है। साथ ही भुगतान के उन मामलों, जिनमें अदालत से आदेश आए हैं, को एकमुश्त भुगतान को कहा है। वित्त विभाग की तरफ से इस बारे में तमाम सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद जनवरी 2022 के पश्चात रिटायर हुए कर्मचारियों को सरकार ने संशोधित दरों पर एरियर का भुगतान किया है। मगर जनवरी 2016 से दिसंबर 2021 के मध्य रिटायर कर्मचारियों को छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक ग्रेच्युटी व अन्य एरियर का भुगतान नहीं किया। सरकार की वित्तीय हालत ठीक न होने की वजह से खजाने पर एकमुश्त पड़ने वाले बोझ से बचने के मद्देनजर सरकार ने एरियर को किस्तों में देने का फैसला लिया। मगर सरकार के निर्देशों के बाद भुगतान को लेकर कई कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गये। अदालत ने कई मामलों में ब्याज सहित एरियर का भुगतान करने को कहा है। लिहाजा सरकार ने विगत में एरियर के भुगतान को लेकर जारी आदेशों को वापस ले लिया है। साथ ही ताजा निर्देश भी जारी किए हैं।
विगत में जारी वित्त विभाग की सीलिंग के अनुसार 50 हजार से कम एरियर का भुगतान तो एकमुश्त करने को कहा गया था। वहीं एक लाख तक का एरियर किस्तों में देने का प्रावधान था। वित्त विभाग ने एक लाख तक के एरियर को तीन किस्तों में दिया जाना तय किया था। इसके अलावा एरियर की रकम एक लाख से ज्यादा होने पर पांच किस्त में देने की व्यवस्था थी। मगर हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब राज्य सरकार ने कहा है कि भुगतान एकमुश्त किया जाएगा। हालांकि एकमुश्त भुगतान सिर्फ उन मामलों में ही होगा जिन्हें लेकर अदालत ने आदेश दिए हैं। बाकी कर्मचारियों और पेंशनरों को अभी भी या तो अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा या फिर सरकार की मेहरबानी का इंतजार करना होगा।

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